क्या वजह है कि भगवान शिव के पूजा सामग्री में बेल पत्र इतना महत्वपूर्ण है?
बेल पत्र और समुद्र मंथन से जुड़ी मान्यता के बारे में तो आप लोगों ने सुना ही होगा। पर क्या कभी आपने सोचा है कि गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने वाला बेल और शिव पूजा में चढ़ाए जाने वाले बेलपत्र का धार्मिक महत्व क्या है?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, बेल के पेड़ में साक्षात भगवान शिव विराजते हैं और भोलेनाथ को इस पेड़ के फल, फूल और पत्ते बेहद पसंद है। ये भी कहा जाता है कि बेलपत्र इतना शुभ है कि इसके दर्शन और स्पर्श मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती है। घर में बेल के पेड़ लगाने से नकारात्मकता दूर होती है और सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
आइए जानते है कि बेल पत्र से माता पार्वती का क्या ताल्लुक है
स्कंद पुराण में कहा गया है कि, बेल के पेड़ की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने की बूंद से हुई थी। इसलिए उस पेड़ के पत्तियों में माता पार्वती का भी अंश है। जिस वजह से भी बेल पत्र भगवान शिव को इतना प्रिय है। कहा जाता है कि बेल का यह शुभ पेड़ सकारात्मक ऊर्जा का गड़ है।
बेल पत्र से जुड़ी कुछ और मान्यताएं
बेलपत्र के तीन पत्ते जो आपस में जुड़े होते हैं, वे हमेशा पवित्र माने जाते हैं और वही पूजा में भी इस्तेमाल होते हैं। इन तीन पत्तों को त्रिदेव माना जाता है। ये भी एक मान्यता है कि तीन पत्ते महादेव के त्रिशूल का प्रतीक माना जाता है। बेल पत्र को भगवान शिव के त्रिनयन का प्रतीक भी माना जाता है। यह भी माना जाता है कि बेलपत्र के तीन जुड़े हुए पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव को शांति मिलती है और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
बेल पत्र को शिव पूजन में इस्तेमाल करने के फायदे
* माना जाता है कि श्रवण मास में बेल पत्र से भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
* बेल के पेड़ के नीचे शिवलिंग रखकर पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
* भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाने से वे बहुत प्रसन्न होते हैं।
* बेल के पेड़ के नीचे दिया जलाने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
* बेल के पेड़ के नीचे गरीबों को भोजन कराने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।