जमशेदपुर: विधि महाविद्यालयों में रजिस्ट्रेशन को लेकर आयोजित होने वाली परीक्षा क्लैट का रिजल्ट जारी कर दिया गया है. जमशेदपुर के मानगो में चंद्रावती नगर की रहने वाली कौशिकी पाठक ने कोल्हान टॉप किया है. कौशिकी पाठक को क्लैट में 158 वां रैंक मिला है. कौशिकी पाठक शुरू से ही ज्यूडिशियरी में अपना कैरियर बनाना चाहती थीं. उन्होंने बिष्टुपुर के करियर लॉन्चर से क्लैट की तैयारी की. उन्हें क्लाइंट में 116 अंक में से 93.75% नंबर मिले हैं. कौशिकी पाठक ने बताया कि उन्होंने 12 वीं की परीक्षा डीएवी बिस्टुपुर से पास की थी. उनकी इच्छा थी कि उनका नामांकन नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में हो. कौशिकी पाठक का कहना है कि इतने रैंक में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बेंगलुरू में उनका नामांकन हो सकता है. वह पहले यहां ट्राई करेंगी. अगर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बेंगलुरु में नामांकन नहीं हुआ तो फिर वह हैदराबाद के नेशनल लॉ कॉलेज में एडमिशन लेंगी. कौशिकी पाठक ने बताया कि उनके पिता पूर्णेन्दु पाठक का अपना व्यवसाय है. मां रीना पाठक हाउसवाइफ हैं.
शहर के 15 छात्रों को मिला है 5000 के अंदर रैंक
कोल्हान में क्लैट की परीक्षा के लिए करीम सिटी कॉलेज को केंद्र बनाया गया था. यहां 250 स्टूडेंट्स ने क्लैट की परीक्षा दी थी. इनमें 15 स्टूडेंट्स को 5000 के अंदर रैंक मिला है. कौशिकी के अलावा आदित्यपुर की रहने वाली स्नेहा नंदी को अखिल भारतीय स्तर पर 1309 और स्नेहा स्वरूप को 3890 रैंक है। रिजल्ट आने के बाद अब काउंसलिंग होगी स्टूडेंट्स को काउंसलिंग का इंतजार है काउंसलिंग के लिए 11 दिसंबर से रजिस्ट्रेशन होगा बताया जा रहा है की काउंसलिंग 26 दिसंबर से प्रारंभ कर दी जाएगी।
एनएलआईयू भोपाल में एडमिशन लेंगी स्नेहा नंदी
क्लैट की परीक्षा में सफल होने वाली स्नेहा नंदी आदित्यपुर के दिंदली बस्ती के संध्या शंभू अपार्टमेंट की रहने वाली हैं. उनके पिता संजय नंदी का रियल एस्टेट का कारोबार है. संध्या नंदी बताती हैं कि वह ज्यूडिशरी में कैरियर बनाना चाहती हैं. उन्होंने श्री कृष्णा पब्लिक स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की थी. स्नेहा नंदी ने धतकीडीह स्थित जेएच तारापोर स्कूल से 12वीं की परीक्षा पास की थी. 12वीं में वह जेएच तारापोर स्कूल में वह सेकेंड टॉपर थी. संध्या नदी का कहना है कि उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाई के लिए काफी प्रेरित किया है. उनके परिवार में वह पहली लड़की हैं जो उच्च शिक्षा प्राप्त करने जा रही हैं. उनके परिवार की ज्यादातर लड़कियों की गांव में शादी कर दी जाती है. इसलिए वह उच्च शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाती थीं. स्नेहा नंदी अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता संजय नंदी और माता रूपा नंदी को देती हैं।