वाटर और एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए रोइंग है शानदार ,डिमना लेक के पास टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की रोइंग एकेडमी
अगर आप एडवेंचर और वाटर स्पोर्ट्स के शौकिन है. तो चले आइए डिमना लेक। डिमना लेक के ठीक विपरित भादोडीह चौक से दायीं ओर स्थित है टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन का T.S .A.फ रोइंग एकेडमी। झारखंड के इस पहले रोइंग एकेडमी में बच्चों को ओलिंपिक के लिए तैयार किया जा रहा है। लगभग एक वर्ष पूर्व शुरू हुए इस एकेडमी में तीन बच्चे नि:शुल्क रूप से रोइंग खेल को सीख रहे हैं. टाटा स्टील की ओर से इन बच्चों को रोइंग बोट, टाइमिंग आर्गो मीटर और अन्य उपकरण मुहैया कराया जा रहा है। इस खेल की ट्रेनिंग बच्चों को इंडोर में भी दी जाती है। इंडोर में आर्गो मीटर के जरिये ट्रेनिंग दी जाती है।
इस खेल से कैसे जुड़े
अगर आप इस खेल से जुड़ना चाहते हैं तो जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स स्थित टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के ऑफिस में आकर संपर्क कर सकते हैं। कुछ दिनों पहले एकेडमी में एक रोइंग टूर्नामेंट का भी आयोजन किया गया था। इसमें पूर्वी सिंहभूम जिले के डीसी अनन्य मित्तल बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। इसके अलावा यहां के प्रशिक्षु नेशनल कंपीटिशन में भी हिस्सा ले चुके हैं। रोइंग खेल ओलिंपिक में भी शामिल है।
क्या है रोइंग खेल
यह एक ऐसा खेल है जिसमें एक नाव को उसके साथ जुड़े एक पतवार की मदद से आगे बढ़ाना होता है. ये अन्य डिसिप्लीन से अलग होता है, क्योंकि इसमें नाव को चलाने वाले एथलीट की पीठ नाव की चाल की दिशा में होती है और वे फिनिश लाइन पीछे की ओर से पार करते हैं। ओलिंपिक में नाविक व्यक्तिगत स्पर्धाओं के अलावा 2 , और 4 या 8 की टीम में भी प्रतिस्पर्धा करते हैं।
इस खेल का क्या है इतिहास
रोइंग का इस्तेमाल सबसे पहले प्राचीन मिस्त्र, ग्रीस और रोम में यातायात के साधनों के तौर पर किया जाता था। एक खेल के रूप में इसकी शुरुआत संभवत: इंग्लैंड के 17 वीं शताब्दी और 18 शताब्दी के शुरू में हुई थी। यूनाइटेड किंगडम में ऑक्शफोर्ड-कैम्ब्रीज यूनिवर्सिटी में सबसे पहली बार बोट रेस का आयोजन 18 सौ 28 में हुआ था। वहीं ये खेल 19 वीं शताब्दी में यूरोप पहुंचा जहां इसने काफी लोकप्रियता हासिल की।
क्या है खेल के नियम ?
रोअर एथलीट व्यक्तिगत रूप से या फिर 2 , 4 या 8 की टीमों में 2000 मीटर की प्रतिस्पर्धा करते हैं।
डबल स्कल्स एथलीट प्रत्येक हाथ में एक-एक पतवार रखते हैं। जबकि स्वीप रोइंग एथलीट दोनों हाथों से एक पतवार को पकडते हैं। 8 व्यक्तियों की टीम में एक कॉक्सवेन होता है। कॉक्सवेन मुख्य चालक होता है जो नाव को नियंत्रित करता है। हर 10 से 12.5 मीटर की दूरी पर पानी की गहराई से एक खास तरह की चीज बांधी जाती है, जिससे रास्तों को चिन्हित किया जाता है। कोर्स में कम से कम 3 मीटर की गहराई होनी चाहिए. वहीं गलत शुरुआत करने वाली टीम को पहले चेतावनी दी जाती है। साथ ही एक ही रेस में दो बार गलत शुरुआत करने वाले एथलीट या टीम को अयोग्य करार दिया जाता है।
दो प्रकार के होते हैं रोइंग
रेस को स्कलिंग और स्वीप ओअर में बांटा गया है. स्कलिंग इवेंट्स में दो पतवारों का इस्तेमाल होता है. जबकि स्वीप में नाव को चलाने वाला सिर्फ एक पतवार का प्रयोग करता है. 8 व्यक्तियों की टीम में एक कॉक्सवेन होता है जो नाव को चलाता है। साथ ही चालक दल को निर्देशित करता है, लेकिन अन्य सभी नावों में एक रोअर एक फुट पेडल के साथ एक छोटे पतवार को नियंत्रित करके नाव को चलाता है।
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के रोअर बलराज पवार ने हिस्सा लिया और वह 23 वें स्थान पर रहे थे। वहीं 2020 टोक्यो ओलिंपिक में अरविंद सिंह और अर्जुन लाल जाट ने शिरकत की थी और 11 वें स्थान तक पहुंचने में कामयाब रहे थे।