नई दिल्ली: आजकल हर सुविधाएं एक क्लिक पर मौजूद हैं। आपको चाहे शॉपिंग करनी हो या खाना अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट से घर मंगवाना हो। एक क्लिक किया और आपका सामान आपके पास पहुंच गया। तो ऐसे में फिर हमारी यात्रा कैसे रुक सकती है। यहां यात्रा से तात्पर्य लंबी सफर का नहीं है। यहां यात्रा का मतलब हमारे अपने शहर की लोकल यात्रा है, जिसमें उदहारण के लिए आप घर से दफ्तर और दफ्तर से घर की यात्रा को मान लीजिए। एक क्लिक पर कई सुविधाएं उपलब्ध होने से हमारी जिंदगी तो आसान हुई है। लेकिन, क्या कभी आपने ये सोचा था कि शहरों में लोकल यात्रा के लिए चलने वाली काली-पीली टैक्सी की जगह एक ऐसी कंपनी लेगी जो अपनी सर्विस बाइक के जरिये देगी। हम आज बात करने जा रहे हैं। एक ऐसी कंपनी के बारे में जिसके फाउंडर ने इसका सपना देखा और इसे हकीकत का आकार भी दिया।
मिली थी नेगेटिव पब्लीसिटी
हम सभी ने कभी न कभी तो बाइक टैक्सी रैपिडो का इस्तेमाल किया ही है। रैपिडो वही कंपनी है जो अपने यात्रियों को कम पैसे में बाइक और टैक्सी की सर्विस देती है। इसके साथ ही यह देश की पहली बाइक टैक्सी है, जिसे मार्केट में उतरने के बाद मोटर एक्ट फ़ॉलो न करने की वजह से नेगेटिव पब्लिसिटी मिली थी। इसके साथ ही 2019 में तमिलनाडु में कंपनी की व्हीकल भी जब्त की गई थी।
कैसे शुरू हुई रैपिडो ?
ये बात साल 2015 की है, बेंगलुरु में पवन गुंटुपल्ली, अरविंद संका और एसआर ऋषिकेश ने इस कंपनी की शुरुआत की। रैपिडो कंपनी शुरू करने का आईडिया पवन गुंटुपल्ली का था। पवन का जन्म तेलंगाना में हुआ था। वहीं उनके पिता किसान थे और इसके साथ ही वो बिजनेस भी करते थे। पवन के पिता अक्सर उन्हें कहते थे कि बेटा सिर्फ दूसरों की भलाई के लिए काम करना, सक्सेस मिलेगी। पवन ने इसी से इंस्पायर हो कर अपना आगे का सफर तय किया। पवन ने आईआईटी खड़गपुर से अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर उन्होंने साउथ कोरिया में सैमसंग कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपर की नौकरी की। लेकिन मन कहां नौकरी में लगने वाला था। पवन ने नौकरी छोड़ दी और वापस अपने वतन लौट आए।इसके बाद उन्होंने अपने स्कूल के दोस्त अरविंद संका के साथ मिलकर ‘द कैरियर’ नाम की कंपनी शुरू की। यह कंपनी इंटरसिटी लोजिस्टिक्स की सर्विस देती थी। लेकिन पैसों की कमी की वजह से यह कंपनी बंद हो गई। इसके बाद भी पवन ने कई स्टार्टअप शुरू किए, लेकिन वह नहीं चली और पैसों की तंगी हो गई। इसके साथ ही कहीं भी आना-जाना होता तो ट्रैफिक की समस्या से समय की बर्बादी होती। पवन को यहीं से रैपिडो शुरू करने का आईडिया आया।
पवन ने अरविंद संका और एसआर ऋषिकेश के साथ मिलकर रैपिडो की शुरुआत की। कंपनी के शुरुआत में तीनों फाउंडर कैप्टन बन कर खुद ही राइड दिया करते थे। यह प्रयोग सफल साबित हुआ और लोगों को रैपिडो की सर्विस बेहद पसंद आई। इसके साथ ही बाद में जब कंपनी की डिमांड बढ़ी तो रैपिडो ने ऑटो रिक्शा की सेवा को भी शुरू कर दिया।
रैपिडो सबसे पहले कहां हुआ लॉन्च
2015 में सबसे पहले रैपिडो को बेंगलुरु में ‘राइड सोलो’ की टैग लाइन के साथ लॉन्च किया गया था। इसके बाद 2016 में हीरो मोटर कॉर्प के सिईओ पवन मुंजाल ने रैपिडो में निवेश किया। इसके बाद कंपनी ने टियर 2 और टियर 3 शहरों में अपना फोकस किया, जिससे कंपनी की वैल्यूशन बढ़ गई।
B2C बिजनेस मॉडल फॉलो करती हैं रैपिडो
रैपिडो कैप्टन और कस्टमर के बीच इंटरमीडिएट का काम करके पैसा कमाती है यानी कि कंपनी बी टू सी मॉडल को फॉलो करती है। बता दें कि कंपनी कुल किराए का 20 प्रतिशत कमिशन के रूप में लेती है।
आज रैपिडो 1 लाख 50 हजार से ज्यादा बाइक टैक्सी के साथ दे रही सर्विस
साल 2021 में कोविड के दौरान कंपनी की रेवन्यू में 12.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके साथ ही के. स्नेहा रैपिडो की पहली महिला कैप्टन बनीं। बेंगलुरु से शुरू हुई यह कंपनी आज पुरे देश के 100 शहरों में 1 लाख 50 हजार से ज्यादा बाइक टैक्सी के साथ अपनी सर्विस दे रही है। कंपनी मुंबई, दिल्ली, कोलकाता के साथ ही जमशेदपुर जैसे शहरों में भी अपनी सर्विस दे रहीं है। इसके साथ ही यह देश की नंबर 1 बाइक टैक्सी कंपनी है।
दिल्ली और महाराष्ट्र में रैपिडो की सर्विस को किया गया था बैन
कई चुनौतियों का सामना करने के बाद आज कंपनी ने खुद को उस मकाम पर पहुंचा लिया है, जहां पहुंचना हरेक स्टार्टअप का सपना होता है। आज रैपिडो 6900 करोड़ की कंपनी बन गई है। इसके साथ ही हाल ही में कंपनी ने वेस्टब्रिज कैपिटल के 1 हजार करोड़ के निवेश के हासिल कि और यूनिकॉर्न की श्रेणी में भी शामिल हो गई। बता दें कि दिल्ली और महाराष्ट्र में तो कंपनी को बैन तक कर दिया गया था।
पवन गुंटुपल्ली खुद बुक करते हैं रोजाना 2 से 3 राइड
पवन गुंटुपल्ली कंपनी की बेहतर सर्विस और ग्रोथ के लिए रोजाना खुद 2 से 3 राइड बुक करते हैं। पवन कभी कस्टमर के तौर पर तो कभी कैप्टन के तौर पर समस्या को समझने की कोशिश करते हैं, जिससे समस्याओं का हल निकालकर कंपनी की ग्रोथ को बढ़ाया जा सके।