नहीं सुलझा बंगाल का आलू विवाद, झारखंड में बढ़ रही हैं आलू की कीमतें
सब्जियों का राजा आलू ( Potato crisis in Jharkhand ) इन दिनों झारखंडियों को तरसा रहा है। देश भर में आलू उत्पादन के लिए दूसरे स्थान पर मौजूद पश्चिम बंगाल ने अपने सूबे में आलू के दामों को नियंत्रित करने के लिए जो कदम उठाया है उससे झारखंड ही नहीं ओडिशा समेत अन्य राज्यों में भी हाहाकार मच गया है। झारखंड में आलू की जबर्दस्त किल्लत हो गई है। लोग परेशान हो गए हैं। आलू की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इससे निपटने के लिए झारखंड भी एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। इस कदम से पश्चिम बंगाल सरकार घुटनों पर आ जाएगी। इसके बाद जल्द ही आलू का यह विवाद सुलझ जाएगा।
झारखंड में पांच दिनों से आलू नहीं आ पा रहा है। आलू लदे ट्रक झारखंड बंगाल सीमा पर खड़े हुए हैं। उन्हें झारखंड जाने की अनुमति राज्य सरकार नहीं दे रही है। इससे आलू की कीमतें बढ़ रही हैं। झारखंड में आलू का भंडार खत्म हो रहा है। रांची की पंडरा मंडी में आलू का स्टाक खत्म हो गया है। यही हालत झारखंड की अन्य मंडियों की है। जमशेदपुर की परसुडीह स्थित मंडी में भी आलू खत्म हो गया है। इस वजह से लोग परेशान हो गए हैं।
झारखंड में है 37 हजार 800 टन आलू की खपत
झारखंड में आलू की खपत 37 हजार 800 टन है। यहां एक जिले में प्रतिदिन 600 टन आलू खप जाता है। क्योंकि, झारखंड में सब्जी के लिए सबसे ज्यादा आलू ही इस्तेमाल होता है। झारखंडी आलू बड़े चाव से खाते हैं। झारखंड में आलू की खपत की 80 फीसदी आपूर्ति पश्चिम बंगाल से होती है। पांच दिनों से आलू की आवक नहीं होने से झारखंड में आलू की कीमतों में 15 रुपये तक का इजाफा हो गया है। रांची, जमशेदपुर, धनबाद आदि शहरों में आलू 45 रुपये से लेकर 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। कहा जा रहा है कि अगर जल्द ही यह विवाद नहीं सुलझा तो आलू की कीमतें आसमान छू सकती हैं। आलू की कीमतें बढ़ने से आम आदमी परेशान हो उठा है।
झारखंड का मित्र राज्य है बंगाल
पश्चिम बंगाल झारखंड का मित्र राज्य है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है जिसका भाजपा से छत्तीस का आंकड़ा है। झारखंड में इंडिया गठबंधन की सरकार है और इनका भी भाजपा से छत्तीस का आंकड़ा है। झारखंड के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडिया गठबंधन के खिलाफ प्रचार करने आए थे। इंडिया गठबंधन की जीत के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था। मगर, प्रधानमंत्री नहीं आए। जबकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में आई थीं।
इस तरह, झारखंड और पश्चिम बंगाल दोनों की भाजपा से खींचतान चलती रहती है। इस नाते दोनों राज्य एक दूसरे के करीब हैं। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के कहने पर झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत से बात की है। मनोज पंत ने इस समस्या ( Potato crisis in Jharkhand ) के समाधान के लिए अधिकारियों की एक कमेटी बना दी है। इस कमेटी ने मामले की जांच शुरू कर दी है कि किस तरह से झारखंड को इस विवाद में राहत दी जा सकती है। माना जा रहा है कि जल्द ही पश्चिम बंगाल में खड़े आलू के ट्रकों को झारखंड में घुसने की अनुमति दे दी जाएगी।
बंगाल के कारोबारी नाराज
पश्चिम बंगाल में इस साल 12.6 मिलियन टन आलू की पैदावार हुई है। बंगाल में आलू के ट्रकों पर रोक से वहां के कारोबारियों को भी नुकसान हो रहा है। इससे आलू कारोबारी नाराज हैं। कारोबारियों का कहना है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो वह हड़ताल पर जा सकते हैं। प्रोग्रेसिव पोटैटो ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव लालू मुखर्जी का कहना है कि सरकार प्रदेशों के साथ व्यापार में बाधा उत्पन्न कर रही है। जबकि, इसके उलट बंगाल की जनता खुश है। लोगों का कहना है कि कारोबारियों ने आलू के कारोबार से करोड़ों रुपये कमाए हैं। दूसरे प्रदेशों में बेतहाशा आलू भेजे जाने से बंगाल में कीमतें बढ़ गई थीं। मगर, जब से दूसरे प्रदेशों में आलू की खेप भेजे जाने पर रोक लगाई गई है, तब से बंगाल में आलू सस्ता हो गया है। तृणमूल कांग्रेस के कोलकाता के एक वरिष्ठ नेता मनोज चट्टोपाध्याय का कहना है कि हम ऐसे नेता नहीं हैं कि कारोबारियों का ही भला चाहें। कारोबारी तो रोज लाखों कमा रहे हैं। जनता का पेट भरना हमारा पहला कर्तव्य है।
उत्तर प्रदेश से आएंगे आलू के ट्रक
आलू के उत्पादन में उत्तर प्रदेश भी अग्रणी है। देश में आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है। उत्तर प्रदेश में हर साल 15.89 मिलियन टन आलू पैदा होता है। झारखंड के कारोबारियों ने जब देखा कि पश्चिम बंगाल से आलू की आवक पर रोक लग गई है तो उन्होंने उत्तर प्रदेश के कारोबारियों को आलू का आर्डर दे दिया है। बताया जा रहा है कि रांची की पंडरा मंडी में 10 ट्रक आलू पहुंचने वाला है। इसी तरह, अन्य मंडियों में भी उत्तर प्रदेश से आलू पहुंचेगा। झारखंड में इतना आलू पैदा नहीं होता कि वह अपने प्रदेश की मांग को पूरा कर सके। इसके अलावा, इस साल आलू ( Potato crisis in Jharkhand ) की पैदावार भी खराब हो गई है। दीपावली के करीब हुई बरसात के चलते प्रदेश में कई जिलों में आलू के उत्पादन पर असर पड़ा है। इसीलिए, घरेलू आलू से झारखंड के सब्जी मंडियों की मांग पूरी नहीं हो पा रही है।
बंगाल सीमा से आलू की काला बाजारी
पश्चिम बंगाल से आलू ( Potato crisis in Jharkhand ) की आवक पर भले ही रोक लग गई हो। मगर, पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे गांवों के जरिए आलू की कालाबाजारी शुरू हो गई है। आलू की तस्करी की जा रही है। बंगाल से सटी मंडियों से छोटी गाड़ियों के जरिए चोरी-छिपे झारखंड में आलू लाया जा रहा है। धनबाद में बरवाअड्डा और इसके आसपास के गांवों से आलू आ रहा है। पूर्वी सिंहभूम में पटमदा, समेत बंगाल से सटे प्रखंडों में आलू की बंगाल से आलू की तस्करी शुरू हो गई है। यह तस्करी अभी छोटे पैमाने पर ही हो रही है। झारखंड के बंगाल से सटे गांवों और कस्बों में बंगाल से लाकर आलू बेचा जा रहा है। इस वजह से इन इलाकों में अभी भी 30 रुपये प्रति किलो आलू बिक रहा है। सीमावर्ती गांवों के लोग बाइक से बंगाल के कस्बों और गांवों से ही आलू खरीद कर ला रहे हैं।