मध्यप्रदेश की अमानवीय परंपरा: कैसे ‘धड़ीचा’ मंडी में महिलाएं बिकती हैं!!”
नई दिल्ली : भारत के मध्यप्रदेश राज्य के शिवपुरी जिले में एक ऐसी प्रथा प्रचलित है, जिसे सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। यहां ‘धड़ीचा’ नाम की एक काफी कंट्रोवरर्शिअल प्रथा के तहत महिलाओं को किराए पर लिया जाता है। यह प्रथा इतनी चौंकाने वाली और अमानवीय है कि इसे जानकर हर कोई दंग रह जाएगा। प्रथा की जड़ों और इसके प्रभावों की गहराई को समझना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केवल महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करती, बल्कि समाज में गहरी विषमता और अन्याय का संकेत भी देती है। धड़ीचा प्रथा के तहत महिलाओं को वस्तु के रूप में देखा जाता है, और उनकी स्वतंत्रता और गरिमा की पूरी तरह से अनदेखी की जाती है। इस प्रथा की जड़ों को समझना और इसे समाप्त करने के लिए प्रभावी कदम उठाना समाज के विकास और महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए बेहद आवश्यक है।
धड़ीचा प्रथा: एक अविश्वसनीय सच
धड़ीचा प्रथा एक प्राचीन परंपरा है जो खासकर मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में प्रचलित है। इस प्रथा के तहत, हर साल एक विशेष समय पर एक मंडी लगाई जाती है, जहां पुरुष महिलाओं और लड़कियों को किराए पर लेने के लिए आते हैं। इस मंडी में महिलाएं न केवल पेश की जाती हैं बल्कि कई प्रकार की व्यक्तिगत और पारिवारिक ज़रूरतों के लिए भी किराए पर ली जाती हैं।
चौंकाने वाले तथ्य
1. कुंवारी लड़कियां भी मंडी में: यह प्रथा केवल विवाहित महिलाओं तक सीमित नहीं है। यहां कुंवारी लड़कियां भी मंडी में ‘प्रस्तावित’ की जाती हैं। इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि महिलाओं को केवल वस्तु के रूप में देखा जाता है, जो किसी भी समाज के लिए बेहद अमानवीय है।
2. महिलाओं की मूल्य का फैसला : मंडी में महिलाओं की कीमत 15 हजार रुपये से शुरू होती है और यह 4 लाख रुपये तक पहुंच सकती है। इस मूल्य का निर्णय महिलाओं की चाल-चलन, रूप-रंग, और ‘मांग’ के आधार पर किया जाता है। यह बात दर्शाती है कि महिलाओं को वस्तु के रूप में देखा जाता है और उनकी मानवता की अनदेखी की जाती है।
3. एग्रीमेंट की प्रक्रिया: पुरुष महिलाओं को किराए पर लेने के लिए 10 रुपये से लेकर 100 रुपये तक के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट करते हैं। इस एग्रीमेंट में दोनों पक्षों की शर्तें शामिल होती हैं, लेकिन यह केवल एक फॉर्मेलिटी होती है, क्योंकि महिलाओं की स्थिति और अधिकारों की अनदेखी की जाती है।
4. किराए पर लेने की विचित्र वजहें: पुरुष महिलाओं को कई उद्देश्यों के लिए किराए पर लेते हैं, जैसे मां की सेवा, शादी का दिखावा, या सामाजिक स्थिति को बेहतर दिखाना। यह प्रथा महिलाओं की गरिमा और स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है और उन्हें केवल एक उपकरण के रूप में पेश करती है।
5. महिलाओं के अधिकार और कठिनाइयां: यदि कोई महिला एग्रीमेंट से असंतुष्ट है, तो उसे एग्रीमेंट तोड़ने के लिए स्टांप पेपर पर शपथपत्र देना होता है और तय राशि वापस करनी होती है। यह प्रक्रिया जटिल और तनावपूर्ण होती है, और इसमें महिलाओं की स्वतंत्रता की अनदेखी की जाती है। कई बार महिलाएं बेहतर ऑफर मिलने पर भी एग्रीमेंट तोड़ देती हैं, जिससे उनकी स्थिति और कठिनाइयां और बढ़ जाती हैं।
6. स्थानीय विरोध और कानूनी स्थिति: इस प्रथा के खिलाफ कुछ स्थानीय संगठनों और अधिकार समूहों ने आवाज उठाई है, लेकिन ठोस कानूनी कार्रवाई अभी भी अपर्याप्त है। मध्यप्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस प्रथा को रोकने के प्रयास किए हैं, लेकिन प्रथा की गहराई और स्थानीय समाज की परंपराओं के कारण प्रभावी समाधान अभी भी दूर है।
7. समाज पर प्रभाव: धड़ीचा प्रथा न केवल महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाती है, बल्कि यह समाज में नकारात्मक संदेश भी फैलाती है। यह प्रथा महिलाओं को वस्तु के रूप में देखती है और उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है, जिससे समाज में गहरी विषमता और अन्याय की स्थिति उत्पन्न होती है।
धड़ीचा प्रथा एक ऐसी सामाजिक कुप्रथा है, जो मानवता और समानता के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है। यह प्रथा महिलाओं की मानवीय गरिमा को ठेस पहुंचाती है और समाज की उन्नति और समरसता के लिए बाधक है। इसे समाप्त करने के लिए समाज को जागरूक और सक्रिय होना पड़ेगा, और कानून को इस पर प्रभावी कार्रवाई करनी होगी।