नई दिल्ली: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि अनुसार पूजा की जाती है। इस व्रत में प्रदोष काल के दौरान पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है।
इस साल भाद्रपद महीने का पहला प्रदोष व्रत 31 अगस्त 2024, शनिवार को है। शनि प्रदोष व्रत के दिन महादेव और देवी पार्वती की विधि पूर्वक पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का बड़ा महत्व होता है। प्रदोष व्रत का पालन करने से और इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूर्ण निष्ठा से पूजा करने से सभी बाधा विपत्ति दूर हो जाती है और जीवन सुखमय हो उठता है।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 31 अगस्त, शनिवार सवेरे 2 बजकर 25 मिनट से होगी, वहीं इसकी समाप्ति 1 सितंबर, रविवार सवेरे 03 बजकर 40 मिनट पर होगी।
शनि प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त – शाम 6 बजकर 43 मिनट से रात 8 बजकर 59 मिनट तक।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
– सवेरे उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े धारण कर लें।
– घर के मंदिर की साफ सफाई कर, एक दीप प्रज्वलित करें।
– प्रदोष व्रत का पालन करें अगर कोई असुविधा न हो।
– भगवान शिव का गंगा जल से जलाभिषेक करें।
– भगवान भोलेनाथ को फूल चढ़ाएं।
– इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती और गणेश जी की भी पूजा करें।
– भगवान को सात्विक भोग चढ़ाएं।
– इसके बाद भगवान शिव के साथ माता पार्वती और गणेश जी की आरती करें।
– इस दिन अधिक से अधिक भगवान का ध्यान करें।