नई दिल्ली : भारत ने खुद को पोलियो मुक्त घोषित किया था। लेकिन, हाल ही में मेघालय में एक नया पोलियो केस सामने आया है। इस मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि यह वैक्सीनेशन डिराइव्ड पोलियो है, न कि जिंदा वायरस के कारण फैला हुआ पोलियो। वैक्सीनेशन डिराइव्ड पोलियो तब होता है जब पोलियो की वैक्सीन में मौजूद कमजोर वायरस का स्ट्रेन संक्रमण का कारण बनता है। यह केस दुर्लभ है और ज्यादातर उन बच्चों को प्रभावित करता है जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है।
पोलियो एक संक्रामक बीमारी है जो पोलियो वायरस के कारण होती है। अधिकांश मामलों में इसके लक्षण हल्के होते हैं। कुछ मामलों में यह गंभीर परिणाम जैसे पैरालिसिस या मृत्यु का कारण बन सकता है। पोलियो के विभिन्न प्रकारों में एबोर्टिव पोलियोमाइलाइटिस, नॉन-पैरालिटिक पोलियोमाइलाइटिस और पैरालिटिक पोलियोमाइलाइटिस शामिल हैं। एबोर्टिव पोलियोमाइलाइटिस में फ्लू जैसे लक्षण होते हैं, जबकि नॉन-पैरालिटिक पोलियोमाइलाइटिस में मस्तिष्क के आसपास सूजन हो सकती है। पैरालिटिक पोलियोमाइलाइटिस में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है, जिससे मांसपेशियां पंगु हो सकती हैं।
पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम तब होता है जब पोलियो के लक्षण संक्रमण के कई सालों बाद फिर से उभरते हैं। पोलियो के अधिकांश मामलों में 95-99% लोग बिना लक्षणों के होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में स्थायी पैरालिसिस और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
पोलियो के इलाज के लिए कोई विशेष दवा नहीं है, लेकिन लक्षणों में राहत के लिए लिक्विड डाइट, हीट पैक, पेनकिलर्स और फिजिकल थेरेपी की जा सकती है। पोलियो से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका वैक्सीनेशन है। बच्चों को बचपन में टीके लगवाए जाते हैं और अगर किसी को बचपन में टीका नहीं लगा है, तो डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस नए केस को लेकर कहा है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है और इस स्थिति को नियंत्रित करने के उपाय किए जा रहे हैं।