नई दिल्ली: इस साल 30 अगस्त 2024 को बछ बारस मनाया जाएगा। इस दिन गौमाता की बछड़े के साथ पूजा की जाती है। माताएं अपने पुत्रों के लिए ये व्रत रखती हैं, ताकि उनके पुत्र सुरक्षित रहें।
बछ बरास 2024 : इस साल भाद्रपद महीने के द्वादश तिथि यानी 30 अगस्त 2024, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इसे गोवत्स द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें गौमाता की बछड़े के साथ पूजा की जाती है। भगवान कृष्ण को गाय और बछड़ों से बड़ा प्रेम था। इसलिए इस पर्व को मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बछ बारस के दिन विधि पूर्वक इस पूजा को करने से भगवान कृष्ण सहित गाय में निवास करने वाले सैंकड़ों देवी देवताओं का भी आशीर्वाद मिलता है। सभी माताएं अपने पुत्रों के सुख समृद्धि के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। अपने पुत्रों को तिलक लगाकर, तलाई फोड़ने के बाद उन्हें प्रसाद खिलाती हैं।
नहीं करना है चाकू से कटी सब्जी का सेवन
इस दिन गेहूं से बने पकवान और चाकू से कटी हुई सब्ज़ी का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन बाजरे या ज्वार का सोगरा और अंकुरित अनाज की सूखी सब्ज़ी या कढ़ी बनाई जाती है। महिलाएं इस दिन सवेरे उठकर विधि अनुसार गौमाता की पूजा करती हैं। इसके बाद मिट्टी और गोबर से बने तलैया को अच्छे से सजाकर उसमें कच्चा दूध और पानी भरकर, उसकी कुमकुम, मौली, दीप और धूप सहित पूजा करती हैं और बछ बारस की कहानी सुनाती हैं।
बछ बारस पूजा विधि :
1) इस दिन सवेरे उठकर स्नान कर लें। फिर साफ सुथरे कपड़े पहन लें।
2) फिर दूध देने वाली गाय को बछड़े के साथ स्नान कराएं और उनको नया वस्त्र चढ़ाते हुए उनको तिलक लगाएं और फूल अर्पित करें।
3) कुछ जगहों पर लोग गाय के सींघों को भी सजाते हैं। एक तांबे के पात्र में इत्र, अक्षत, तिल, जल और फूल को मिलाकर गाय का प्रक्षालन भी करते हैं।
4) गौमाता के पैरों में लगे मिट्टी से अपने माथे पर तिलक लगाएं।
5) गौमाता का पूजन करने के बाद बछ बारस की कथा सुने।
6) इस दिन पूजा के बाद गाय को उड़द दाल से बना भोजन कराएं।
7) पूरे दिन व्रत के बाद गोधूली समय में गौमाता की आरती करें और उसके बाद भोजन करें।