शोले का आइकॉनिक डायलॉग ‘अरे ओ सांभा’, किसी राइटर नहीं बल्कि धोबी से था इंस्पायर
जमशेदपुर, 31 जुलाई 2024
जब भी क्लासिक व कल्ट सिनेमा की बात होगी, तब 1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘शोले’ का जिक्र भी जरूर होगा। इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा को कई सारे पॉप्युलर एक्टर और किरदार दिए हैं। खासकर फिल्म का विलेन गब्बर, उसके कहे डायलॉग्स आज भी मीम्स में इस्तेमाल किए जाते हैं। ‘कितने आदमी थे?’,’नाच बसंती’,’अरे ओ सांभा’ जैसे डायलॉग्स की ताजगी आज भी बरकरार है। हालांकि क्या आपको पता है लाइन ‘अरे ओ सांभा’ जो है, वो किसी स्क्रिप्ट राइटर ने नहीं बल्कि एक धोबी से प्रेरित है।
जानी-मानी पत्रकार व राइटर रौशमिला भट्टाचार्य द्वारा लिखी गई किताब ‘बैड मैन: बॉलीवुड्स आइकोनिक विलेंस’ में इस वाकिये का जिक्र है। भट्टाचार्य की किताब में अमजद खान अका गब्बर की पत्नी शहला ने बताया कि ‘अरे ओ सांभा’ की लाइन उनके धोबी (धोने वाले) से प्रेरित थी, जो अपनी पत्नी को इसी तरह बुलाता था। शहला ने याद किया, ‘हमारे पास एक धोबी था जो अपनी पत्नी को ‘अरे ओ शांति’ कहकर बुलाता था, और इसी तरह ‘अरे ओ सांभा’ का जन्म हुआ।’ यह वाकया दर्शाता है कि अमजद खान अपने किरदारों को कैसे विकसित करते थे। और किस तरह आस-पास के अनुभव उनके यादगार परफॉर्मेंस को आकार देते थे।
अमजद खान की बॉलीवुड यात्रा चुनौतियों और व्यक्तिगत संघर्षों से भरी रही। किताब में एक भावनात्मक अध्याय भी है, जिसमें एक कार दुर्घटना का विवरण है जिसमें खान और उनकी पत्नी शहला घायल हो गए थे। यह दुर्घटना तब हुई जब खान ने फिल्म ‘द ग्रेट गैम्बलर’ की शूटिंग में व्यस्त थे। उस वक्त वो मुंबई से गोवा बाय रोड आ रहे थे। दुर्घटना में खान को गंभीर चोटें आईं,जिनमें एक टूटी हुई टांग और पसलियां शामिल थीं,और शहला को भी चोटें आईं।
खान के पणजी मेडिकल अस्पताल में इलाज के दौरान, उनके करीबी दोस्त और सह-कलाकार अमिताभ बच्चन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,और मेडिकल प्रक्रियाओं के लिए सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए थे। उनकी हालत गंभीर थी। यह घटना बच्चन और खान के बीच की गहरी दोस्ती को दर्शाती है, जो 1983 में बच्चन के ‘कुली’ के सेट से शुरु हुई थी।