2040 तक बदल जाएगा बिजली सोलर एनर्जी का स्वरूप
जमशेदपुर: भारत अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्था और 1 बिलियन से अधिक की विशाल आबादी के साथ, हमेशा ऊर्जा की कमी का सामना करता रहा है। भले ही यह देश दुनिया में बिजली के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। लेकिन, यह अपनी तेज़ी से बढ़ती आबादी की बिजली की जरूरतों को पूरा करने में शायद ही कभी सक्षम हो पाता है। देश की 72% से अधिक आबादी अभी भी गाँवों में रहती है, जहां केवल आधी ग्रामीण आबादी को ही बिजली मिल पाती है। अब समय आ गया है कि भारत अपनी आबादी को उचित मात्रा में बिजली देने के लिए नवीकरणीय तरीकों की ओर बढ़े। आज सोलर पॉवर से बिजली के उत्पादन में तेजी आई है। हर तीन साल में सोलर की स्थापित क्षमता दोगुनी और दस साल में दस गुना बढ़ रही है। धरती पर साल 2035 तक सोलर पैनल बिजली का सबसे बड़ा स्रोत होंगे और अगर माना जाए तो साल 2040 तक वे न केवल बिजली बल्कि पूरे एनर्जी का सबसे बड़ा स्रोत हो सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार हर साल सोलर पॉवर पर 41.77 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। भारत ने 2030 तक 500 GW (गिगावाट) नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें सौर ऊर्जा एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगी। 2040 तक, यह क्षमता और बढ़ सकती है, जिससे देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा सौर ऊर्जा से पूरा होगा। भारत में सौर ऊर्जा पार्कों का विकास जारी रहेगा साथ ही राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्य सौर ऊर्जा उत्पादन के प्रमुख केंद्र बन सकते हैं। सोलर एनर्जी के फायदे तो बहुत है पर कुछ मुश्किलें भी है जैसे सोलर पॉवर को स्टोर करने में हैवी इंडस्ट्री, एविएशन और माल ढुलाई में दिक्कत आ सकती है पर इन सबका समाधान भी है जैसे बैटरियों और इलेक्ट्रोलिसिस से तैयार ईंधन से सुलझाया जा सकता है।
सौर ऊर्जा भारत के लिए सबसे व्यवहार्य और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में उभरी है, जो सभी की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करती है। – जिसमें 50% ग्रामीण निवासी भी शामिल हैं जो अभी भी बिना बिजली के रहते हैं। भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है, क्योंकि सौर ऊर्जा के प्रयोग से ग्रामीण परिवारों की लकड़ी और उपलों पर निर्भरता कम हो सकेगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी और कृषि में खाद की पर्याप्त आपूर्ति होगी। भारत में सौर ऊर्जा का उपयोग कोई नई बात नहीं है और यह कुछ चुनिंदा स्थानों पर काफी समय से मौजूद है।
हालांकि कई लोगों ने अपनी दैनिक ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने घरों और कार्यालयों में सौर पैनल लगाना शुरू कर दिया है, फिर भी भारत को पूर्ण सौर राष्ट्र बनने से पहले एक लंबा रास्ता तय करना है।