सीरया में अल कायदा और आइएसआइएस के आतंकियों ने इदलिब और एलेप्पो प्रांतों पर कब्जा जमा लिया है। इन आतंकियों को अमेरिका, इसराइल और तुर्किंए का समर्थन हासिल है। आतंकियों ने इन दो प्रदेशों में जनता पर अत्याचार शुरू कर दिए हैं। इन इलाकों में रहने वाले क्रिश्चियन परिवार भी आम लोगों के साथ एलेप्पो और इदलिब छोड़ कर सीरिया की राजधानी दमिश्क की तरफ भाग रहे हैं। इन ईसाई परिवारों को दमिश्क में शेल्टर होम में रखा गया है। सीरिया की सेनाएं एलेप्पो और इदलिब से क्रिश्चियन परिवारों को रेस्क्यू करने का अभियान चला रही हैं। आम लोगों को भी वहां से निकाला जा रहा है। सीरिया और रूस की सेनाएं आतंकियों की घेराबंदी में लग गई हैं।
सीरिया व रूस के जवाब में इसराइल ने की बमबारी
इन दोनों प्रांतों में आतंकियों के ठिकानों पर सीरिया और रूस के लड़ाकू जहाजों ने बमबारी की है। इससे आतंकियों को बड़ा नुकसान हुआ है। इसके अलावा, बड़े पैमाने पर सीरिया की सेना इन दोनों प्रांतों में एकत्र हो रही है। अल कायदा और आइएसआइएस के आतंकियों को सुरक्षा कवर मुहैया कराने के लिए इसराइल ने भी सीरिया के सैनिक ठिकानों पर हवाई बमबारी की है।
तुर्किए की सेना भी आतंकियों के साथ मौजूद
सीरिया की सेना ने हामा शहर के आसपास आपरेशन चला कर कई इलाकों को दोबारा कब्जे में ले लिया है। इन इलाकों में तकरीबन 300 आतंकी मारे गए हैं। जबकि, सैकड़ों आतंकी गिरफ्तार किए गए हैं। गिरफ्तार आतंकियों ने पूछताछ में सीरियाई सेना को बताया है कि उन्हें हथियार और सपोर्ट तुर्किए से मिल रहा है। आतंकियों ने बताया कि उनके साथ तुर्किए की एक बटालियन भी मौजूद है जो आंतंकियों के साथ फ्रंट पर है।
ईरान व ईराक की सेनाएं भी पहुंच रहीं सीरिया
सीरिया को अलकायदा और आइएसआइस से बचाने के लिए ईरान और ईराक की सेनाएं भी पहुंच रही हैं। इसके अलावा, ईरान की आइआरजीसी सबरीन क्विक रिस्पांस यूनिट भी सीरिया पहुंच रही है। यूनिट के कमांडर जवाद गफ्फारी दमिश्क पहुंच चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि ईरान और ईराक की सेनाएं मंगलवार से फ्रंट लाइन पर पहुंच जाएंगी। ईरान ने आतंकियों से मुकाबले के लिए तैयार स्पेशल यूनिट के जवानों को भी सीरिया भेज दिया है। 18 नवंबर को इसराइल की खुफिया एजेंसी शिन बेट के चीफ तुर्किए की इंटेलीजेंस एजेंसी के अधिकारियों से मिले थे। 25 नवंबर को नाटो चीफ की तुर्किए के प्रेसीडेंट एर्दोगान से मुलाकात हुई थी। इसी के बाद 26 नवंबर को अलकायदा और आइएसआइएस के आतंकियों ने हमले शुरू किए हैं।
आतंकियों ने तोड़ दिया चार साल पुराना समझौता
सीरिया में आतंकियों ने साल 2014 में हमला किया था। आतंकियों ने तकरीबन पूरे सीरिया पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद ईरान के कमांडर सीरिया की सेना को सपोर्ट देने के लिए पहुंचे थे। आतंकियों की संख्या ज्यादा होने की वजह से सीरिया की सेना कमजोर होने लगी तो लेबनान का स्वतंत्रता सेनानी संगठन हिजबुल्लाह को मैदान में उतारना पड़ा था। हिजबुल्लाह के सैनिकों ने अमरीका, इसराइल और तुर्किए समर्थित आतंकियों की ईंट से ईंट बजा दी थी। इसी बीच फिलिस्तीन की अलअक्सा ब्रिगेड भी सीरिया की सेना का साथ देने के लिए दमिश्क पहुंच गई थी। आतंकियों को मार भगाया गया था। मगर, इसके बाद तुर्किए की सेनाएं आतंकियों के समर्थन में सीरिया पर हमले करने लगी थीं। इसराइल भी आतंकियों को बचाने के लिए मैदान में सीधे कूद पड़ा था और सीरिया में सैनिक ठिकानों पर हमले कर रहा था ताकि सेना को कमजोर किया जा सके और वह आतंकियों का मुकाबला नहीं कर सके। अमेरिका की सेना भी आतंकियों के सपोर्ट में सीरिया पहुंच गई थी। अमेरिका भी सीरिया की सेना के ठिकानों पर हवाई हमले कर रहा था। इसराइल की सेना हिजबुल्लाह के सैनिक ठिकानों पर भी हमला कर रही थीं। इसी बीच, सीरिया में रूस की इंट्री हुई और रूस के हवाई हमलों की मदद से सीरिया में आतंकियों को समेट दिया गया। इसी बीच अलकायदा के आतंकियों ने बदनामी से बचने के लिए अपना नाम बदल कर हयात तहरीर अल शाम रख लिया। बाद में तुर्किए ने साल 2020 में एक समझौता कराया जिसके अनुसार अलकायदा और आइएसआइएस के आतंकियों को इदलिब में रहने की जगह दी गई। दरअसल, इन आतंकियों के सहारे तुर्किए से मिल कर अमेरिका सीरिया का तेल लूट रहा है। ईरान मिलिटरी के जनरल मोहसिन रजाई ने एक इंटरव्यू में कहा है कि आतंकियों ने इस समझौते को तोड़ कर बड़ी गलती की है। उन्हें इस समय ऐसा नहीं करना चाहिए था। क्योंकि, इस समय इसराइल और गजा में जंग चल रही है। उन्होंने कहा कि तुर्किए को इन दिनों गजा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था।
इसराइल के लिए क्यों जरूरी है बशर असद का तख्ता पलट
दरअसल, अमरीका, यूरोप और इसराइल सीरिया में तख्ता पलट चाहते हैं। इसराइल को जवाब देने में सीरिया की अहम भूमिका रही है। जब इसराइल ने लेबनान पर कब्जा कर लिया था तो सीरिया की फौज लेबनान में दाखिल हो गई थीं। यहां हिजबुल्लाह की मदद के साथ ही सीरिया की सेनाएं लेबनान में इसराइल से युद्ध लड़ रही थीं। सीरिया का इसराइल से कई बार सीधे युद्ध हुआ है। अभी हिजबुल्लाह और हमास को को ईरान से जो हथियार सप्लाई होते हैं उसकी पाइपलाइन सीरिया है। सारे हथियार सीरिया से होकर ही लेबनान जाते हैं। इसी वजह से इसराइल चाहता है कि सीरिया में तुर्किए, जार्डन, सऊदी अरब, पाकिस्तान और यूएई जैसी सरकार हो जाए जो युद्ध में फिलिस्तीन नहीं बल्कि, इसराइल की मदद करे। लेबनान के साथ चल रहे युद्ध में कुछ दिनों पहले ही इसराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को लेकर बयानबाजी की थी और सीरिया पर सीधा हमला करने की धमकी दी थी। सीरिया पर इसराइल साल 2014 से अब तक सैकड़ों हवाई हमले कर चुका है। हालांकि, अब तक सीरिया ने इन हमलों का जवाब नहीं दिया है।
यमन ने अमेरिकी जंगी जहाजों पर किया हमला
यमन की आदिवासी हौसी सेना ने लाल सागर पर अमेरिका के जंगी जहाजों को निशाना बनाया है। एक अमेरिकी डिस्ट्रायर, स्टेना, मेरेस्क और लिबर्टी सैनिक जहाजों पर 16 बैलिस्टिक और एक क्रूज मिसाइलों से हमला किया गया है। हमले में एक ड्रोन का भी इस्तेमाल हुआ है। यह हमले लाल सागर के अलावा, अदन की खाड़ी और हिंद महासागर तक हुए हैं। यमन की हौसी आदिवासी सेना की मांग है कि इसराइल गजा पर हमले बंद करे। इसराइल ने 1948 में फिलिस्तीन पर कब्जा कर लिया था। तब से ही फिलिस्तीन में इसराइल की सेना आजादी की मांग कर रहे फिलिस्तीनियों पर जुल्म ढा रही है। फिलिस्तीनियों ने भी अवैध कब्जा धारी इसराइलियों से अपने देश को आजाद कराने के लिए कई साल तक धरना व प्रदर्शन किए। इसके जवाब में इसराइल की सेना फिलिस्तीनियों की हत्या करती रही। दुनिया भर में फिलिस्तीनियों की सुनवाई नहीं होने पर बाद में फिलिस्तीनियों ने अपने छोटे छोटे सैनिक संगठन बना लिए हैं। इसे इसराइल और अमेरिका आतंकी संगठन कहता है। जबकि, सीरिया में आतंक फैला रहे आतंकियों को अमेरिका और इसराइल विद्रोही बताता है।