स्विगी और जोमेटो ने अपने प्लेटफॉर्म शुल्क में किया इजाफा, जानें ग्राहकों को कितनी खाली करनी होगी अपनी जेब
Swiggy और Zomato ने अपने प्लेटफ़ॉर्म फ़ीस में इजाफा कर दिया है। इसको बढ़ा कर सात रुपये प्रति आर्डर कर दिया गया है। पहले यह ₹5 था, प्लेटफार्म फीस बढ़ाने से कस्टमर अब खाद्य पदार्थों के लिए पहले की तुलना में 20 फीसद अधिक रकम अदा करेंगे। इसे अभी बंगलुरू और दिल्ली में लागू किया गया है। माना जा रहा है कि दोनों कंपनियां प्लेटफार्म शुल्क की इस बढोतरी को पूरे देश में करने जा रही हैं। यह शुल्क डिलीवरी शुल्क, टैक्स, रेस्टोरेंट शुल्क और हैंडलिंग शुल्क से अलग है।
सभी आर्डर पर लिया जाएगा प्लेटफार्म शुल्क
यह शुल्क सभी खाद्य ऑर्डर पर लिया जाएगा। इसमें सदस्यता कार्ड प्रोग्राम शामिल हैं और इससे प्राप्त राजस्व से कंपनियों को लागत नियंत्रण में सहायता मिलेगी। प्लेटफार्म शुल्क बढ़ाने से कंपनियों के राजस्वे में वृद्धि होगी। माना जार हा है कि कंपनियां शुल्क में बढोतरी के प्रस्ताव को पुरे देश में लागू करेंगी। आर्थिक मामलों के जनकार बताते हैं कि दोनों कंपनियांयह शुल्क तब तक बढ़ा सकती हैं जब तक उनके ग्राहक रजिस्ट्रेशन में गिरावट नहीं शुरू हो जाए। क्योंकि, तब कंपनियों के राजस्व पर असर पड़ना शुरू हो जाएगा। वर्तमान में, Swiggy और Zomato ने अपनी फ़ूड डिलीवरी सेवाओं तक सीमित किया है और इसे तेज़ कॉमर्स व्यापारों, जैसे Instamart और Blinkit तक नहीं फैलाया है। उल्टे, तेज़ डिलीवरी सेक्टर में एक प्रतिस्पर्धी, ZEPTO ने मार्च 2023 में ₹2 की प्लेटफ़ॉर्म फ़ीस शुरू की है। यह लगभग 5.5 लाख ऑर्डर लेती है और इससे ₹1.1 मिलियन का अतिरिक्त दैनिक राजस्व उत्पन्न करती है। Swiggy और Zomato कोंपनियाँ अपने मुनाफे पर जोर दे रही है भोजन वितरण बजार की कंपीटिशन के बीच उनपर दवाब भी है+की समायोजना उनकी लाभार्थिता पर बल देती है, जिसे भोजन वितरण बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक दबावों के बीच महसूस किया जा रहा है।
रेस्टोरेंट्स के लिए दोधारी तलवार बनी कंपनियां
रेस्टोरेंट्स के लिए ये दोनों कंपनियां दोधारी तलवार बन गई हैं। एक रेस्टोरेंट के मालिक बताते हैं कि स्विगी और जोमैटो से जुड़ना उनकी मजबूरी बन गई है। अगर कोई रेस्टोरेंट स्विगी और जोमैटो से हट जाते हैं तो होम डिलिवरी का आर्डर मिलना बंद हो जाएगा। अगर रेस्टोरेंट इन दोनों कंपनियों से जुड़ते हैं तो उन्हें इन कंपनियों को अच्छी खासी रकम अदा करनी होती है और इस तरह रेस्टोरेंट्स का मुनाफा कम हो जाता है।