मकसद में फेल हो गया पुराना पुस्तकालय
जमशेदपुर : बिष्टुपुर स्थित मुस्लिम लाईब्रेरी यूथ को ज्ञान में इजाफा करने के लिए बनाई गई थी। मगर, अब इसका वजूद मिटने के कगार पर है। मुस्लिम लाईब्रेरी की कई साल से मरम्मत नहीं हुई है। इसलिए यह लाईब्रेरी जर्जर हो गई है। पिछले तीन दिनों तक रात में हुई बरसात से लाईब्रेरी को बचाने के लिए इसके ऊपर नीली प्लास्टिक बांध दी गई है ताकि, टपकते हुए पानी को रोका जा सके और बची-खुची किताबें खराब नहीं हो।
मुस्लिम लाईब्रेरी में कभी छात्रों की लाइन लगी रहती थी। मगर, अब यह लाईब्रेरी बर्बाद होने के कगार पर है। इस लाईब्रेरी का इस्तेमाल शैक्षणिक कार्यों की जगह कम व्यवसायिक काम में अधिक होता है। इस लाईब्रेरी में अक्सर रेडीमेड कपड़ों की सेल लगती है। यही नहीं, रमजान में यहां इफ्तार पार्टी होती है। खैर सेल और इफ्तार पार्टी से जनता को कोई मतलब नहीं है। कदमा के नजीर अहमद कहते हैं कि यह मुस्लिम लाइब्रेरी कौम की धरोहर है। इसा कौम के फायदे में इस्तेमाल होना चाहिए। छात्रों के लिए यहां ऐसा इंतजाम होना चाहिए कि वह यहां से ज्ञान अर्जित कर सकें। मगर, छात्रों का कहना है कि यहां अब पुरानी किताबें ही हैं। नई किताबें मंगाने की किसी को फुर्सत नहीं है।
लाईब्रेरी की तरफ तवज्जो नहीं करता प्रबंधन
इस लाईब्रेरी की स्थापना 1935 में हुई थी। तब से इसकी इमारत की मरम्मत नहीं हुई है। छत बुरी तरह जर्जर हो गई है। परिसर भी साफ-सुथरा नहीं रखा जाता। परिसर में कुछ दुकानें भी हैं। प्रबंधन यहां से कमाई तो खूब करना चाहता है मगर, इसमें निवेश कर इसे खूबसूरत और बेहतर नहीं बनाना चाहता। मुस्लिम लाइब्रेरी में कई साल पहले इलेक्शन हुआ था। कांग्रेसी नेता स्व. एसआर रिजवी छब्बन ने चुनाव लड़ा था। मगर वह हार गए थे। बाद में उन्हें संचालक बोर्ड में रखा गया जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया। लोगों का कहना है कि जिस दिन वह चुनाव हारे थे तभी मुस्लिम लाईब्रेरी की किस्मत का फैसला हो गया था कि अब इसका भविष्य संवरने वाला नहीं है। इलाके के लोगों की मांग है कि सरकार इस तरफ ध्यान दे और मुस्लिम लाईब्रेरी का कायापलट कराए।