नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे रूप कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्त की सारी मनोवंचाएं पूरी हो जाती हैं। इस दिन भक्तों को पूरे निस्वार्थ भाव से देवी मां की पूजा करनी चाहिए और उनसे प्रार्थना करनी चाहिए।
कैसा होता है मां कुष्मांडा का रूप?
मां कुष्मांडा प्रचंड तेज वाली होती हैं। इनका तेज सूर्य के बराबर माना जाता है। कोई भी देव, देवी या व्यक्ति इनके तेज के सामने नहीं टिक पाता है। माता कुष्मांडा सिंह की सवारी करती हैं। मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं होती हैं। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमलपुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा होता है। वहीं उनके आठवें हाथ में सिद्धिपूर्ण जपमाला होता है। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि बढ़ती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, मां कुष्मांडा की पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 11:40 बजे से दोपहर 12:25 बजे तक रहेगा।
पूजा विधि
1) कुष्मांडा देवी की पूजा करने के लिए सवेरे जल्दी उठ जाएं और साफ कपड़े धारण कर लें। अपने ऊपर गंगाजल का भी छिड़काव कर लें।
2) मंदिर की साफ सफाई कर लें और वहां भी गंगाजल का छिड़काव कर लें। और आसन पर एक aacha sa कपड़ा बिछा दें।
3) आसन पर मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें और हाथ जोड़कर उनकी आराधना करें। इससे उनकी कृपा दृष्टि आपके घर परिवार पर बनी रहेगी।
4) उसके बाद देवी मां का ध्यान कर अक्षत, मौली, लाल रंग के फूल, फल, पान और केसर आदि उनको अर्पित करें। उनको श्रृंगार का सामान भी भेट करें।
5) इसके बाद उनको फल और मिठाई का भोग लगाएं। देवी मां को उनका मनपसंद भोग लगाएं।
6) फिर उनकी धूप और दीप से आरती करें। उनसे प्रार्थना करें कि वे सदा आपके परिवार की रक्षा करें।
7) फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और सप्तशती का भी पाठ करें।