जमशेदपुर: जमशेदपुर के साकची स्थित राजेन्द्र विद्यालय में 9वीं और 11वीं के 79 स्टुडेंट्स के फेल होने का मामला तूल पकड़ गया है. बुधवार को इन स्टूडेंट्स के अभिभावकों ने राजेंद्र विद्यालय पहुंचकर जमकर हंगामा किया। अभिभावकों ने गेट पर तालाबंदी कर दी। बवाल बढ़ता देख प्रबंधन को पुलिस बुलानी पड़ी। पुलिस ने पहुंच कर मोर्चा संभाला। तब जाकर हालात सामान्य हुए।
इसी बीच जब स्कूल की प्रिंसिपल प्याली मुखर्जी ऑटो से अपने घर जा रही थीं तब अभिभावकों ने उनके ऑटो को घेर लिया और प्रिंसिपल को उतार लिया। अभिभावक, प्रिंसिपल को वापस अपने साथ स्कूल लेकर गए. लेकिन प्रिंसिपल स्कूल में ही कहीं छिप गईं. अभिभावकों के साथ झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय सदस्य राज लकड़ा भी मौजूद थे। बाद में प्रबंधन के लोग स्कूल पहुंचे और अभिभावकों के साथ उनकी मीटिंग हुई। लेकिन इस मीटिंग का कोई निष्कर्ष नहीं निकला. अभिभावकों का कहना है कि अभी तक 79 बच्चों का भविष्य दांव पर है.
बैठक में नहीं उपस्थित हुईं SDO पारुल सिंह
इस मामले में अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन के बीच एसडीओ पारुलसिंह ने मध्यस्थता की थी। SDO पारुल सिंह बुधवार की बैठक में उपस्थित नहीं हो सकीं. इसे लेकर अभिभावकों में नाराजगी रही. प्रबंधन से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अभिभावक और छात्र दोनों मायूस नजर आए .सूत्रों के अनुसार बुधवार की बैठक में SDO पारुल सिंह शामिल होने वाली थीं. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
क्या है मामला
जमशेदपुर के साकची स्थित राजेन्द्र विद्यालय में 9वीं और 11वीं के 79 बच्चों के फेल होने का मामला अब तक शांत नहीं हुआ है। कक्षा 9 और कक्षा 11 में स्टूडेंट्स के फेल होने के बाद अभिभावकों ने हंगामा किया था इसके बाद एसडीओ ने मध्यस्थता कर फैसला दिया था कि इन बच्चों को रिएग्जाम अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाए। प्रबंधन ने इन्हें अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया था। प्रबंधन का आरोप है कि यह स्टूडेंट पहले सेमेस्टर की परीक्षा में पास नहीं हो पाए हैं। इसलिए, इन्हें पिछली कक्षा में रिपीट कराया जा रहा है।
अभिभावकों ने यह लगाया आरोप
अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि विद्यालय ने बच्चों को जबरन फेल कर दिया है। इसके साथ ही अभिभावकों ने आरोप लगाया कि जो बच्चे प्राइवेट टीचिंग ले रहे थे। उन्हें पास कर दिया गया है। अभिभावकों का कहना है कि विषय वार शिक्षक किसी अन्य विषय का क्लास लेते हैं। इस वजह से विद्यार्थी कमजोर हुए हैं। इसलिए उन्होंने बच्चों को पास करने की मांग की है। इसके साथ ही अभिभावकों ने आग्रह किया है कि फेल बच्चों का फॉर्म भर कर परीक्षा देने की अनुमति दी जाए। वहीं अगर इसमें बच्चे पास नहीं हुए तो यह उनके अभिभावक की जिम्मेदारी होगी।
आखिर एक साथ इतने बच्चे कैसे हो गए फेल ?
विद्यालय का कहना है कि जो बच्चे कमजोर थे वे फेल हुए हैं। आखिर ये सोचने वाली बात है कि विद्यालय के जो बच्चे विद्यालय में लगभग 10 से 11 साल से पढ़ रहे हैं। वे अचानक पढ़ाई में कमजोर होकर फेल कैसे हो गए। क्या ये बच्चे अपनी पिछली कक्षाओं में भी फेल होते थे, अगर फेल होते थे तो ये बच्चे 10वीं और 12वीं तक पहुंचे कैसे? सवाल ये भी उठता है कि इस बड़े विद्यालय से हर साल बच्चों से फीस के माध्यम से लाखों रुपए की फीस की जाती है।
अभिभावकों की मांग, होनी चाहिए उच्चस्तरीय जांच
यह बच्चों के भविष्य का मामला है, इसलिए अभिभावकों ने इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। ऐसे गंभीर मामलों में डीसी को जरूर उच्चस्तरीय जांच के लिए कमेटी गठित करनी चाहिए। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रशासन हमेशा अपनी मनमानी करते हैं। स्कूल के शिक्षक अपने यहां बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन में पढ़ने के लिए कहते हैं। ये भी देखा गया है कि जिन बच्चों ने प्राइवेट ट्यूशन ली वे पास हो गए। वहीं अधिकतर बच्चे ऐसे थे जिन्होंने प्राइवेट ट्यूशन नहीं ली और एग्जाम में फेल हो गए।
पिछली बार एसडीओ के निर्देश पर फेल हुए बच्चों को किया गया था प्रमोट : प्रिंसिपल प्याली मुखर्जी
मामले को लेकर प्रिंसिपल प्याली मुखर्जी ने कहा कि छठवीं से लेकर 12वीं तक बिना पढ़े बच्चों को पास कर देना क्या उचित होगा। इसके बावजूद पिछली बार एसडीओ के दिशा निर्देश पर इस बार फेल हुए बच्चों को प्रमोट करने के लिए दोबारा परीक्षा ली गई थी। मगर सिर्फ 15 बच्चे ही इसमें से पास हो पाए हैं। उन्होंने ये भी कहा कि जिस पैटर्न में परीक्षा ली गई वह सभी बच्चों के लिए एक समान थी। लेकिन कुछ बच्चे पास हुए और बाकी बच्चे फेल हो गए। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों की अपनी कमजोरी है। इसमें स्कूल की कोई लापरवाही नहीं है। इसके बावजूद अभिभावकों की मांग को कमेटी के सामने रख कर निर्णय लिया जाएगा।
अभिभावकों का आरोप
-पेरेंट्स का कहना है की 39 में से 35 बच्चे फेल हो गए हैं. क्योंकि वह 35 प्रतिशत अंक नहीं ला पाए. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है.
-स्कूल प्रॉपर टीचिंग या स्टडी फैसिलिटी नहीं प्रदान कर पाया है. लेकिन फिर भी बच्चों के पेरेंट्स से यह बात हमेशा पूछी जाती है कि उनके बच्चों को एकत्र क्लास लेना है कि नहीं.
-सबसे गंभीर आरोप यह है कि ज्यादातर शिक्षक बच्चों पर प्राइवेट ट्यूशन का दबाव डालते हैं. स्कूल के अधिकतर शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन लेते हैं.
-स्कूल की प्रिंसिपल प्याली मुखर्जी बच्चों के बेनिफिट के लिए आज तक कोई स्टैंड नहीं ले पाई हैं.
-CISEC की वेबसाइट पर प्रिंसिपल का नाम राखी बनर्जी दिया गया है. लेकिन स्कूल में प्रिंसिपल की भूमिका प्याली मुखर्जी निभाती हैं.
-पेरेंट्स का यह कहना है कि किसी भी स्कूल में मिड टर्म में एडमिशन कराना बहुत मुश्किल है. ऐसे में वह अपने बच्चों को कहा एडमिशन दिलाएंगे.
-अगर बच्चे वह क्लास रिपीट भी करते हैं तो स्कूल के द्वारा उन्हें प्रमोट करने की कोई गारंटी नहीं दी गई है.
-इस कारण बच्चे मानसिक और शारीरिक रूप से तकलीफ में हैं.
झामुमो के केंद्रीय सदस्य राज लकड़ा के स्कूल प्रबंधक से सवाल
-स्कूल में रोजाना कितने बच्चों का क्लास होता है ?
-स्कूल में कितने अत्यंत गरीब बच्चे पढ़ते हैं. जिनकी फीस झारखण्ड सरकार द्वारा दी जाती है ?
-स्कूल में कुल कितने छात्र छात्राएं है ?
-स्कूल में 75 प्रतिशत टीचर व स्टाफ स्थानीय है कि नहीं। इसकी सूची दी जाए.
-स्कूल में बीएड किए हुए कितने शिक्षक है ? इनकी भी सूची दी जाए.
-सबर जाति के बच्चों की 25 प्रतिशत सीट रिज़र्व है या नहीं ? वह किस किस क्लास में है और इसकी भी सूची दी जाए.
-स्कूल में SC/ST बच्चे कितने है?