नई दिल्ली: मेडिकल और नीट के उम्मीदवारों के लिए है एक बड़ी अपडेट है. भारत में मेडिकल की पढाई के पैटर्न में लाए गए हैं बदलाव. क्या आप जानते हैं कि नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) अब एमबीबीएस की पढ़ाई में कॉम्पिटेंसी-बेस्ड मेडिकल एजुकेशन (CBME) पाठ्यक्रम लागू करने वाला है. इस बदलाव को नज़र में रखते हुए नई गाइडलाइन्स जारी कर दी गई हैं. CBMI की नई गाइडलाइन्स भारत के सभी कालेजों के लिए अनिवार्य होंगी. यूनिवर्सिटीज को इन गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करना होगा. नई गाइडलाइन्स पिछले बैच के नियमों से अलग होंगी. इन्हें 2024-25 के एमबीबीएस बैच से लागू किया जाएगा.
आईये जानें की CBMI क्या है : CBMI का अर्थ है कॉम्पिटेंसी बेस्ड मेडिकल एजुकेशन. आपको बता दें कि सिलेबस में ये बदलाव नए मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए किए गए हैं. ये सिलेबस नए डॉक्टर्स को प्राइमरी हेल्थ केयर की ओर काम करने के लिए तैयार करेगा. ये सिलेबस उन सभी मेडिकल स्टूडेंट्स को जरुरी नॉलेज, स्किल और विजन को पाने के लिये प्रेरित करेगा. पहली थ्योरेटिकल फोकस और पारंपरिक सिलेबस से अब बच्चों को रिलीफ मिलेगा. CBMI की ये नई गाइडलाइन्स से बच्चों को करिकुलम प्रैक्टिकल कंपीटेंसी और रियल वर्ल्ड एप्लिकेशंस का ज्ञान प्राप्त होगा. ये गाइडलाइन्स ये सुनिश्चित करते हैं कि सारे मेडिकल स्टूडेंट्स अलग-अलग तरह के मेडिकल प्रैक्टिसेज को सीखें और उनके रिजल्ट्स पर भी गौर करें. इस सिलेबस के 5 मुख्य नियम हैं. नया सिलेबस ब्रॉड कंपीटेंसी से हटकर, डिटेल्ड और पेज स्पेसिफिक सब्जेक्ट कंपीटेंसी पर फोकस करता है। इस सिलेबस का लक्ष्य ये है कि बच्चे जो भी पढ़ें वो अपने असल जीवन में भी उसका इस्तेमाल अत्छे से कर सकें. बच्चों को प्रैक्टिस के पहले दिन से ही असल मेडिकल लाइफ में होने वाली मुश्किलों को संभालना आता हो. बच्चे प्रैक्टिकल हों. उनका नजरिया सिर्फ किताबी नहीं होना चाहिए. नियमों के अनुसार सब्जेक्ट्स को वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल दोनों तरह से जोड़कर आगे बढाया जाएगा. एक ही टॉपिक को अलग अलग सब्जेक्ट्स में करके पढ़ने पर जोर दिया जाएगा. इससे बच्चों को हर मेडिकल कंडीशन के बीच के कनेक्शन को समझने में आसानी होगी. बच्चे हर सब्जेक्ट को एक दूसरे से रिलेट कर हर कांसेप्ट को सही से समझ पाएंगे. इससे वे अपने कॉलेज के एप्लिकेशन को समझ सकेंगे. NMC की नई गाइडलाइन्स में बच्चों के मोरल वैल्यू , कम्युनिकेशन स्किल और प्रोफेशनलिज्म सिखाने पर पूरा जोर दिया जाएगा.
AETCOM (एटिट्यूड, एथिक्स और कम्युनिकेशन) नामक एक नया मॉड्यूल पेश किया गया है, जो भविष्य के डॉक्टरों में ये जरूरी चीजें विकसित पर केंद्रित है। मॉड्यूल का उद्देश्य डॉक्टरों में सहानुभूति, सम्मान और पेशेवर आचरण के मूल्यों को स्थापित करना है, जो मरीजों की देखभाल के लिए जरूरी हैं। एमबीबीएस का नया करिकुलम ज्यादा सीखने वालों और रोगियों पर फोकस्ड है। ये मेडिकल स्टूडेंट्स से ज्यादा एक्टिव पार्टिसिपेशन और सेल्फ डायरेक्टेड लर्निंग को प्रमोट करता है। इसमें इंटरैक्टिव टीचिंग मेथड्स शामिल किए गए हैं, जैसे- प्रॉब्लम बेस्ड लर्निंग, केस स्टडी और कम्युनिटी-बेस्ड लर्निंग। प्रैक्टिकल स्किल और प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस नए सिलेबस के केंद्र में हैं। इन नियमों के तहत स्टूडेंट्स को जरूरी मेडिकल प्रोसीजर करने, इमरजेंसी मैनेज करने, मरीज की मुश्किल में केयर करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नए डॉक्टर लोगों के बीच फर्स्ट कॉन्टैक्ट फीजिशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार हों।
सब्जेक्ट्स को वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल दोनों तरह से जोड़कर आगे बढ़ाने पर जोर है। हॉरिजॉन्टल इंटीग्रेशन का मतलब एक फेज में विभिन्न सब्जेक्ट्स में टॉपिक्स को अलाइन करना है। जबकि वर्टिकल इंटीग्रेशन विभिन्न चरणों में विषयों को जोड़ता है। यह दृष्टिकोण छात्रों को विभिन्न मेडिकल सब्जेक्ट्स के इंटर-कनेक्शन को समझने में मदद करता है। जिससे वे अपनी नॉलेज का एप्लिकेशन सीखते हैं। एनएमसी की नई गाइडलाइन नैतिक मूल्यों, कम्युनिकेशन स्किल और प्रोफेशनलिज्म के विकास पर जोर देती है। AETCOM (एटिट्यूड, एथिक्स और कम्युनिकेशन) नामक एक नया मॉड्यूल पेश किया गया है, जो भविष्य के डॉक्टरों में ये जरूरी चीजें विकसित पर केंद्रित है। मॉड्यूल का उद्देश्य डॉक्टरों में सहानुभूति, सम्मान और पेशेवर आचरण के मूल्यों को स्थापित करना है, जो मरीजों की देखभाल के लिए जरूरी है।एमबीबीएस का नया करिकुलम सीखने वालों और रोगियों पर केंद्रित है। ये मेडिकल स्टूडेंट्स से ज्यादा एक्टिव पार्टिसिपेशन और सेल्फ डायरेक्टेड लर्निंग को प्रमोट करता है। इसमें इंटरैक्टिव टीचिंग मेथड्स शामिल किए गए हैं, जैसे- प्रॉब्लम बेस्ड लर्निंग, केस स्टडी और कम्युनिटी-बेस्ड लर्निंग।प्रैक्टिकल स्किल और प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस नए पाठ्यक्रम के केंद्र में हैं। स्टूडेंट्स को जरूरी मेडिकल प्रोसीजर करने, इमरजेंसी मैनेज करने, मरीज की व्यापक देखभाल करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नए डॉक्टर लोगों के बीच फर्स्ट कॉन्टैक्ट फीजिशियन के रूप में काम करने के लिए बेहतर तैयार हों।