नई दिल्ली: दुनिया भर में हार्ट अटैक के मामले दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे हैं. इसके कारण ज्यादातर लोगों की जान हार्ट अटैक की वजह से जा रही है. सबसे बड़ी चिंता की बात यह है की हार्ट अटैक के कारण जान गंवाने वाले व्यक्तियों में सबसे अधिक कम उम्र के व्यक्ति शामिल हैं. दिल से जुड़ी समस्या पहले बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा होती थी. लेकिन अब यह समस्या कम उम्र के लोगों में ज्यादातर युवाओं में देखने को मिल रही है. यह समस्या कम उम्र में हो या बड़ी उम्र में हो. इस समस्या से बचने का उपाय करना बहुत जरूरी है. हार्ट अटैक होने के बहुत से कारण हो सकते हैं. जैसे धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, मोटापा, निष्क्रिय जीवन शैली, हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास, कम फिजिकल एक्टिविटी, तनाव, ज्यादा शराब पीना और कई कारणों की वजह से हार्ट अटैक होता है.
लोगों के मन में हार्ट अटैक को लेकर कई सारे सवाल आते हैं. हार्ट अटैक क्यों होता है? इसके लक्षण क्या होते हैं? अगर आस पास किसी को हार्ट अटैक आ जाता है तो उसकी मदद कैसे करें ? इस खबर में हम आपको इन सारे सवालों का जवाब देंगे ‘
हार्ट अटैक कब आता है ?
हार्ट अटैक तब आता है जब हार्ट में ब्लड का सर्कुलेशन गंभीर रूप से कम हो जाता है. या ब्लड फ्लो रुक जाने के कारण भी हार्ट अटैक आता है. यह तब होता है जब हार्ट की धमनियों में फैट, कोलेस्ट्रॉल या दूसरे पदार्थ इकट्ठा हो जाते हैं. वसायुक्त और कोलेस्ट्रॉल से भरे जमाव को ब्लाक कहा जाता है, जो धमनियों में जमा होकर एथेरोस्क्लेरोसिस की प्रक्रिया को जन्म देता है. कभी-कभी, यह ब्लाक फट सकता है और रक्त के थक्के का निर्माण कर सकता है, जो रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर देता है. जब यह ब्लॉकेज हृदय की धमनियों में होता है, तो हृदय को रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी हो जाती है, इससे दिल का दौरा (मायोकार्डियल इन्फार्क्शन) पड़ता है.
इस स्थिति में, हृदय की मांसपेशियों में रक्त की कमी के कारण ऊतक मर जाते हैं. समय के साथ, वसायुक्त ब्लाक की वृद्धि हृदय की धमनियों में पट्टिकाओं का निर्माण करती है, और अगर ये पट्टिकाएं फट जाती हैं, तो रक्त के थक्के बनकर धमनियों को अवरुद्ध कर सकते हैं.
हार्ट अटैक आने वाला है यह कैसे जानें
दिल के दौरे के लक्षण व्यक्तियों में भिन्न हो सकते हैं. कुछ लोगों में हल्के लक्षण होते हैं, जबकि दूसरे में गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं, और कुछ मामलों में कोई लक्षण नहीं होते. सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
– सीने में दर्द या दबाव, जोरदार जकड़न, पीड़ा या दबाव जैसा महसूस हो सकता है.
– दर्द या बेचैनी जो कंधे, हाथ, पीठ, गर्दन, जबड़े, दांत या ऊपरी पेट तक फैल सकती है.
– ठंडा पसीना, थकान, सीने में जलन या अपच, अचानक चक्कर आना, जी मिचलाना, और सांस लेने में कठिनाई.
महिलाओं में दिल के दौरे के लक्षण असामान्य हो सकते हैं, जैसे गर्दन, हाथ या पीठ में हल्का या तेज दर्द. कभी-कभी, दिल का दौरा अचानक कार्डियक अरेस्ट के रूप में प्रकट हो सकता है.
हालांकि कुछ दिल के दौरे अचानक होते हैं, कई लोगों को घंटों, दिनों या हफ्तों पहले चेतावनी के संकेत मिल सकते हैं. सीने में लगातार दर्द या दबाव, जिसे आराम करने पर भी ठीक नहीं होता, एनजाइना का संकेत हो सकता है. एनजाइना हृदय में रक्त के प्रवाह की अस्थायी कमी के कारण होता है.
लक्षण दिखने पर डॉक्टर से करें संपर्क
हार्ट से जुड़ी बीमारियों के लक्षण अक्सर शरीर में उत्पन्न होते हैं जिन्हें लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं. यदि इन लक्षणों की पहचान करके समय पर डॉक्टर से संपर्क किया जाए, तो हार्ट अटैक से बचा जा सकता है.
सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, उल्टी या मतली, हर वक्त कमजोरी महसूस होना, और अत्यधिक पसीना आना जैसे लक्षण हार्ट की समस्याओं के संकेत हो सकते हैं. इन लक्षणों को अनदेखा न करें और तुरंत अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें. आपको अपने डॉक्टर के सलाह के अनुसार कुछ ऐसी दवाएं रखें ताकि हार्ट अटैक के समय यह दवाइयां दी जा सकें. ऐसी दवाएं क्लॉट को तुरंत डिससाल्व करने में मदद करती है. इससे व्यक्ति को तुरंत आराम मिलता है. इससे व्यक्ति को अस्पताल जाने का भी समय मिलता है.
दिल के बीमारी से बचने के लिए करें यह काम
हार्ट डिजीज से बचने के लिए लाइफस्टाइल में सुधार करना आवश्यक है. मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, और हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल जैसी समस्याएं दिल से जुड़ी बीमारियों को जन्म दे सकती हैं. इसीलिए, खानपान पर ध्यान देना जरूरी है. नॉन-वेज की बजाय प्लांट-बेस्ड फूड का सेवन बढ़ाना चाहिए. इसके अलावा, शारीरिक सक्रियता बनाए रखना और मानसिक तनाव, चिंता, और अवसाद से दूर रहना भी जरूरी है. ये सभी उपाय बेहतर हार्ट हेल्थ के लिए मददगार साबित हो सकते हैं.
यह खबर या लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह लेख किसी भी इलाज या दवा का विकल्प नहीं हो सकता. हार्ट अटैक के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें.
किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आ जाए तो कैसे करें मदद
हार्ट अटैक के तुरंत बाद सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देना अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह प्राथमिक उपचार विधि मरीज की जान बचा सकती है, क्योंकि इसके माध्यम से पूरे शरीर में ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई फिर से शुरू हो जाती है. यदि किसी मरीज की सांस रुक जाती है, तो त्वरित सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है.
बीएमजे में प्रकाशित अमेरिकी रिसर्च के अनुसार, कार्डियक अरेस्ट के एक मिनट बाद सीपीआर देने से जीवित रहने की संभावना 22 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. वहीं, अगर सीपीआर 39 मिनट बाद दी जाती है, तो बचने की संभावना केवल 1 प्रतिशत रह जाती है. इसके अतिरिक्त, बिना बड़ी मस्तिष्क क्षति के अस्पताल से छुट्टी मिलने की संभावना, सीपीआर के एक मिनट के भीतर 15% से घटकर 32 मिनट के बाद 1% से भी कम हो जाती है. यह जानकारी अस्पतालों और रोगियों के परिवारों को पुनर्जीवन के निर्णय में मदद कर सकती है.
2022 में हार्ट अटैक से मरने वालों की संक्या 12.5 % बढ़ी
‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में दिल के दौरे से होने वाली मौतों की संख्या में 12.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में दिल के दौरे से 32,457 मौतें हुईं, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 28,413 था. कोविड-19 के बाद से दिल के दौरे से होने वाली मौतों में लगातार वृद्धि देखी गई है और कोरोनावायरस के कारण हार्ट फंक्शन पर प्रभाव पड़ने की जानकारी भी सामने आई है.
इसके अतिरिक्त, अचानक होने वाली मौतों की दर भी 2022 में बढ़ गई है. साल 2022 में अचानक मौतों की कुल संख्या 56,450 तक पहुंच गई, जो 2021 के 50,739 की तुलना में 10.1% अधिक है. एनसीआरबी के अनुसार, दिल के दौरे और ब्रेन स्ट्रोक जैसी समस्याओं से होने वाली मौतों में भी बढ़ोतरी देखी गई है. 2020 में ये आंकड़े 28,579 थे, जो 2021 में घटकर 28,413 हो गए थे, लेकिन 2022 में फिर से बढ़कर 32,457 हो गए हैं.