नई दिल्ली : इन दिनों मंकीपॉक्स वायरल संक्रमण चर्चा में है. इसके साथ ही ये संक्रमण कई देशों में भी फैल गया है. वहीं हमारे पड़ोसी देश पकिस्तान में भी इस संक्रमण के कुछ मामले सामने आए हैं. बताया जा रहा है कि इस संक्रमण से बचाव के लिए मंकीपॉक्स वैक्सीन उपलब्ध है. मगर कई लोगों के मन में वैक्सीन लगवाने के बाद भी ये सवाल आता है कि इसका असर कितने दिन रहेगा और इस वैक्सीन को लगवाने के बाद दुबारा मंकीपॉक्स हो सकता है क्या ?
कितने समय तक वैक्सीन का असर रहता है ?
मंकीपॉक्स की वैक्सीन इस संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाने में सहायता करती है. वहीं इससे संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है. इसके साथ ही इस वैक्सीन का असर कई महीनों से लेकर कुछ वर्षों तक रह सकता है. बताया जा रहा है कि समय के साथ इस वैक्सीन की प्रभावशीलता घट भी सकती है और लंबे समय के बाद बूस्टर डोज की आवश्यकता हो सकती है.
क्या दोबारा हो सकता है संक्रमण ?
अगर व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडीज नहीं बनी हो तो वैक्सीन के बाद भी दुबारा मंकीपॉक्स हो सकता है. वहीं अगर किसी व्यक्ति की इम्युनिटी कमजोर है तो ऐसे में उसे भी संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है. लेकिन वैक्सीन लगाने के बाद संक्रमण का खतरा कम होता है.
वैक्सीन लगवाने के बाद संक्रमण के लक्षण दिखे तो क्या करें ?
वैक्सीन लगवाने के बाद कई बातों का ध्यान रखना होता है. इसमें साफ-सफाई रखना बेहद जरुरी है. इसके साथ की संक्रमित लोगों से दूर रहें और संक्रमण के लक्षण दिखने पर फौरन डॉक्टर से सलाह लें. ऐसा करने से आप खुद तो सुरक्षित रहेंगे ही, इसके साथ ही आप अपने परिवार और समाज को सुरक्षित रख पायेंगे.
भारत में मंकीपॉक्स वैक्सीन की जगह चेचक की वैक्सीन का हो सकता है इस्तेमाल
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मंकीपॉक्स से बचाव के लिए चेचक यानी स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन को प्रभावी माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये दोनों वायरस एक ही परिवार के हैं. बताया जा रहा है कि फिलहाल भारत में मंकीपॉक्स वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. अगर भारत में मंकीपॉक्स के मामले बढ़ते हैं तो चेचक की वैक्सीन को इस्तेमाल किया जा सकता है. फिलहाल भारत सरकार इस स्थिति पर अपनी नजर बनाए हुए है और इसके लिए जरुरत पड़ने पर उचित फैसला लेगी.
मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा मामले अफ्रीका में
बताया जा रहा है कि जिन देशों में यह बीमारी फैली है, वहां से यात्रा करने वालों को सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है. अफ्रीका के पश्चिमी और मध्य हिस्सों में फिलहाल सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. इसके साथ ही कुछ यूरोपीय देशों और अमेरिका के अन्य क्षेत्रों में इसके मामले सामने आए हैं.