नीट-यूजी मामले में ढीले पड़े CBI के तेवर, पेपर लीक कांड के बड़े माफिया अब भी गिरफ्त से बाहर
नई दिल्ली : नीट-यूजी पेपर लीक मामले में सीबीआइ के तेवर ढीले पड़ गए हैं। बिहार और झारखंड में नीट-पेपर लीक कांड के छुटभैयों की गिरफ्तारी के बाद सीबीआइ की जांच सुस्त हो गई है। पेपर लीक मामले के बड़े माफिया अब तक गिरफ्तार नहीं हो पाए हैं। जानकारों का कहना है कि नीट-यूजी पेपर लीक कराना सबके बस की बात नहीं है। इसके लिए एक बड़ा गिरोह और पूरा नेटवर्क चाहिए। नीट के पेपर में डिजिटल लॉक होता है। इसे तोड़ने के लिए आइटी की बारीक जानकारी चाहिए। माना जा रहा है कि नीट पेपर लीक कांड में सफेदपोश शामिल हो सकते हैं मगर, सीबीआइ की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है।
गौरतलब है कि पांच मई को हुई नीट-यूजी की परीक्षा में 35 लाख छात्र शामिल हुए थे। यह परीक्षा 571 शहरों के 4750 परीक्षा केंद्रों पर हुई थी। परीक्षा का परिणाम 14 जून को आना था। मगर, एनटीए ने आनन-फानन इसे लोकसभा चुनाव की मतगणना वाले दिन ही जारी कर दिया था। तभी एनटीए की नीयत पर सवाल उठ गए थे। मगर, बाद में 1563 विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क दिए जाने की बात सामने आने पर तूफान मच गया। एनटीए पर लोगों का शक यकीन में बदल गया कि कहीं न कहीं कोई गड़बड़ है। यहां अधिकारियों को छात्रों की इतनी चिंता थी कि पेपर देर से बंटने की आड़ में 1563 छात्रों को ग्रेस अंक की रेवड़ी बांट दी गई। यही नहीं, जब भी गड़बड़ी की बात सामने आती एनटीए बराबर कहती रही कि पेपर लीक नहीं हुआ है। इससे लोगों का शक यकीन में बदल गया और बाद में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने एनटीए के पेपर लीक नहीं होने के दावों की सुबूत पेश कर धज्जियां उड़ा दी। सीबीआइ को एनटीए के अंदर भी जांच करनी चाहिए। नीट-यूजी परीक्षा कराने के जिम्मेदारों से भी पूछताछ होनी चाहिए। इनके मोबाइल फोन की जांच करानी चाहिए। सीबीआइ इनके फोन काल डिटेल्स निकाले की परीक्षा की अवधि में इन्होंने किनसे क्या बात की और किनके संपर्क में रहे।
जिन स्टुडेंट्स को फायदा हुआ उनके बारे में मांगी जानकारी
मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा नीट-2024 विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात की जानकारी मांगी है कि पेपर लीक का फायदा कितने छात्रों को हुआ है। पेपर लीक का असर व्यापक था या फिर ये एक-दो केंद्रों पर था। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ से अब तक की जांच की रिपोर्ट भी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी एनटीए में सुधार के लिए बनाई गई कमेटी के बारे में जानकारी मांगी गई है। रि-एग्जाम की मांग करने वालों से 10 पेज की कंसोलिडेटेड रिपोर्ट मांगी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी से बुधवार की शाम पांच बजे तक अपनी रिपोर्ट फाइल करने को कहा है। इस केस की अगली सुनवाई की तारीख 11 जुलाई निर्धारित की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने माना पेपर हुआ था लीक
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की जांच से साबित हो गया है कि नीट-यूजी का पेपर लीक हुआ है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर इस पेपर लीक कांड का फायदा चंद स्टुडेंट को हुआ है तो पूरी परीक्षा रद नहीं की जा सकती। अब सुप्रीम कोर्ट इस बात का आकलन कर रहा है कि आखिर पेपर लीक का दायरा कितना बड़ा है। इसे लेकर सीबीआइ और अन्य जांच एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी गई है। यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि पेपर लीक से पूरी परीक्षा प्रभावित हुई है या फिर एक इलाके में ही इसका प्रभाव रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि अगर पेपर इलेक्ट्रानिक माध्यम से लीक हुआ है तो फिर इसका दायरा बड़ा हो सकता है।
कम से कम दो राज्यों में फैला है पेपर लीक का दायरा
जानकारों का मानना है कि पेपर लीक का दायरा बड़ा हो सकता है। कम से कम ये दायरा इतना बड़ा है कि बिहार और झारखंड तक फैला है। झारखंड के हजारीबाग में ओएसिस स्कूल में बने नीट-यूजी के सेंटर से पेपर लीक हुआ और इसके बाद वाट्स ऐप के जरिए पटना पहुंचाया गया। इससे साफ है कि इन दो राज्यों में पेपर फैला है। यही नहीं, डिजिटल लॉक नहीं खुलने पर ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल ने एनटीए के अधिकारियों को जानकारी दी थी। आशंका है कि पेपर लीक मामले से एनटीए के अधिकारी भी जुड़े हो सकते हैं। सीबीआइ को उन अधिकारियों से भी पूछताछ की जानी चाहिए जो ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल से संपर्क में थे।
नीट पर सुप्रीम कोर्ट में कुल 38 याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि पेपर लीक के लाभार्थी कितने हैं इसका पता लगाने के क्या प्रयास किए गए हैं। अब तक लाभार्थी के रूप में पहचाने गए छात्रों की संख्या कितनी है। सुप्रीम कोर्ट 38 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इनमें 34 याचिकाएं टीचर्स और कोचिंग इंस्टीट्यूट्स की हैं। जबिक, चार याचिकाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की लगाई गई हैं। जो याचिका रिएग्जाम कराने के लिए दायर की गई हैं, उनके अधिवक्ताओं से सुप्रीम कोर्ट ने 10 पेज की कंसोलिडेटेड रिपोर्ट मांगी है।