वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (WHO) ने कैंसर से जुड़ी कई चौंकाने वाली रिपोर्ट्स शेयर की हैं। महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत में लंग कैंसर का सातवां स्थान है। इतना ही नहीं, दुनिया में हर साल 1.6 मिलियन लोगों की मौत लंग कैंसर की वजह से होती है। 1 अगस्त को मनाए जाने वाले वर्ल्ड लंग कैंसर डे में पेश है यह खास रिपोर्ट। बता दें, आज का दिन दुनियाभर में कैंसर के बढ़ते जोखिमों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। साथ ही यह भी कोशिश होती है कि उनके बचाव के उपायों से लोगों को शिक्षित किया जा सके।
भयावह है यह रिपोर्ट
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 1.6 मिलियन लोगों की मौत लंग कैंसर की वजह से होती है। कैंसर से मरने वाले भारतीय पुरुषों में लंग कैंसर सबसे कॉमन होता है। वहीं, भारतीय महिलाओं में कैंसर से संबंधित मृत्यु के मामलों में लंग कैंसर का सातवां स्थान है। कैंसर के लगभग 5.9% और कैंसर से संबंधित मौतों के लगभग 8.1% मामलों के लिए लंग कैंसर को ही जिम्मेदार माना जाता है। फेफड़ों में कोशिकाओं के अनियंत्रित बढ़ने से कैंसर हो जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं, कैंसर का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान है। जो लोग बहुत लंबे समय से धूम्रपान कर रहे हैं, उनमें कैंसर का जोखिम कई गुना तक बढ़ जाता है।
स्मोकिंग है सबसे बड़ी वजह
हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं, फेफड़ों का कैंसर किसी को भी हो सकता है, लेकिन धूम्रपान करने वाले या धुएं के संपर्क में आने वाले लोगों में इसका जोखिम अधिक होता है। धूम्रपान के धुएं में कई हानिकारक रसायन पदार्थ होते हैं जो फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बच्चों में भी लंग कैंसर हो सकता है। प्लुरोपल्मोनरी ब्लास्टोमा जैसा फेफड़ों का कैंसर आमतौर पर 4 साल की उम्र से पहले ही पहचाना जाता है। यह कैंसर फेफड़ों की कोशिकाओं में होने वाले कुछ बदलावों के कारण होता है।
धूम्रपान के अलावा और किस कारण से हो सकते हैं कैंसर:
फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले कई कारण हैं, लेकिन बीड़ी-सिगरेट और तंबाकू उत्पादों का सेवन सबसे बड़ा कारण माना जाता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, फेफड़ों के कैंसर से होने वाली 80% मौतें धूम्रपान से जुड़ी होती हैं। इसके अलावा, कई अन्य स्थितियां भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ा सकती हैं।
- पैसिव स्मोकिंग – दूसरों द्वारा छोड़े गए सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना।
- एयर पॉल्यूशन, रेडॉन, कोयला के धुएं और अन्य विषैले पदार्थों के संपर्क में रहना।
- स्तन कैंसर या लिम्फोमा जैसी बीमारियों के इलाज के लिए रेडिएशन थेरेपी का उपयोग।
- परिवार में फेफड़ों के कैंसर का इतिहास होना।
इन लक्षणों से कर सकते हैं कैंसर की पहचान:
फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती स्टेज में वैसे तो कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। समस्या तब होती है, जब बीमारी बढ़ जाती है। यहां चार संकेत दिए गए हैं जो इस गंभीर स्थिति का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
- लगातार खांसी का बना रहना और ठीक न होना।
- सीने में दर्द के साथ खून का आना।
- सांस लेने में दिक्कत और घरघराहट का रहना।
- आवाज में बदलाव, भारीपन या कर्कशता आना।
कैसे रहें इस समस्या से सुरक्षित?
हालांकि सभी प्रकार के फेफड़ों के कैंसर को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ कदम उठाकर जोखिम को कम किया जा सकता है।
- फेफड़ों के कैंसर से बचाव के लिए धूम्रपान से दूर रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- अगर आसपास कोई धूम्रपान कर रहा हो, तो उसके धुएं से बचें।
- कार्यस्थल पर जहरीले रसायनों के संपर्क से बचने के लिए सतर्क रहें।
- एक संतुलित आहार अपनाएं जिसमें विभिन्न फल और सब्जियां शामिल हों, और विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं।
- रिसर्च में साबित हुआ है कि बीटा कैरोटीन वाले आहार फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को कम करने में फायदेमंद होता है।
- वायु प्रदूषण से बचने के लिए अच्छी क्वालिटी वाला मास्क पहनें।