नई दिल्ली: वैसे तो हम पूरे दिन टेक्नोलॉजी से घिरे रहते हैं। चाहे किताब हो या न्यूज़। हम सब कुछ एक क्लिक से पढ़ सकते हैं। लेकिन यही आदत अमरीका के स्कूली बच्चों के लिए मुसीबत बन चुकी है. अमरीका के स्कूल जाने वाले बच्चों को पहले नावेल दी जाती थी, जो अब धीरे-धीरे बंद हो गया है। नावेल पढ़ने से उन्हें जो ज्ञान मिलता था। वो अब कम हो गया है। स्कूलों में पढ़ने के लिए अब नावेल की जगह छोटे पैराग्राफ्स दिए जाते हैं। एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, टीचरों का मानना है कि आज कल के बच्चे उतनी लम्बी किताब नहीं पढना चाहते, उन्हें कई चैप्टर्स पसंद भी नहीं आते। इसलिए उन्हें पढ़ने के लिए छोटे पैराग्राफ्स दिए जाते हैं। इससे वह डिजिटल वर्ल्ड के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो पाएंगे. लेकिन इस आदत से उनके पढ़ने कि क्षमता कम होती जा रही हैं। जो काफी गंभीर समस्या बन गई हैं।
मीडिया लिट्रेसी पर जोर
नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स ऑफ इंग्लिश’ ने 2022 में एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि अंग्रेजी शिक्षा में निबंध लेखन और किताबों के पढ़ने को बढ़ावा देना चाहिए। एकसेथ फ्रेंच, जो पहले शिक्षक रह चुके हैं और अब अर्कांसस के बेंटोनविले हाई स्कूल में डीन हैं, ने बताया कि “हम किताबों को हटाना नहीं चाहते, बल्कि छात्रों के लिए प्रासंगिक पाठों को जोड़कर साक्षरता सिखाना चाहते हैं।”फ्रेंच ने अपनी कक्षा में देखा कि छात्र नाटक, कविता और निबंध लेखन में सक्रिय थे लेकिन उन्होंने केवल एक ही किताब पढ़ी। उन्होंने कहा, “कई छात्रों को उन किताबों के कुछ अध्याय पढ़ने में रुचि नहीं होती। उनके पास विकल्प नहीं होता। लेकिन फिर भी उन्हें वह पढ़ना पड़ता है।”
बड़े पैराग्राफ या उपन्यासों का महत्व
हालांकि, छोटे और डिजिटल पाठों को पढ़ने का समर्थन सभी को पसंद नहीं आता। यूसीएलए की न्यूरोसाइंटिस्ट मैरीयन वुल्फ, जो डिस्लेक्सिया पर शोध करती हैं, ने कहा कि गहन पढ़ाई से ही क्रिटिकल थिंकिंग, पृष्ठभूमि ज्ञान, और सहानुभूति का विकास होता है। उनके अनुसार, गहन अध्ययन मस्तिष्क के सर्किट को मजबूत बनाता है। उन्होंने कहा, “बच्चों को यह समझने का अवसर देना महत्वपूर्ण है कि वे कौन हैं और यह प्रक्रिया जल्दी नहीं हो सकती। इसके लिए भावनाओं को गहराई से समझना आवश्यक है।”