भारत में एग्जामिनेशन सिस्टम का बंटाधार हो गया है. सात साल में 70 एग्जाम कैंसल हुए. एक-दो नहीं बल्कि 70 एग्जाम. यानी पूरी सिस्टम में ही लीकेज है.
देश के युवाओं के भविष्य पर डाका डालने वाले पेपर लीक करने वाले गैंग ने परीक्षा से पहले ही 100 परीक्षार्थियों को पेपर दे दिया था. NEET-UG पेपर लीक से संबंधित यह रिपोर्ट बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध यूनिट ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंप दी. उस रिपोर्ट में क्या कुछ है आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में. इस वीडियो के अंत तक बने रहिएगा, इसमें हम आपको बताएंगे कि कैसे कहां से अपराधियों ने पेपर लीक किया, कहां पेपर की फोटो कॉपी करवाई गयी. पढ़ेगा इंडिया चैनल को अब तक आपने सब्सक्राइब नहीं किया है तो कृपया कर लें, इससे हमारा मनोबल ऊंचा होगा और युवाओं के हक की आवाज हम उठाते रहेंगे.
NEET-UG पेपर लीक की जांच कर रही बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध यूनिट ने पेपर लीक से संबंधित रिपोर्ट केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंप दी. अगर सूत्रों की मानें तोइस रिपोर्ट में यह यह कहा गया है कि 5 मई को परीक्षा सेंटर पहुंचने से पहले ही बिहार-झारखंड के 100 अभ्यर्थियों को नीट का पेपर मिल गया था.
इस लीक को परीक्षा माफिया और साइबर अपराधियों ने मिलकर अंजाम दिया. झारखंड के देवघर से गिरफ्तार चिंटू, मुकेश, पंकु, परमजीत, राजीव कुमार इसमें शामिल थे. चिंटू इस लीक कांड के मुख्य सरगना संजीव मुखिया का रिश्तेदार है. चिंटू के गांव का मुकेश है. जबकि पंकु, परमजीत और राजीव साइबर अपराधी हैं.
बिहार के आर्थिक अपराध इकाई की रिपोर्ट के अनुसार चिंटू के वॉट्सएप पर 5 मई की सुबह NEET-UG का प्रश्न पत्र उससके उत्तर के साथ PDF फाइल में पहुंचा. उसने खेमनीचक स्थित लर्न एंड प्ले स्कूल के वाईफाई प्रिंटर से प्रिंट निकलवाया था. अब आखिर चिंटू के फोन पर पेपर कहां से आया था, इसकी जांच की जा रही है.
पुलिस को अब तक जो जानकारी मिली है उसके अनुसार प्ले स्कूल से प्रिंट निकलवाने के बाद इसे उन लोगों का तक पहुंचाया गया जो परीक्षार्थी 5 मई को परीक्षा देने वाले थे. इसके एवज में उनसे एडवांस के तौर पर मोटी रकम ली गयी थी. डील यह भी हुई थी कि अगर परीक्षा में हू-ब-हू वही सवाल पूछे गए जो उन लोगों ने परीक्षा से पहले दिया था तो बाकी की रकम के लिए पोस्ट डेटेड चेक से लिया गया था. इस प्रकार के परीक्षार्थियों को पेपर लीक माफिया ने पटना में खेमनीचक स्थित लर्न एंड प्ले स्कूल में, पटना बाईपास के पास एक होटल में और झारखंड के कुछ शहरों में छात्रों को सवाल-जवाब रटवाए थे. सभी प्रश्नों के उत्तर रटवाने के बाद माफिया द्वारा ही अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्रों तक भिजवाया था.
हजारीबाग के ओएसिस स्कूल के लिए जो पेपर आविटंत किया गया था वही पेपर माफिया तक पहुंचा था. प्रिंसिपल ने बताया कि कुरियर कंपनी द्वारा ई रिक्शा पर लादकर प्रश्न पत्र को बैंक पहुंचाया गया था. जिस ट्रंक से बुकलेट नं. 6136488 का प्रश्नपत्र उड़ाया गया, उससे छेड़छाड़ हुई थी. अब उस ट्रंक को FSL जांच के लिए भेजा जाएगा.
वहीं, बिहार के आर्थिक अपराध यूनिट के DIG मानवजीत सिंह ढिल्लो ने कहा कि बिहार के फ्लैट में जो पेपर के जले हुए टुकड़े मिले थे, उसका मिलान NTA के मूल पेपर से हो गया है. अब इसे जांच के लिए FSL को भेजा है. वहीं, हजारीबाग के एसिस स्कूल की भी जांच की जा रही है. पुलिस को पूरा संदेह है कि यहीं के पेपर को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया तक पहुंचाने के क्रम में पेपर लीक माफिया ने उड़ाया है.
पुलिस की आर्थिक अपराध यूनिट इस केस की तह तक पहुंच चुकी है. अभी कम से कम 50 लोग रडार में हैं. इसमें वे स्टूडेंट भी चिन्हित किए जा रहे हैं जिन्होंने माफिया को पैसे और चेक दिए थे. इस प्रकार के स्टूडेंट की सूची भी बनायी जा रही है. इतना सारा कुछ हो रहा है लेकिन शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि पुलिस ने भले पेपर लीक की बात साबित कर दी लेकिन यह वायरल नहीं हुआ. अधिक लोगों तक यह नहीं पहुंचा है. यह केवल पटना, नालंदा और वैशाली तक ही सीमित रहा. अब इस मामले में जिस प्रकार से जांच की गति तेज हो रही है कि जल्द ही स्टूडेंट हित में कोई बड़ा फैसला सरकार ले सकती है. यह लगभग साबित हो चुका है कि नीट यूजी का पेपर लीक हुआ था. विपक्ष सरकार पर यह दबाव बना रहा है कि नीट पेपर दोबारा हो.