नीट से लाख गुना बेहतर है JEE का परीक्षा मॉडल, इसी मॉडल पर नीट कराने की उठी मांग
नई दिल्ली: नीट यूजी की परीक्षा में पेपर लीक और अन्य कई तरह की गड़बड़ी सामने आने के बाद अब यह परीक्षा चर्चा का विषय बन गई है। हर तरफ नीट परीक्षा के मॉडल पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कई विशेषज्ञों ने नीट की परीक्षा का जोईई से तुलनात्मक अध्ययन भी किया है और बताया है कि जेईई की परीक्षा नीट से लाख गुना बेहतर मॉडल पर हो रही है। चर्चा है कि परीक्षा का आयोजन बेहतर तरीके से किया जाता है। इसलिए लोग कह रहे हैं कि नीट को भी जेईई के मॉडल पर आयोजित करना चाहिए।
ये है नीट का परीक्षा मॉडल
नीट की प्रवेश परीक्षा मेडिकल उम्मीदवारों के लिए सबसे प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षा में एक है। इस साल 2013 में प्री मेडिकल टेस्ट अखिल भारतीय प्री मेडिकल टेस्ट की जगह लाया गया था। जेईई शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए जेईई परीक्षा का आयोजन किया जाता है। नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अरिजीत तोमर कहते हैं कि नीट और जेईई राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं हैं। दोनों का फॉर्मेट अलग-अलग है। नीट का उपयोग ग्रेजुएशन चिकित्सा कार्यक्रम में प्रवेश के लिए होता है। जिसमें भौतिक, रसायन विज्ञान और बायोलॉजी शामिल हैं। इसमें 200 बहुविकल्पीय प्रश्न होते हैं। इनमें से 180 प्रश्नों को 3 घंटे और 20 मिनट के अंदर पूरा करना होता है। हर सही उत्तर के लिए चार अंक दिए जाते हैं। जबकि हर गलत उत्तर के लिए एक अंक काटा जाता है।
जेईई का परीक्षा फॉरमैट
जेईई स्नातक इंजीनियरिंग कार्यक्रम में नामांकन के लिए आयोजित की जाती है। इसे दो चरणों में बांटा गया है। जेईई मेन और जेईई एडवांस्ड। जेईई मैंस में 90 सवाल होते हैं। प्रत्येक विषय से 30-30 सवाल होते हैं। यह विषय गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान हैं। जेईई एडवांस में बहुविकल्पीय संख्यात्मक मान प्रश्न और मिलान प्रकार सहित अलग-अलग प्रश्न होते हैं। नीट जैविक विज्ञान पर जोर देने वाले मेडिकल पाठ्यक्रमों पर केंद्रित है। जबकि जेईई गणितीय जोर देने वाले इंजीनियरिंग डिग्री पर ध्यान केंद्रित करता है। करियर एक्सपर्ट के संस्थापक का कहना है कि नीट और जेईई डॉक्टर इंजीनियर बनने के इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा अपनाए गए शैक्षिक पथ को निर्धारित करने में अलग-अलग भूमिका निभाते हैं। जेईई मॉडल से कुछ बातें सीख कर नीट को बेहतर बनाया जा सकता है। उनका कहना है की प्रॉब्लम सॉल्विंग पर जेईई का ध्यान जटिल परिदृश्य को पेश करके नीट को बेहतर बना सकता है। जेईई के समान बहु सत्र फॉर्मेट से परीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सकती है।