नई दिल्ली: दरिंदगी, मानसिक गंदगी और आपराधिक सोच ये सभी आजकल चरम पर है। यूं समझिए कि इस खूबसूरत संसार में रहने वाले कुछ लोग ऐसे हैं जिनसे आजकल हर बेटियों को डर लगने लगा हैं। वे स्कूल, कॉलेज और दफ्तर जा तो जा रही हैं। लेकिन उन्हें इन दिनों अखबारों और टीवी में चल रहे दरिंदगी की खबरों ने परेशान कर दिया है। आजकल पेरेंट्स के मन में सिर्फ और सिर्फ एक ही डर रहता है कि जो उन्होंने अखबारों की हेडलाइन में पढ़ा है या जो खबरें टीवी चैनलों पर चल रही हैं कहीं इन खबरों में अगला नाम उनके बच्चे का तो नहीं आएगा ? कहीं सरे राह उनके बच्चों के साथ दरिंदगी तो नहीं हो जाएगी ? आखिर ऐसा क्या हुआ है जो इस समाज को कुछ लोग गंदा कर रहे हैं, इसके साथ ही डर-भय बढ़ गया है और हर शहर, हर चौक-चौराहे और गलियों में असुरक्षा का माहौल बन गया है। क्या हमारी शिक्षा इतनी कमजोर हो गई है कि समाज में सभ्यता एक गाली बन कर रह गई है, क्या प्रशासन कमजोर हो गया है या कानून का डर अब दरिंदों में नहीं रहा। आखिर कौन मौन हैं इसको लेकर और कौन हैं जो निडर अपराध को आगे बढ़ा रहा है ? इस दरिंगी से तो अब बच्चे भी अछूते नहीं रहे। समाज के कीड़े-मकोड़ों ने उन्हें भी नहीं छोड़ा। आज हमें मंथन करना होगा और जो सोशल साइट्स पर अश्लीलता फैलाई जा रही है। इस पर लगाम लगाने की बात होनी चाहिए।
हर 15 मिनट में हर एक बच्चे के साथ यौन शोषण
नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो की 2023 की रिपोर्ट पर नजर डाले तो भारत में हर 15 मिनट में एक बच्चे का यौन शोषण होता है। इसके साथ ही देश के लगभग 25 करोड़ से ज्यादा बच्चे यौन शोषण के खतरे में अपनी जिंदगी जी रहे है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार पूरी दुनिया के 19 प्रतिशत बच्चे भारत में रहते है। इसके साथ ही देश के लगभग 48 करोड़ बच्चों की उम्र 18 साल से कम है। बच्चे हमारी देश के कुल आबादी का 34 प्रतिशत है। सरकारी रिपोर्ट उठाकर देखें तो ये मालूम होता है कि देश में 3 प्रतिशत से भी कम चाइल्ड एब्यूज के मामले पुलिस में रिपोर्ट होते है। इसके साथ ही अगर सर्वे की रिपोर्ट पर नजर डालें तो यह पता चलता है कि देश के 53 प्रतिशत बच्चे सेक्शुअल असॉल्ट और एब्यूज के खतरे में है।
हर ढाई घंटे पर 16 साल से कम उम्र के बच्चे का होता है रेप
रोस्ट्रम लीगल रिपोर्ट के अनुसार देश में हर ढाई घंटे पर 16 साल से कम उम्र के बच्चे का रेप होता है। चाइल्ड राइट्स एंड यू ने एनसीआरबी की डाटा की मदद से एक रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट में पाया गया कि साल 2016 से 2022 के बीच 96 प्रतिशत की बढ़ोतरी बच्चों के साथ रेप की घटना में हुई है। वहीं साल 2022 में चाइल्ड रेप और पेनेट्रेटिव असॉल्ट के 38911 मामले दर्ज किए गए। वहीं साल 2021 में यह आंकड़ा 36381 था।
18 साल से कम उम्र के हर दो में से एक बच्चे के साथ सेक्शुअल एब्यूज की घटना हुई
अगर हम इंडिया टूडे की रिपोर्ट पर नजर डालें तो ये पता चलता है कि भारत में 18 साल से कम उम्र के हर दो में से एक बच्चे के साथ सेक्शुअल एब्यूज की घटना हुई है। इसके साथ ही ज्यादातर मामलों में ये देखा गया कि घटना को अंजाम देने वाले परिवार और जान पहचान के लोग थे।
साल 2012 में बना पॉक्सो कानून
भारत में बच्चों के सेक्शुअल एब्यूज के खिलाफ सरकार ने साल 2012 में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्स यानी पॉक्सो कानून बनाया गया। वहीं पॉक्सो अमेडमेंट ऐक्ट 2019 के अनुसार इसमें कम से कम 7 से 12 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही अगर कोई 16 साल से कम उम्र के बच्चे को पेनेट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट करता है तो 20 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है। अगर हम पॉक्सो के मामलों की बात करें तो कानून मंत्रालय के अनुसार 31 दिसम्बर 2023 तक 2 लाख से ज्यादा पॉक्सो के मामले कोर्ट में पेंडिंग है।
सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में पॉक्सो के पेंडिंग मामले
उत्तर प्रदेश में पॉक्सो के 84778 मामले पेंडिंग चल रहे है। वहीं बिहार की बात की जाए तो बिहार में 17716, मध्य प्रदेश में 10193 और राजस्थान में 6122 केसेस पेंडिंग बताए जा रहे है। वहीं दिसम्बर 2023 तक पॉक्सो के 2 लाख 14 हजार मामलों का निपटारा भी किया गया है।
आखिर कब मिलेगा न्याय ?
देश भर में रेप के मामले लाखों की संख्या में दर्ज है। वहीं कई मामले तो अदालत तक पहुंच भी नहीं पाते है। पीड़ित के परिजन न्याय की उम्मीद में कोर्ट और थानों के चक्कर लगाते रहते है। लेकिन न्याय तो मानों सुस्त व्यवस्था की भेंट चढ़ गई है। मामलों में 10-10 साल बाद फैसले आते है और न्याय की प्रतीक्षा में पीड़ित और उसके परिजन दम तोड़ देते हैं।