नई दिल्ली: रणनीतिक प्रभाव के लिए भारत और चीन के बीच हिन्द महासागर क्षेत्र में बड़ा खेल जारी है। इसके अलवा दोनों देशों के बीच एलएसी पर विवाद जारी है। एक अग्रिम भारतीय युद्धपोत, गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मुंबई की डॉकिंग सोमवार 26 अगस्त की सुबह कोलोंबो में हुई। चीन के तीन युद्धपोत भी समय पर कोलंबो पहुंचे। इससे पडोसी देश में हलचल तेज हो गई है। कुछ समुद्री डकैती रोधी चीनी युद्धपोतों में एस्कॉर्ट फोर्स का हिस्सा हैं। भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान के अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार पहले की तुलना में हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी युद्धपोत बहुत अधिक समय तक रह रहे हैं।
चीन के तीन युद्धपोत कोलंबो पहुंचे
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति और लॉजिस्टिक बदलाव सुविधाओं की मांग ने भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती खाड़ी कर दी है। भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने बताया कि भारत को पाकिस्तान पर नजर रखने और चीन की गतिविधियों को रोकने के लिए अपनी 140 युद्धपोतों की क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है। भारतीय नौसेना ने हाल ही में तीन चीनी युद्धपोतों—विध्वंसक हेफेई, लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक वुझिशान और कियानशान—के हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश और कोलंबो में डॉकिंग के समय पर कड़ी नजर रखी। इन युद्धपोतों पर कुल 1,500 कर्मियों का दल तैनात है।
आईएनएस मुंबई का श्रीलंका में स्वागत
श्रीलंका ने भारतीय युद्धपोत आईएनएस मुंबई का स्वागत किया। इसकी कमान कैप्टन संदीप कुमार के पास है। उनके साथ 410 नाविकों का दल है। चीनी युद्धपोतों का भी श्रीलंका में नौसैनिक परंपराओं के अनुसार स्वागत किया गया। आईएनएस मुंबई और चीनी युद्धपोतों के लिए श्रीलंकाई युद्धपोतों के साथ अलग-अलग ‘पैसेज एक्सरसाइज’ आयोजित की जाएगी। भारत ने मालदीव में बीजिंग के खिलाफ हार के बाद श्रीलंकाई सरकार के साथ रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए और अपने सैन्य कर्मियों को एक डोर्नियर विमान और दो उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर संचालित करने के लिए वापस लिया। अब, कोलंबो में चीनी युद्धपोतों की डॉकिंग भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि भारत ने पहले श्रीलंका में चीनी युद्धपोतों की उपस्थिति का विरोध किया था।
श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव पर निगाहें
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव 21 सितंबर को होने जा रहे हैं। इस पर सबकी नजरें टिकी हैं। भारत के दृष्टिकोण से, राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे नेशनल पीपुल्स पावर के अनुरा कुमारा दिसानायके से बेहतर विकल्प माने जा रहे हैं। क्योंकि, दिसानायके को चीन समर्थक के रूप में देखा जाता है। चीन, जो 360 से अधिक युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना रखता है। हिंद महासागर में अपने “पानी के नीचे के डोमेन जागरूकता” को लगातार मजबूत कर रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, चीन इस क्षेत्र में सर्वेक्षण और रिसर्च जासूसी जहाजों की स्थायी तैनाती के माध्यम से समुद्र विज्ञान और पनडुब्बी संचालन के लिए महत्वपूर्ण डेटा को मैप कर रहा है।
चीन-पाकिस्तान नौसैनिक सहयोग से चिंता बढ़ी
एक अधिकारी ने बताया कि समुद्री क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती मिलीभगत भारत के लिए चिंता का विषय बन गई है। चीन पाकिस्तान को एक मजबूत नौसेना बनाने में सहयोग कर रहा है। इसमें चार टाइप 054A/P मल्टी रोल फ्रिगेट्स पहले ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं। आठ युआन-क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां भी पाइपलाइन में हैं। अधिकारी ने कहा कि 2028-29 तक, पाकिस्तान की नौसैनिक ताकत भारत के पश्चिमी नौसैनिक कमान के बराबर हो सकती है।