नई दिल्ली : पूरी दुनिया आज चीन की अर्थव्यवस्था का लोहा मानती है, लेकिन एक समय था जब चीन की गिनती गरीब देशों में की जाती थी. अमेरिका के बाद दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति चीन एक वक्त इतना गरीब था कि चीनी प्रधानमंत्री को विदेश यात्रा के लिए भारत से विमान किराए पर लेने पड़ते थे. आपको ये जानकर कर गर्व होगा कि चीन को किराए पर विमान देने वाले का शख्स नाम था जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा जिन्हें हम सभी जेआरडी टाटा के नाम से जानते हैं।
चीन के प्रधानमंत्री चू ऐन ने पहली बार 1954 के मध्य में टाटा से किराए पर विमान लिया था। उस वक्त वो भारत आ कर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु से मिलने के लिए भारत आने वाले थे. चीनी प्रधानमंत्री चू ऐन उस वक्त पत्र लिखकर जेआरडी टाटा से विमान उपलब्ध कराने की गुजारिश की थी. आपको ये जानकार भी हैरानी होगी कि उस वक्त भारत सरकार के पास भी कोई अपना विमान नहीं था. हालांकि भारत सरकार में विमानन विभाग तो था लेकिन विभाग का काम सर्टिफिकेट, लाइसेंस आदि देने तक ही सीमित था।
महज 15 साल की उम्र में जेआरडी टाटा ने उड़ाया था विमान
हवाई उड़ानों का जेआरडी टाटा को बचपन से ही बड़ा शौक था। उन्होंने 1919 में शौकिया तौर पर पहली बार हवाई जहाज उड़ाया था और उस वक्त उनकी उम्र महज 15 साल थी। लेकिन उन्हें पायलट के आधिकारिक लाइसेंस के लिए 1 दशक तक का इन्तजार करना पड़ा और साल 1929 में आखिरकार उन्हें पायलट का लाइसेंस मिल ही गया। इसके साथ ही वह पायलट का लाइसेंस हासिल करने वाले पहले भारतीय भी बने। इसके बाद 1932 में उन्होंने टाटा एयरलाइंस की नींव रखी. जेआरडी टाटा को भारत में सिविल एविएशन के पितामह का दर्जा भी दिया गया है।
1938 में टाटा ग्रुप के बने चेयरमैन
जेआरडी टाटा की उम्र जब 34 साल थी तब वे टाटा ग्रुप के चेयरमैन बन गए थे। साल 1938 में वे टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने और साल 1991 तक वे इस पद पर रहे। आपको बता दें कि सरकार ने अब तक सिर्फ एक ही उद्योगपति को भारत रत्न दिया है। उस व्यक्ति का नाम है जेआरडी टाटा। विमान सेवा के सर्वेसर्वा उस समय जेआरडी टाटा ही थे। वहीं एयर इंडिया सिर्फ निगम के तौर पर ही काम करता था। जेआरडी टाटा ने एक पत्र प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘मुझे खुशी है कि चीन के प्रधानमंत्री के लिए हमने जिस उड़ान की व्यवस्था की थी, वह ठीक रही। चीन के प्रधानमंत्री ने हमारी सेवा की प्रशंसा की’। इस पत्र से भी यह साफ़ जाहिर होता है कि चीन के प्रधानमंत्री के लिए टाटा ने ही विमान उपलब्ध कराया था।
IAS के तर्ज पर 1956 में जेआरडी टाटा ने TAS का किया था आगाज
जेआरडी टाटा ने कॉरपोरेट जगत में कई क्रांतिकारी सुधार एवं बदलाव किए। इसके साथ ही उन्होंने कुल 14 नई कंपनियों की भी शुरुआत की। टीसीएस, टाटा मोटर्स, टाटा सॉल्ट और टाइटन जैसी सफल कंपनियों के नाम उनके द्वारा शुरू किए गए कंपनियों में शामिल है. वहीं जेआरडी बहुत ही सरल स्वभाव के थे। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि वे अपने ग्रुप के कर्मचारियों को हमेशा परिवार का हिस्सा समझते थे। वहीं 1956 में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की तर्ज पर टाटा प्रशासनिक सेवा (TAS) का आगाज किया। TAS का मकसद युवा प्रतिभाओं को ट्रेनिंग देकर टाटा ग्रुप में लीडरशिप के लिए तैयार करना था.
कर्मचारियों के लिए तय की 8 घंटे की कार्यसीमा
सबसे पहले कर्मचारियों के लिए टाटा ने 8 घंटे की कार्यसीमा तय की। इसके साथ ही उन्होंने फ्री मेडिकल सुविधा और भविष्य निधि योजना की भी अपने कर्मचारियों के लिए शुरू की। वहीं आपको ये जानकार हैरानी होगी कि किसी कर्मचारी के साथ दुर्घटना होने की स्थिति में मुआवजा देने की पहल भी सबसे पहले टाटा ने ही की थी। अपने कर्मचारियों और परिवारों के कल्याण के लिए टाटा ने बहुत ही कल्याणकारी काम किए हैं।