जमशेदपुर: नवरात्रि के इस पावन अवसर पर देखिए मां दुर्गा का अनूठा रूप। इस नवरात्रि के षष्ठी तिथि को मां दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी की विधिवत तौर से पूजा करने से धर्म, अर्थ, काम की भी प्राप्ति होती है।
जाने कैसे पड़ा मां कात्यायनी का नाम ?
जब महर्षि कात्यायन ने देवी पराम्बा की पूजा कर रहे थे, उनके एक वर्ष की कठोर तपस्या के बाद देवी मां ने दर्शन दिए। महर्षि ने देवी मां से वरदान मांगा की वे उनके घर पुत्री के रूप में जन्म ले। इस तरह उनका नाम कात्यायनी पड़ा।
कैसा होता है मां कात्यायनी का स्वरूप?
मां कात्यायनी का स्वरूप काफी तेजमयी होता है। ये चार भुजाओं के साथ दिखाई देती है। मां कात्यायनी के ऊपरी हाथों में तलवार होता है और निचले हाथों में कमल के फूल होते हैं। मां कात्यायनी की पूजा करने से पदोनत्ती होती है।
पूजा विधि
1) षष्टी की सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। पूजा स्थल को भी गंगाजल से शुद्ध कर लें। आप इस दिन लाल या पीले वस्त्र धारण कर सकते हैं।
2) इसके बाद मां कात्यायनी का ध्यान करते हुए, उनके मंत्र का जाप कर लें। इसके बाद घी का दीपक जलाकर पूजा अर्चना शुरू कर दे।
3) देवी मां को रोली, अक्षत, लाल चुनरी, धूप, दीप आदि चीज़ों को अर्पित करें। उनको लौंग, बताशे और पान में शहद लगाकर जरूर अर्पित करें।
4) अंत में कपूर जलाकर मां कात्यायनी की आरती उतारे और प्राथना करें की उनकी कृपा दृष्टि आपके परिवार और आप पर सदा बनी रहे।
मां कत्यायनी को इन चीज़ों का भोग लगाएं
देवी मां को शहद और पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। मां को शहद से बना हलवा भी बेहद पसंद है। लोग सूजी का हलवा शहद डालकर बनाकर माता को चढ़ा सकते हैं। आप उसमे स्वाद के लिए इलाइची पाउडर भी डाल सकते हैं।