वाशिंगटन : अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर दुनिया भर की नजर है, खासकर उन लोगों की जो अमेरिका में पढ़ाई या काम करने की योजना बना रहे हैं। चुनाव का परिणाम यह तय करेगा कि विदेशी नागरिकों के लिए वीजा और इमिग्रेशन नियम कैसे रहेंगे। डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच मुकाबला है, जिनकी नीतियां इमिग्रेशन पर काफी भिन्न हैं।
कमला हैरिस का उदारवादी रुख
कमला हैरिस ने प्रवासन को सुधारने की बात की है। उन्होंने नागरिकता के लिए ‘अर्न्ड पाथवे’ का समर्थन किया है, जो लोगों के लिए नागरिकता का रास्ता आसान बनाएगा। उनके अनुसार, वर्तमान इमिग्रेशन प्रणाली में सुधार की जरूरत है।
द्विदलीय कानून पुनर्स्थापित करने का वादा
हैरिस ने बॉर्डर सुरक्षा के लिए द्विदलीय कानून को पुनर्स्थापित करने का वादा किया है, इससे शरण प्रक्रिया को भी बेहतर बनाया जा सके। उनका उद्देश्य लोगों को अमेरिका में आने और रहने में मदद करना है, जिससे भारतीय छात्रों और कामकाजी लोगों को लाभ हो सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप का सख्त रुख
वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने कड़ा इमिग्रेशन कानून लागू करने का संकेत दिया है। उन्होंने अवैध प्रवासियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की बात की है। ट्रंप ने कहा है कि उनके नेतृत्व में डिपोर्टेशन का सबसे बड़ा अभियान चलाया जाएगा।
‘मेक्सिको में ठहरने’ की नीति दोबारा लागू करने का प्रस्ताव
उनकी नीतियों में ‘मेक्सिको में ठहरने’ की नीति को पुनः लागू करने का प्रस्ताव है, जिसके तहत शरणार्थियों को अमेरिका में दाखिल होने से पहले मेक्सिको में रहना होगा। इससे वीजा नियमों में सख्ती आएगी, जो भारतीय नागरिकों के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
चुनाव परिणाम डालेगा इमीग्रेशन नीति पर प्रभाव
इस चुनाव का परिणाम न केवल अमेरिका के भविष्य को निर्धारित करेगा, बल्कि वैश्विक इमिग्रेशन नीतियों पर भी असर डालेगा। कमला हैरिस का उदारवादी दृष्टिकोण भारतीय छात्रों और कामकाजी लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, जबकि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
इसलिए, चुनाव के नतीजे सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो अमेरिका में नए अवसरों की तलाश में हैं।