रक्षाबंधन 2024: भद्राकाल की छाया से मुक्त, इस शुभ घड़ी में बांधें भाई-बहन के रिश्ते की पवित्र राखी
जमशेदपुर: रक्षाबंधन के त्योहार पर इस साल भद्राकाल को लेकर कुछ भ्रम था, लेकिन इस बार के विशेष समय ने इसे साफ कर दिया है। 19 अगस्त 2024 को मनाए जाने वाले रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल सुबह 5 बज कर 32 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 1 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस दौरान चंद्रमा मकर राशि में गोचर करेंगे, जिससे भद्रा पाताल लोक में निवास करेगी और धरती पर इसका प्रभाव न होगा।
भद्राकाल का प्रभाव और शुभ मुहूर्त
भद्राकाल का प्रभाव पौराणिक मान्यताओं और ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, भद्राकाल अशुभ माना जाता है और इसे मांगलिक कार्यों में अड़चन के रूप में देखा जाता है। भद्रा का वास स्वर्ग, पाताल या धरती पर स्थित होने के आधार पर इसके शुभ-अशुभ प्रभाव का निर्धारण होता है
1. स्वर्ग लोक: जब चंद्रमा मेष, वृषभ, मिथुन या वृश्चिक राशि में होता है, तब भद्रा स्वर्ग लोक में निवास करती है, जो मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
2. पाताल लोक: यदि चंद्रमा कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में होता है, तो भद्रा पाताल लोक में रहती है, और इस समय मांगलिक कार्यों में कोई विघ्न नहीं होता।
3. धरती पर: जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है, तब भद्रा धरती पर निवास करती है, जिससे अशुभ परिणाम हो सकते हैं।
इस बार, 19 अगस्त को चंद्रमा मकर राशि में होगा, जिससे भद्रा पाताल लोक में निवास करेगी और इसके फलस्वरूप इस दिन राखी बांधने के लिए कोई रोक नहीं होगी।
विशेषज्ञों की राय
ज्योतिषाचार्य और धार्मिक विशेषज्ञों के अनुसार, रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के लिए भद्राकाल का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि भद्रा का पाताल लोक में निवास करना मांगलिक कार्यों के लिए शुभ होता है। इस दिन सुबह से लेकर शाम तक राखी बांधी जा सकती है, और यह समय भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाने के लिए आदर्श है।
इसके अलावा, रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के लिए भद्राकाल समाप्त होने का समय भी महत्वपूर्ण होता है। 19 अगस्त को भद्राकाल दोपहर 1 बजकर 31 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, जिससे भाई-बहन की पूजा और राखी बांधने के बाद किसी भी विघ्न की संभावना समाप्त हो जाएगी।
समाप्ति और सुझाव
रक्षाबंधन के इस विशेष दिन को हर्ष और उल्लास के साथ मनाएं। भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत करने के लिए राखी बांधें और इस शुभ अवसर का भरपूर आनंद लें। इस साल भद्राकाल की छाया से मुक्त होने के कारण, आप बिना किसी चिंता के इस पावन दिन को परिवार के साथ खुशी से मन सकते हैं।