गहरे समुद्र में ‘डार्क ऑक्सीजन’ का लगा पता , वैज्ञानिकों को भी हैरानी
नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने गहरे समुद्र में एक रहस्यमय ‘डार्क ऑक्सीजन’ की खोज की है। ये खोज वैज्ञानिक समुदाय में चर्चा का केंद्र बन गया है। इस खोज के बारे में जानकारी नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुई है। इसमें बताया गया है कि प्रशांत महासागर के निचले भाग में अंधेरे में भी ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। यह खोज उस सिद्धांत को चुनौती देती है जो सदियों से मानता आया है – कि ऑक्सीजन का उत्पादन केवल प्रकाश संश्लेषण के जरिए ही संभव होता है।
खोज की महत्वपूर्ण बातें
1. *डार्क ऑक्सीजन का खोजना:* वैज्ञानिकों ने समुद्र के 4,000 मीटर (13,100 फीट) नीचे ‘डार्क ऑक्सीजन’ का प्राकृतिक उत्पादन पाया है। यहां आधेरे में इतनी गहराई पर भी ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जो वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बन गया है।
2. *सूरज की रोशनी के बिना ऑक्सीजन का उत्पादन:* इस खोज ने सिद्ध किया है कि यहां पौधों के लिए प्रकाश संश्लेषण करने के लिए पर्याप्त सूरज की रोशनी नहीं होती, फिर भी ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है।
3. *नई वैज्ञानिक बहस की शुरुआत:* इस रिसर्च से पता चलता है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत के लिए अब एक नई बहस छिड़ सकती है। यह जीवन के उत्पादन की समझ को विस्तार से समझने में मदद कर सकता है।
इस खोज ने वैज्ञानिकों को विश्वास के सिद्धांतों पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित किया है और उन्हें अद्वितीय जलवायु शर्तों में ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए एक नया संभावित मेकेनिज़्म प्रस्तुत कर रहा है। इस रिसर्च की गहराई और आंधेरापन में ऑक्सीजन की उत्पादन की समझ अब नए दृष्टिकोण से समझने के लिए वैज्ञानिक समुदाय को आगाह कर रही है।
रिसर्च के बाद तैर रहे कई सवाल
गहरे समुद्र में हो रही डार्क ऑक्सीजन की खोज ने वैज्ञानिक समुदाय को एक नया सवाल प्रस्तुत किया है। नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित इस रिसर्च में बताया गया है कि समुद्र के 4,000 मीटर (13,100 फीट) नीचे डार्क ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जो कि अनुप्राणियों के लिए सुविधाजनक नहीं होना चाहिए।
रिसर्च की महत्वपूर्ण बातें:
डार्क ऑक्सीजन की प्रक्रिया: रिसर्च में बताया गया है कि ऑक्सीजन धातु के नोड्यूल्स से निकलती है, जो कोयले के ढेर के समान होते हैं। ये नोड्यूल्स H2O अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बांटते हैं।
सूरज की रोशनी के बिना ऑक्सीजन का उत्पादन: रिसर्च के सहलेखक एंड्रयू स्वीटमैन ने बताया कि गहरे समुद्र में यह प्रक्रिया उत्पन्न हो रही है, जहां पर सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती है।
नई सोच की शुरुआत: यह रिसर्च वैज्ञानिकों को ग्रह पर जीवन के उत्पादन के लिए नए सवाल उठाने पर मजबूर कर रही है। इससे समझ में आया है कि पृथ्वी की ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रकाश संश्लेषक जीवों से नहीं, बल्कि समुद्र से भी हो सकती है।
वैज्ञानिकों की हैरानी: यह रिसर्च वैज्ञानिकों को अद्वितीय और गहरे समुद्र की अनदेखी प्रक्रियाओं पर सोचने पर मजबूर कर रही है। इससे जीवन के उत्पादन की समझ में नई दिशाएँ खोली गई हैं।
नए सवाल, नए जवाब:
यह रिसर्च स्वीटमैन के अनुसार 2013 में फील्डवर्क के दौरान एक ऐसी घटना की याद दिलाती है, जब शोधकर्ता क्लेरियन क्लिपर्टन समुद्र तल के पारिस्थितिकी तंत्र की अध्ययन कर रहे थे। उन्होंने समझाया कि समुद्र के नीचे 4,000 मीटर की गहराई में नई प्रक्रिया का खुलासा करने से पृथ्वी के जीवन की शुरुआत के संबंध में एक नया सवाल उठता है। यह रिसर्च वैज्ञानिकों को समुद्र तल की अद्वितीयता पर विचार करने पर मजबूर कर रही है, जहां वे जीवन के उत्पादन की समझ को लेकर नई बहस छिड़ने में व्यस्त हैं।