डिंपल कपाड़िया ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि जब वो 12 साल की थीं, तब वो लेप्रोसी की शिकार हो गई थीं। हालांकि इसी बीमारी की वजह से उन्हें राज कपूर के साथ एक खास मुलाकात करने का भी मिला था। दरअसल राज कपूर के अनुसार, वो उन खूबसूरत लड़कियों से मिलना चाहते थे, तो इस बीमारी के चपेट में आकर तमाम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। अपनी इसी मुलाकात को जिंदगी का टर्निंग पॉइंट मानती हैं। मेडिकल टर्म में लेप्रोसी किस तरह की बीमारी है? इसे लेकर लोगों की क्या धारणाएं हैं? इसके क्या लक्षण है? आईए जानते हैं डिटेल में…
लेप्रोसी क्या है?
लेप्रोसी,जिसे हैन्सेन के नाम से भी जाना जाता है। लेप्रोसी एक प्रकार का कुष्ठ रोग है। एक पुरानी संक्रमणीय बीमारी है,जो मायकोबैक्टीरियम लैप्रीनामक बैक्टीरिया से होती है। यह मुख्य रूप से त्वचा,नसों,म्यूकस मेंब्रेन और आंखों को प्रभावित करती है। हालांकि इसे पहले बहुत भयानक माना जाता था, लेकिन आज के समय में इसके इलाज के तरीके और समझ में काफी बदलाव आया है।
लेप्रोसी के लक्षण क्या हैं
– त्वचा पर धब्बे: हल्के रंग के या लाल धब्बे जो नम्ब हो सकते हैं।
– नसों का डैमेज होना:हाथों,पैरों या शरीर के अन्य हिस्सों में सेंसेशन की कमी।
– मसल्स की कमजोरी:शरीर के कुछ हिस्सों के मूवमेंट में तकलीफ होना ।
– आंखों की समस्याएं:सीरियस केसेस में ये आपकी आखों की रौशनी भी खत्म कर सकता है।
इलाज और उपचार
लेप्रोसी लंबे समय तक कांटेक्ट में रहने से फैलता है, लेकिन यह बहुत कंटेजियस नहीं है। सही समय पर पहचान और इलाज बहुत महत्वपूर्ण है ताकि गंभीर समस्याएं और इसके स्प्रेड को थामा जा सके। लेप्रोसी का इलाज मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) से किया जाता है, जिसमें दवाएं जैसे डेप्सोन,रिफैम्पिसिन और क्लोफाजिमिन शामिल हैं। सही इलाज से लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं और इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है।
क्या है धारणाएं
हालांकि आज लेप्रोसी का इलाज संभव है लेकिन इसके बारे में अभी भी कई गलतफहमियां और सामाजिक डर बने हुए हैं। इसके कारण लेप्रोसी के रोगियों को समाज से अलग-थलग भी किया जाता है। इस गलत धारणा को दूर करने और प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए जागरूकता और शिक्षा बहुत जरूरी है।
हाल ही में किए गए रिसर्च ने यह भी बताया है कि लेप्रोसी के बैक्टीरिया केवल संक्रमित व्यक्तियों में ही नहीं बल्कि पर्यावरण में भी हो सकते हैं। इससे नई खोजों और रोकथाम के तरीके खुल गए हैं।
लेप्रोसी जो पहले एक भयानक और समझने में कठिन बीमारी थी अब आधुनिक इलाज के जरिए नियंत्रित की जा सकती है। डिंपल कपाड़िया जैसी कहानियां न केवल बीमारी के व्यक्तिगत प्रभाव को उजागर करती हैं,बल्कि हमें प्रेरित भी करती हैं। बेहतर अनुसंधान और समझ के साथ हम इस प्राचीन बीमारी के खिलाफ लड़ाई जारी रख सकते हैं और प्रभावित लोगों की मदद कर सकते हैं।