नई दिल्ली : आत्महत्या की खबर हमेशा ही चौंकाने वाली होती है. इसके साथ ही जब किसी व्यक्ति के आत्महत्या का कारण पता चलता है तो वो और भी भयावह होती है. हाल ही में मुंबई में मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा की आत्महत्या की खबर ने पूरे बॉलीवुड को स्तब्ध कर दिया. अपने घर के छठी मंजिल से कूदकर अनिल अरोड़ा ने आत्महत्या कर ली. हालांकि आत्महत्या की वजह का अभी तक खुलासा नहीं हो सका है. आज हम यह जानेंगे कि भारत में किस धर्म और जाति के लोग सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं.
किस जाति और धर्म के लोग भारत में करते हैं सबसे ज्यादा आत्महत्या?
गृह मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि एक हिन्दू के मुकाबले आत्महत्या करने की डेढ़ गुना ज्यादा संभावना किसी इसाई की होती है. वहीं जातियों की बात की जाए तो दलित और आदिवासी सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं.
आरटीआई के एक जवाब में खुलासा हुआ कि आत्महत्याओं की जाति और धर्म के आधार पर अलग से गृह मंत्रालय ने गणना करवाई थी. पहली बार आत्महत्याओं का डाटा धर्म और जाति के आधार पर साल 2014 में नेशनल क्राइम ब्यूरो (NCRB) ने तैयार किया था. गृह मंत्रालय को साल 2015 में इसे सार्वजनिक करना था लेकिन मंत्रालय ने कभी यह डाटा रिलीज नहीं किया.
सबसे ज्यादा ईसाइयों में है आत्महत्या की दर
आपको बात दें कि द इंडियन एक्सप्रेस की आरटीआई पर सामने आए डाटा के अनुसार ईसाईयों में आत्महत्या की दर 17.4 फीसदी है. वहीं हिन्दुओं में यह दर 11.3 फीसदी है. जबकि मुस्लिमों में 7 और सिखों में 4.1 फीसदी है. बताते चलें कि आत्महत्या में राष्ट्रीय दर 10.6 फीसदी है. यह दर प्रति एक लाख की जनसंख्या पर किए गए सुसाइड के आधार पर है.
आत्महत्या की दर किस आधार पर दी गई ?
बता दें कि ईसाईयों में आत्महत्या की दर उनकी जनसंख्या के अनुपात में नहीं है. बताया जा है कि 2011 की जनसंख्या के अनुसार देश की जनसंख्या में 2.3 प्रतिशत लोग ईसाई धर्म मानने वाले हैं. मगर आत्महत्याओं में उनका प्रतिशत 3.7 है.
आत्महत्या के कारण क्या हो सकते हैं ?
ऐसा माना जाता है कि जीवन में आने वाली परेशानियों का सामना न कर पाने पर कोई व्यक्ति जैसा घातक कदम उठाता है. आर्थिक कठिनाइयां, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, सामाजिक और पारिवारिक दबाव, शिक्षा और करियर के मुद्दे या फिर स्वास्थ्या समस्याएं उस व्यक्ति को हो सकती हैं.