फ्यूचर में रोबोट्स से हो पाएगी शादी!’चौंका देगा साइंटिस्ट का यह रिसर्च
कुछ समय पहले ही शाहिद कपूर और कृति सैनन की फिल्म ‘तेरी बातों में उलझा जिया’ अपने यूनिक कॉन्सेप्ट की वजह से खासी पॉप्युलर हुई थी। फिल्म में हीरो एक रोबोट के पीछे दिल गंवा बैठता है। अब जरा सोचें, असल जिंदगी में क्या किसी रोबोट से प्यार या शादी संभव है? लेकिन हालिया हुए रिसर्च में साइंटिस्ट्स ने यह खुलासा किया है कि भविष्य में रोबोट हमारे लाइफ पार्टनर बन सकते हैं। है ये न दिलचस्प बात.. हालांकि इसकी कितनी वास्तविकता है, आईए जानते हैं इस रिपोर्ट में…
रोबोटिक पार्टनरशिप: कहानी या हकीकत?
साइंटिस्ट्स का मानना हैं कि रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में हो रही तेजी से प्रगति के कारण जल्द ही रोबोट हमारे जीवनसाथी बन सकते हैं। इसके पीछे कुछ खास कारण हैं:
1.इमोशनल अंडरस्टैंडिंग :
आज के रोबोट इंसानों की भावनाओं को पहचान और समझ सकते हैं। वे न केवल भावनाओं को समझते हैं बल्कि उनके अनुसार परफॉर्म भी कर सकते हैं। जैसे कि ह्यूमनॉइड रोबोट सोफिया हंसने,रोने और मजाक करने में सक्षम है।
2.अकेलेपन से छुटकारा :
आजकल यूथ के बीच अकेलापन और सोशल ऑकवर्डनेस एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि रोबोट्स अकेलेपन का एक अच्छा समाधान हो सकते हैं। रोबोट न केवल कंपनी दे सकते हैं बल्कि इमोशनल सपोर्ट भी दे सकते हैं, जिससे लोगों के मेंटल और इमोशनल हेल्थ में सुधार हो सकता है।
3.रोबोट्स आपके पसंद के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं :
रोबोट को आपकी पसंद, नापसंद और आदतों के अनुसार बदला जा सकता है। इससे एक ऐसा साथी मिल सकता है, जो पूरी तरह से आपकी जरूरतों के अनुसार हो।जैसे-जैसे तकनीक बढ़ रही है, रोबोट और भी ज्यादा नैचुरल और इंसान जैसे होते जा रहे हैं।
अब इसकी वास्तिवकता पर आते हैं..
क्या रोबोट वास्तव में इंसानी भावनाओं को समझ सकते हैं और उन्हें महसूस कर सकते हैं? इंसानी रिश्तों में जो गहराई और स्ट्रेंथ होती है, क्या वह रोबोटिक रिलेशन्स में संभव है? इस संदर्भ में,ये नैतिक सवाल उठते हैं कि क्या रोबोट के साथ संबंध बनाना इंसानों के साथ संबंध बनाने जितना ही सही है। सोसायटी के स्टीरियोटाइप को क्या ये टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट जस्टिफाई कर पायेगी ?
आइए इस इन्वेंशन पर एक ज्यूडिशियरी एंगल देखे :-
रोबोटिक पार्टनरशिप के कानूनी अधिकार और जिम्मेदारियों को कैसे डिफाइन किया जाएगा? विवाह,विरासत और अन्य कानूनी मुद्दों को कैसे सुलझाया जाएगा?
कानूनी तौर पर,यह एक नया क्षेत्र होगा जिसमें कई पेचीदा सवाल होंगे जिनका हल करना आवश्यक होगा।
1. इस टेक्नोलोजी का हमारे समाज पर क्या असर होगा?
2. क्या यह तकनीकी प्रगति समाज को और भी अधिक अकेला और अलग-थलग कर देगी? क्या यह सदियों से चलती आ रही ह्यूमन रिलेशन और परिवार की संरचना को प्रभावित करेगा?
3. इस बदलाव का हमारे समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या हम एक रोबोटिक साथी के साथ सोशल और इमोशनल स्टेबिलिटी रख सकेंगे?
4. सवाल ये उठता है कि क्या समाज में रोबोटिक जीवनसाथी को स्वीकारा जाएगा? क्या उन्हें भी इंसानों के तरह समान अधिकार और सम्मान मिलेगा?
क्या इंसानी रिश्तों के लिए खतरनाक?
तो आपको बता दें कि शुरू में समाज रोबोटिक जीवनसाथियों को संदेह और प्रतिरोध के साथ देख सकता है। कई लोग इसे इंसानी रिश्तों के लिए खतरा भी मान सकते हैं पर जैसे-जैसे लोग रोबोटिक जीवनसाथियों के साथ अधिक समय बिताएंगे और उनके लाभों को समझेंगे तो उनकी एक्सेप्टेंस बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए,जापान और कुछ अन्य देशों में रोबोटिक साथी पहले से ही लोकप्रिय हो रहे हैं। हमारी करंट जनरेशन और यूथ जो तकनीकी प्रगति के साथ पली-बढ़ी है वे रोबोटिक जीवनसाथियों को अधिक जल्दी स्वीकार कर सकती है वहीं पुरानी पीढ़ी को इसे स्वीकार करने में अधिक समय लग सकती है क्योंकि वे पारंपरिक इंसानी रिश्तों में अधिक विश्वास रखते हैं। भारत की पारंपरिक समाज,जहां रिश्तों और परिवार की संरचना को बहुत महत्व दिया जाता है,वहां लोगों को रोबोटिक जीवनसाथियों को स्वीकार करने में मुश्किल हो सकती है।
जापान और अमेरिका में पॉप्युलर हो रहा है यह कल्चर
जापान और दक्षिण कोरिया में रोबोटिक साथी पहले से ही समाज में अपना स्थान बना रहे हैं। इन देशों में, रोबोटिक पेट्स और पार्टनर्स लोकप्रिय हो रहे हैं, ज्यादातर बूढ़े लोगों के बीच। यूरोप और अमेरिका में भी रोबोटिक साथी को बढ़ावा दिया जा रहा है और इनकी स्वीकृति धीरे-धीरे बढ़ रही है। इंसान और रोबोट के बीच भावनात्मक जुड़ाव की गहराई और सच्चाई पर सवाल उठाए जा सकते हैं।
खुद को कर लें तैयार..
रोबोटिक जीवनसाथियों के बढ़ने से पारंपरिक सामाज के ढांचे और रिश्तों पर प्रभाव पड़ सकता है। जीवन की पहचान बदलाव और बढ़ावे से है। आने वाले समय में हमें हर छोटी चीजों में एडवांसमेंट के लिए तैयार रहना होगा वरना इस बढ़ती और रफ़्तार से चलती जीवन में हम पीछे छूट जायेंगे। आने वाले कुछ सालो में AI की डेवलपमेंट कुछ इस प्रकार होगी कि वो इंसानो को बहुत ही आसानी से रिप्लेस कर देगा । पर हम इंसानो को भगवान का सबसे बड़ा वरदान है हमारे दिमाग और हमारी नेचुरल और ह्यूमन इमोशनल अंडरस्टैंडिंग। रोबोटिक जीवनसाथियों की स्वीकृति और उन्हें इंसानों के समान अधिकार और सम्मान देने का सवाल एक जटिल और एक कंट्रोवर्सियल विषय है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि समाज,कानून और नैतिकता इस नई प्रगति के साथ कैसे तालमेल बैठाते हैं।