जमशेदपुर : 5 अक्टूबर, 2024 को नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे रूप देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। भागवत पुराण में कहा गया है कि देवी मां का चंद्रघंटा रूप कल्याण और शांति का प्रतीक है। ठीक इसी तरह, ब्रह्म, विष्णु और महादेव के मुख से निकलने वाली ज्योत से एक देवी प्रकट हुई थीं। ऐसी मान्यता है कि इनकी विधिवत रूप से पूजा करने से जीवन में शांति आती है और आपका कल्याण होता है। चालिए जानते हैं चंद्रघंटा देवी की पूजा विधि , प्रिया भोग, आदि के बारे में –
नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा विधि :
1) सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण कर लें। गंगाजल का छिड़काव कर लें और शुद्ध हो जाएं।
2) पूजा के लिए एक साफ और शांत स्थान चुनें। जहां कम से कम शोर शराबा हो। ताकि आपकी पूजा में कोई बाधा न आए। फिर पूजा के लिए आसन लगाएं। उस जगह पर भी गंगाजल का छिड़काव कर लें।
3) पूजा स्थल पर दुर्गा मां की मूर्ति या प्रतिमा की स्थापना कर लें। फिर सच्चे मन से मां चंद्रघंटा का ध्यान लगाएं।
4) पूजा के लिए सामग्री इकठ्ठा कर लें : फल, फूल और धूप, दीपक और कपूर। मां के लिए लाल साड़ी और चूड़ियां भी लें।
5) मां की मूर्ति या प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं और उनकी आरती उतारें। उनसे प्रार्थना करें कि वे सर्वदा आपके घर में सुख शांति बनाए रखें।
7)भोग के लिए सामग्री एकत्रिक करें । देवी मां को सेब , नाशपाती और अन्य फलों और मिठाई का भोग लगाएं। देवी मां को उनके पसंद का भोग लगाएं और उनसे मंगलमय जीवन की कामना करते हुए प्रार्थना करें।
8) शाम में उनकी आरती उतारें और मिठाई का भोग लगाएं। उनसे प्रार्थना करें कि उनकी कृपा दृष्टि हमेशा आप पर बनी रहे।
9) गरीबों में खाना और कपड़े दान करें। जानवरों को खाना खिलाएं, इससे आपका पुण्य बढ़ेगा और माता भी आपसे प्रसन्न होगी।