जमशेदपुर : भक्ति के महापर्व छठ की शुरुआत 05 नवंबर, दिन मंगलवार से नहाय खाय के साथ हो चुकी है। चार दिनों का यह महापर्व खासकर बिहार के लोगों के लिए काफी मायने रखता है। आज छठ पूजा का दूसरा दिन है। आज के दिन खरना का पालन किया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं दिन भर निर्जला और निराहार व्रत रखती हैं। फिर शाम को प्रसाद ग्रहण कर महिलाएं 36 घंटे के व्रत की शुरुआत करती हैं।
इस दिन शाम के वक्त रोटी और गुड़ की खीर बनाने का विधान है। फिर शाम को छठी मैया के पूजा के दौरान उन्हें रोटी और गुड़ की खीर या रसियाव भात अर्पित करते हैं। इसके बाद व्रत करने वाले इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं। इसके बाद ही घर के बाकी सदस्य इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि खरने के दिन की गई कोई भी गलती छठी मैया को कुपित कर सकती है। आइए जान लेते हैं कैसे मनाया जाता है खरना?
कैसे मनाएं खरना?
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। इस दिन छठी मैया को रोटी और गुड़ के खीर का भोग लगाया जाता है। इसके बाद ही सूर्योदय और सूर्यास्त तक चलने वाली निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। इस दौरान व्रत वासी कठोर निर्जला व्रत का पालन करते हैं। इस दिन गुड़ का ठेकुआ, खीर, गेहूं का पेठा, आदि जैसे अन्य प्रसाद बनाए जाते हैं। इस प्रसाद को श्रद्धा पूर्वक बनाना आवश्यक होता है। शाम के पूजा के बाद व्रत करने वाले इस प्रसाद को ग्रहण कर सकते हैं।
खरना किस दिन मनाया जाएगा?
खरना छठ के दूसरे दिन यानी आज 06 नवंबर, दिन बुधवार को मनाया जाएगा। कार्तिक महीने के पंचमी तिथि का दिन खरने के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन शाम को व्रत करने वाली महिलाएं गुड़ की खीर और रोटी प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं, जिसके बाद ही उनके निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। यह कठोर व्रत लगभग 36 घंटे का होता है।
जाने छठ पूजा में खरना का महत्व :
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है और इसका धार्मिक महत्व काफी अधिक होता है। खरने की शाम छठी मैया की उपासना की जाती है। यह व्रत शारीरिक और मानसिक शुद्धि को ध्यान में रख के किया जाता है। इस दिन बनाए गए प्रसाद जैसे गुड़ का खीर, ठेकुआ आदि का बहुत महत्व होता है। व्रती इन प्रसादों को छठी मैया को अर्पित करने के बाद ही ग्रहण करते हैं और संकल्प लेकर अपने व्रत की शुरुआत करते हैं।