मुंबई: भारत के उद्योग जगत के दिग्गज रतन टाटा की जिंदगी के अनकहे किस्से अब एक किताब में मिलेंगे. सीनियर ब्यूरोक्रेट थॉमस मैथ्यू ने यह बायोग्राफी “रतन टाटा – ए लाइफ” लिखी है। यह बायोग्राफी इस महीने लॉन्च होने वाली है. इस किताब में रतन टाटा के जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं को सामने लाया गया है.
साइरस मिस्त्री को हटाने का फैसला
किताब में रतन टाटा ने साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाने के पीछे की असल वजह बताई. रतन टाटा ने कहा कि मिस्त्री को खराब प्रदर्शन से ज्यादा उनके मोरल वैल्यूज की वजह से हटाया गया था. मिस्त्री का शपूरजी पलोनजी ग्रुप से जुड़ा रहना और उनके फैसले टाटा ग्रुप को कमजोर करने वाले थे. रतन टाटा ने मिस्त्री को पद छोड़ने के लिए पत्र भी लिखा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. अंत में, 2016 में रतन टाटा ने मिस्त्री को पद से हटा दिया, जो एक बड़ी कंट्रोवर्सी बन गई थी. रतन टाटा ने अपनी किताब में यह माना कि मिस्त्री को हटाना आसान फैसला नहीं था, लेकिन यह कदम भविष्य में किसी कानूनी समस्या से बचने के लिए जरूरी था.
रतन टाटा ने अपनी गलती को मानी!
रतन टाटा ने इस किताब में यह भी स्वीकार किया कि उन्हें अपने डिसिजन पर थोड़ा और विचार करना चाहिए था. उन्होंने कहा, “मैंने सोचा था कि मिस्त्री की ब्रिटिश शिक्षा उन्हें टाटा ग्रुप के लिए सही बनाएगी, लेकिन मैंने उन्हें समझने में गलती की.” रतन टाटा ने यह भी कहा कि वह सिलेक्शन कमिटी के फैसले में बहुत आदर्शवादी थे और समय की कमी के कारण जल्दी फैसला ले लिया.
भाई नोएल टाटा पे रतन टाटा के विचार
थॉमस मैथ्यू कहते हैं, रतन टाटा ने कहा था कि “नोएल काबिल तो थे, लेकिन उनके पास उतना अनुभव नहीं था, जो इतने बड़े ग्रुप को चलाने के लिए चाहिए.” रतन टाटा मानते थे कि नोएल को ज्यादा अनुभव की जरूरत थी.
2 करोड़ रुपये का ऐग्रीमेंट
इस किताब को हॉर्पन कॉलिंस पब्लिशर्स ने 2 करोड़ रुपये के एग्रीमेंट के साथ पब्लिश करने का फैसला लिया है. यह किताब टाटा ग्रुप के इतिहास और रतन टाटा के लीडरशिप क्वालिटी के बारे में नई जानकारी देगी, जिससे उनके फैंस और भारत के उद्योग जगत के लोग प्रेरणा ले सकते हैं.