नई दिल्ली: एक शिक्षक का दर्जा समाज में सबसे ऊपर का रखा गया है. एक टीचर को हमेशा शिक्षा देने वाला और ज़िन्दगी के उसूल सिखाने वाले के रूप में देखा गया है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ शिक्षक अपने पद का गलत इस्तेमाल कर आपको गलत शिक्षा भी दे देते हैं. ऐसे में स्टूडेंट किताबी ज्ञान लेकर एक काबिल इन्सान तो बन जाता है लेकिन गलत आदतें उसका पीछा नहीं छोड़तीं. आज हम इन्हीं कुछ आदतों के बारे में बात करेंगे जिससे बच्चों को दूर रहना चाहिए :
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: इस मंत्र का अर्थ है कि गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। इसलिए गुरु या कहें शिक्षक का बहुत सम्मान किया जाता है, उनकी अहमियत हर किसी की जिंदगी में अलग-अलग होती है। शिक्षक की हर बात मानने पर जोर भी दिया जाता है। एक शिक्षक की हर आज्ञा का पालन करना हर बच्चे का धर्म है. इसका ये मतलब नहीं कि हम बुरी आदतें भी सीखें. कुछ शिक्षकों का गलत व्यवहार स्टूडेंट के दिमाग पर भी गलत असर करता है। शिक्षक की बुरी आदतों को सीखकर अपनी जिंदगी को बर्बाद कर लेता है।
ये कोई नई बात नहीं है कि कुछ टीचर अलग-अलग बच्चों से अलग-अलग व्यवहार करते पाए जाते हैं. जो बच्चे पढाई लिखाई में ज्यादा तेज़ होते हैं उन्हें टीचर्स ज्यादा मानते हैं. इस केस में बच्चों के मन में भी भेद भाव की भावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं. ऐसा करना सही नहीं है। टीचर के लिए हर बच्चा एक सामान होना चाहिए। ये भेद-भाव की भावना अगर बच्चे में आ जाए तो बच्चा कितना ही काबिल हो जाये वो एक अच्छा इन्सान नहीं बन पाता।
शब्दों का सही चयन बेहद जरूरी
शब्दों का सही रूप से चयन करना बहुत आवश्यक है .टीचर्स कभी -कभी डांटते वक़्त भी अपने शब्दों पर लगाम कसना भूल जाते हैं. क्रोध के वश में आकर वो कभी-कभी ऐसी चीजें बोल जाते हैं जिससे बच्चों के दिमाग पर गलत असर पड़ सकता है. बड़े होकर उसकी पर्सनालिटी भी इस तरह की हो जाती है। वह किसी को सम्मान देना भी जरूरी नहीं समझता है।
शिक्षक समझें, बच्चे समझते हैं प्यार की भाषा
ये कहना गलत नहीं है कि बच्चों को प्यार की भाषा ज्यादा समझ आती है. ये बात कुछ शिक्षकों को समझ नहीं आती. अपनी बात को समझाने के लिए कुछ शिक्षक बार बार गुस्सा करते हैं. उन्हें अपने टोन और बात करने के तरीके पर ध्यान नहीं रहता. ऐसे में बच्चे और टीचर्स के बीच एक टॉक्सिक माहौल बन जाता है. ऐसे में बच्चे को ये लगता है कि अगर कोई बात को न समझे तो चिल्लाना और गुस्सा करना ही सही विकल्प है. बच्चे भी इस तरह के व्यवहार को सीख लेते हैं. भले फिर किसी कंपनी का CEO बन जाएं, लेकिन उसमें बात करने का सलीका नहीं होता है। व्यक्ति कितना ही काबिल क्यों न बन जाये अगर उसमें बात करने का सलीका नहीं हो तो ये सब बेकार है .
बच्चों की बातों पर टीचर को करना चाहिए भरोसा
टीचर्स को हमेशा अपने स्टूडेंट्स की बातों पर विश्वास करना चाहिए. बच्चा अगर अपनी किसी पर्सनल प्रॉब्लम को लेकर जाए तो ये टीचर का फ़र्ज़ है कि वो उसकी बात को सुने और उसकी परेशानी को समझे. कई टीचर ऐसे भी होते हैं जो बच्चों का मजाक बना देते हैं. ऐसे में बच्चे भी यही सीख लेते हैं. उन्हें लगता है वो जो कर रहे हैं वो बिलकुल सही है. ऐसे में बच्चों की मेंटल हेल्थ भी प्रभावित होती है. इस तरह किसी की फीलिंग की कदर ना करके टीचर अनजाने में बच्चों को यही सिखा देते हैं।
तो ये थी वो 4 चीजें जो आपको कभी भी अपने शिक्षक से नहीं सीखनी चाहिए. अगर आप इन आदतों को पालते हैं तो चाहे कितने काबिल बन जाएं पर आप एक अच्छे इन्सान बनने से चूक जाएंगे .