जमशेदपुर: अक्सर जब हम कार, बस, ट्रेन या फ्लाइट से ट्रेवल करते हैं हमे सर दर्द या उल्टी लगती है।इसे मोशन सिकनेस कहते हैं। यह बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी हो सकतर है। मोशन सिकनेस की वजह से काफी लोग ट्रेवल करने से डरते हैं। आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे मोशन सिकनेस क्या होता है और इससे हम कैसे बच सकते हैं।
डोक्टरों के अनुसार मोशन सिकनेस कोई बीमारी नहीं एक कंडीशन है। जब हम गाड़ी में एक जगह स्थिर बैठे रहते हैं, लेकिन मूवमेंट की वजह से हमारा शरीर हिलता रहता है ऐसे में हमारे ब्रेन को कनफ्यूजिंग सिगनल मिलते हैं जिस वजह से हमें वोमिटिंग या चक्कर आते हैं।
जब हमारा शरीर हिलता है, तो ब्रेन को आंखों, जॉइंट्स, और कानों से सिग्नल मिलते हैं। अगर इनमें से किसी एक में गड़बड़ी हो जाए, तो ब्रेन मूवमेंट को सही से पहचान नहीं पाता, जिससे मोशन सिकनेस होती है। उदाहरण के लिए, यात्रा के दौरान आंखों को चीजें स्थिर लगती हैं, जबकि बाहर देखने पर सब कुछ चल रहा होता है। इस कनफ्यूजन के कारण मतली, उल्टी, और चक्कर आने का एहसास होता है।
एक्सपर्ट्स कि मानें तो मोशन सिकनेस के लक्षण यात्रा के दौरान या तुरंत बाद शुरू हो सकते हैं, और उनकी गंभीरता हर व्यक्ति में अलग होती है। कुछ लोगों को हल्के लक्षण होते हैं, जबकि दूसरों को अधिक गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे तो मोशन सिकनेस किसी को भी हो सकता है लेकिन अधिकतर 2 से 12 साल के बच्चे, गर्भवती महिला, माइग्रेन जैसे कंडीशन से जूझ रहे लोग और शराब या नशीली दवाओं का सेवन करने वाले ज्यादातर लोगों को मोशन सिकनेस होता है।
इससे बचने के लिए ताज़ी हवा लेते रहें, अगर सर चक्कर या वोमिटिंग होती है तो सीट को पीछे कि और झुकाके आँखें बंद कर लें, पेपरमिंट कैंडी या अदरक का सेवन करें। अगर आप लंबे समय के लिए ट्रवेल कर रहे हैं तो ट्रवेल के बीच ब्रेक लें और मोबाइल न यूज करें, इससे हमारी आंखों और दिमाग पे ज्यादा असर पड़ता है। अगर किसी को मोशन सिकनेस की बीमारी है तो यात्रा से पहले एक बार डॉक्टर से ज़रूर कंसल्ट कर लें।