नई दिल्ली : अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए की कंपनियां मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को फंडिंग करने में लिप्त हैं। इस काले कारोबार में लगी कंपनियां आतंकवाद को पैसे पहुंचा रही हैं। यह कंपनियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन गई हैं। राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ये अवैध गतिविधियां नागरिकों पर साइबर हमले के खतरे का माहौल भी पैदा कर रही हैं।
150 अरब डॉलर का है ऑनलाइन गेमिंग का बाजार
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान कानूनी और नियामक ढांचा वैध और गैर-कानूनी गतिविधियों में पर्याप्त अंतर नहीं कर पाता है। इससे अवैध ऑनलाइन गेमिंग मंच बेखौफ होकर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग जैसी गैर-कानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रही हैं। भारत में सट्टेबाजी और जुए के बाजार का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है। लेकिन इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट्स सिक्योरिटी की रिपोर्ट के अनुसार, यह बाजार 150 अरब डॉलर का है।
ऑनलाइन गेमिंग के लिए हो रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था
माना जा रहा है कि ऑनलाइन गेमिंग के लिए कंपनियों के पंजीकरण की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि, यह पता चल सके के इस काले कारोबार में कितनी कंपनियां लगी हुई हैं। रजिस्टर्ड कंपनियों पर आसानी से निगाह रखी जा सकेगी। यही नहीं, जब कंपनियों को पता रहेगा कि उनका रजिस्ट्रेशन हुआ है और सरकार उनकी निगरानी कर रही है तो वह कोई भी गैरकानूनी काम करने से हिचकेंगी। इसके अलावा, रजिस्ट्रेशन सिस्टम लागू होने से सरकार को भी इस अवैध कारोबार में लगी कंपनियों पर शिकंजा कसना आसान हो जाएगा। आईटी नियम-2021 ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग और अवैध सट्टेबाजी-जुए में अंतर करता है, लेकिन रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि वैध ऑनलाइन गेमिंग मंचों को श्वेत सूची में डालने के लिए एक पंजीकरण तंत्र बनाना चाहिए।
खुद को ग्रोसरी प्लेटफार्म दिखा रहे अवैध सट्टेबाज
रिपोर्ट में सरकार से ऑनलाइन गेमिंग बिचौलियों के लिए आईटी नियम-2021 को लागू करने की सिफारिश की गई है। ताकि वैध ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी-जुए में कानूनन अंतर किया जा सके। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अवैध ऑनलाइन गेमिंग मंच आरबीआई की उदारीकृत प्रेषण योजना (एलआरएस) का दुरुपयोग कर रहे हैं और खुद को ग्रॉसरी प्लेटफॉर्म के रूप में दिखा रहे हैं। साथ ही, सरोगेट विज्ञापन का उपयोग कर रहे हैं, जिसमें किसी और इमेज के जरिए अपने अन्य उत्पादों का विज्ञापन करते हैं। भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) की रिपोर्ट के अनुसार, अवैध सट्टेबाजी के विज्ञापन सबसे अधिक समस्याग्रस्त श्रेणियों में से एक हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग क्या है?
मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब है अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वैध रूप में दिखाना। इसका उद्देश्य होता है कि गैरकानूनी तरीके से अर्जित पैसे को ऐसा रूप देना कि वह कानूनी और वैध लगे। मनी लॉन्ड्रिंग में पैसे को इस तरह इस्तेमाल किया जाता है कि जांच एजेंसियां भी यह पता नहीं कर पातीं कि असल में पैसा कहां से आया है। इस प्रक्रिया के कारण सरकार को इस पैसे पर कोई टैक्स नहीं मिलता क्योंकि इस धन का कोई रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं होता। मनी लॉन्ड्रिंग शब्द की उत्पत्ति अमेरिका में ‘माफिया समूह’ से हुई थी, जो इस तरीके का इस्तेमाल करते थे।
ऑनलाइन गेमिंग क्या है
केन्द्र सरकार ने अप्रैल 2023 में ऑनलाइन गेमिंग के नए नियम घोषित किए थे। ताकि बैटिंग और जुए को रोका जा सके। इसके लिए सेल्फ रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशन (SRO) का फ्रेमवर्क बनाया गया है। आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि हम ऐसा फ्रेमवर्क बना रहे हैं जो गेम को अनुमति देने या रोकने का काम करेगा। कई SRO बनाए जा सकते हैं। भारत में वे ऑनलाइन गेम खेल सकते हैं जिनमें जुआ या सट्टेबाजी नहीं होती और जो बच्चों में लत नहीं लगाते। SRO इन गेम्स को रेगुलेट करेगा, न कि सरकार। SRO को यूजर्स की सुरक्षा और गेमिंग की लत को रोकने के लिए वेबसाइट पर चेतावनी देनी होगी। यूजर द्वारा खर्च की लिमिट सेट की जाएगी और लिमिट तक पहुंचने पर चेतावनी संदेश भेजे जाएंगे। रीयल मनी का इस्तेमाल करने वाले गेम में KYC वेरिफिकेशन जरूरी होगा। SRO में एक शिक्षाविद, साइकोलॉजी या मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट और चाइल्ड राइट्स प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन का एक सदस्य शामिल होना चाहिए। SRO यह सुनिश्चित करेगा कि रीयल मनी का उपयोग जुए या सट्टेबाजी के लिए न हो। नियमों का उल्लंघन करने पर SRO को डिनोटिफाई कर दिया जाएगा।