नई दिल्ली: भारत में आर्थिक असमानता का एक नया चेहरा सामने आया है। दिल्ली देश का सबसे संपन्न राज्य बन गया है। दिल्ली ने खूब दौलत समेटी है। जबकि, बिहार और यूपी पीछे रह गए हैं। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्यों की प्रति व्यक्ति आय (per capita income) के आधार पर दिल्ली, तेलंगाना, कर्नाटक, हरियाणा और तमिलनाडु देश के सबसे अमीर राज्यों की सूची में शीर्ष पर हैं। वहीं, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य आर्थिक रूप से पीछे चल रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार अमीर राज्यों की लिस्ट कुछ इस प्रकार हैं :
— दिल्ली – 250.8%
–तेलंगाना – 193.6%
–कर्नाटक- 180.7%
–हरियाणा – 176.8%
–तमिलनाडु – 171.1%
दिल्ली ने प्रति व्यक्ति आय में अभूतपूर्व वृद्धि की है, जो इसे देश का सबसे धनी राज्य बनाती है। इसके पीछे के कारणों में औद्योगिक विकास, तकनीकी नवाचार और निवेश का लगातार बढ़ता प्रवाह शामिल हैं। दक्षिण भारत के राज्यों, जैसे तेलंगाना, कर्नाटक, और तमिलनाडु ने भी उल्लेखनीय प्रगति की है। ये राज्य अपने उद्योगों के विकास और उच्च शिक्षा के संस्थानों के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसने उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
वहीं, रिपोर्ट में गरीब राज्यों की स्थिति भी चिंताजनक है:
–बिहार – 32.8%
–झारखंड – 57.2%
–उत्तर प्रदेश – 50.8%
–मणिपुर- 66.0%
–असम – 73.7%
गिरी बिहार की प्रति व्यक्ति आय
बिहार की प्रति व्यक्ति आय में गिरावट चिंता का विषय है। यह राज्य लंबे समय से विकास की दौड़ में पीछे है, और इसका जीडीपी में योगदान भी केवल 4.3 प्रतिशत रह गया है। उत्तर प्रदेश, जो भारत की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है, का जीडीपी में योगदान 14 प्रतिशत से घटकर 9.5 प्रतिशत हो गया है। यह दर्शाता है कि आर्थिक विकास के लाभ समान रूप से वितरित नहीं हो रहे हैं।
महाराष्ट्र का देश की ओर क्या है आर्थिक योगदान ?
महाराष्ट्र, जिसे भारत की आर्थिक राजधानी माना जाता है, का जीडीपी में योगदान सबसे बड़ा है। लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह टॉप-5 में नहीं आता। इसकी वर्तमान प्रति व्यक्ति आय 150.7 प्रतिशत है। मुंबई में स्थित कई बड़े उद्योगों और वित्तीय संस्थानों के बावजूद, महाराष्ट्र को अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने की दिशा में और प्रयास करने की आवश्यकता है।
यह रिपोर्ट दिखाती है कि भारत में आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है, और यह समय की मांग है कि नीति निर्माता इस दिशा में गंभीर कदम उठाएं। गरीब राज्यों में विकास को गति देने के लिए आवश्यक नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण करना बेहद जरूरी है। यह आंकड़े न केवल राज्यों की आर्थिक स्थिति को स्पष्ट करते हैं, बल्कि यह भी इंगित करते हैं कि भारत की विकास यात्रा में कई चुनौतियां हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है। सरकार और नीति निर्माताओं को चाहिए कि वे एक समावेशी विकास मॉडल पर ध्यान केंद्रित करें, ताकि हर राज्य और समुदाय को लाभ मिल सके।