नई दिल्ली: भगवान गणेश को दुखहर्ता माना जाता है। वे लोगों के दुखों और कष्टों को हरने वाले हैं। हर पूजा से पहले उनकी पूजा अर्चना की जाती है। वे अपने भक्तों पर बड़ी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। वहीं कुछ चीज हैं जो उन्हें काफी क्रोधित भी कर देती है। भक्तों को इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए कि वे ऐसा कुछ न करें।
1) भगवान गणेश ने कर दिया था कुबेर राज का भंडार खाली
हमें कभी भी किसी भी चीज़ पर गर्व नहीं दिखाना चाहिए। भगवान गणेश को पसंद नहीं कि कोई अपने चीज़ों पर गर्व जताए। हमें हमेशा विनम्र होना चाहिए। एक बार जब धनराज कुबेर को अपने सोने के भंडार पर बहुत गर्व हो गया था, और अपने वैभव के प्रदर्शन के लिए सभी देवी देवताओं को अपने महल में आमंत्रित किया था। उनके गर्व को चूर चूर करने के लिए भगवान गणेश ने उनका पूरा खज़ाना खाली कर दिया। कुबेर राज को जब अपनी गलती का एहसास हुआ उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी।
2) भगवान गणेश को नहीं पसंद अमर्यादित व्यवहार
भगवान गणेश को अमर्यादित स्वभाव बिलकुल पसंद नहीं। लोगों को हमेशा मर्यादा का पालन करना चाहिए। एक बार इसी वजह से भगवान शिव से भी उन्होंने युद्ध कर लिया था। एक बार की बात है जब माता पार्वती ने गणेश जी को बाहर पहरा देने के लिए कहा था जब वो स्नान करने अंदर गई हुई थी। परंतु शिव जी ने अंदर जाने की इच्छा प्रकट की तो गणेश जी ने उनका रास्ता रोक लिया। शिव जी ने जब ज़िद की तो गणेश जी ने उनसे युद्ध कर लिया। शिव जी को अपनी भूल का तब ज्ञात हुआ, जब उन्होंने क्रोध में आकर गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था। अपने भूल को सुधारने के लिए उन्होंने गणेश जी के धड़ से हाथी के बच्चे का सिर जोड़कर उनको जीवित किया।
3) नहीं पसंद लोगों का अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करना
गणेश जी को नहीं पसंद कि लोग अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करें। लोगों को अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर के किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए। बहुत कम लोगों को पता होगा की मूषक राज पहले मूषकासुर के नाम से जाना जाता था। वो काफी ऊधम मचाने वाला हुआ करता था। मूषकासुर साधुओं को काफ़ी परेशान करता था और उनकी पूजा में बाधा की श्रृष्टि करता था। वो पूजा की सामग्री लेकर भाग जाया करता था। गणेश जी ने मूषकासुर को सबक सिखाने के लिए उसकी सारी शक्तियां छीन लीं और उसे अपना वाहन बना लिया।
4) परशुराम से भी हो गई गणेश जी की लड़ाई
किसी को भी अहंकार नहीं होना चाहिए। भगवान गणेश जी को बिलकुल पसंद नहीं अहंकार। यदि आपको गणपति बप्पा का आशीर्वाद चाहिए, आपको सबसे पहले अहंकार का त्याग करना होगा। एक बार की बात है जब परशुराम भगवान शिव से मिलने आए थे। परंतु गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोका क्योंकि भगवान शिव और माता पार्वती एकांत में समय व्यतीत कर रहे थे। परशुराम को इस बात का अहंकार था कि, वे भगवान शिव के शिष्य एवं सबसे बड़े भक्त हैं। इसी वजह से उनके बीच युद्ध हो गया और परशुराम ने जब गणेश जी को चोट पहुंचाया माता पार्वती और शिव जी भी क्रोधित हो गए। तब परशुराम को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने क्षमा मांगी।