जमशेदपुर : जमशेदपुर के साकची स्थित राजेन्द्र विद्यालय में 10वीं और 12वीं के 79 बच्चों के फेल होने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि विद्यालय ने बच्चों को जबरन फेल कर दिया है। इसके साथ ही अभिभावकों ने आरोप लगाया कि जो बच्चे प्राइवेट टीचिंग ले रहे थे उन्हें पास कर दिया गया है। अभिभावकों का कहना है कि विषय वार शिक्षक किसी अन्य विषय का क्लास लेते हैं। इस वजह से विद्यार्थी कमजोर हुए हैं। इसलिए उन्होंने बच्चों को पास करने की मांग की है। इसके साथ ही अभिभावकों ने आग्रह किया है कि फेल बच्चों का फॉर्म भर कर परीक्षा देने की अनुमति दी जाए। वहीं अगर इसमें बच्चे पास नहीं हुए तो यह उनके अभिभावक की जिम्मेदारी होगी।
आखिर एक साथ इतने बच्चे कैसे हो गए फेल ?
विद्यालय का कहना है कि जो बच्चे कमजोर थे वे फेल हुए हैं। आखिर ये सोचने वाली बात है कि विद्यालय जो बच्चे विद्यालय में लगभग 10 से 11 साल से पढ़ रहे हैं। वे अचानक पढ़ाई में कमजोर होकर फेल कैसे हो गए। क्या ये बच्चे अपनी पिछली कक्षाओं में भी फेल होते थे, अगर फेल होते थे तो ये बच्चे 10वीं और 12वीं तक पहुंचे कैसे? सवाल ये भी उठता है कि इस बड़े विद्यालय से हर साल बच्चों से फीस के माध्यम से लाखों रुपए की उगाही की जाती है। आजकल के दौर में जहां सामान की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। ऐसे में ग्राहक भी बड़ी समझदारी के साथ खरीदारी करते हैं, तो क्या अभिभावकों का ये हक नहीं बनता कि लाखों रुपए खर्च करने के बाद उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले। अगर बात राजेंद्र विद्यालय की की जाए तो यह शहर के बड़े स्कूलों में शुमार है। जहां हर साल बच्चों के एडमिशन को लेकर अभिभावकों में होड़ लगी रहती है।
अभिभावकों की मांग, होनी चाहिए उच्चस्तरीय जांच
चुकी यह शिक्षा और बच्चों के भविष्य का मामला है, इसलिए अभिभावकों ने इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। ऐसे गंभीर मामलों में डीसी को जरूर उच्चस्तरीय जांच के लिए कमेटी गठित करनी चाहिए। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रशासन हमेशा अपनी मनमानी करते हैं। स्कूल के शिक्षक अपने यहां बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन में पढ़ने के लिए कहते हैं। ये भी देखा गया है कि जिन बच्चों ने प्राइवेट ट्यूशन ली वे पास हो गए। वहीं अधिकतर बच्चे ऐसे थे जिन्होंने प्राइवेट ट्यूशन नहीं ली और एग्जाम में फेल हो गए।
पिछली बार एसडीओ के निर्देश पर फेल हुए बच्चों को किया गया था प्रमोट : प्रिंसिपल प्याली मुखर्जी
मामले को लेकर प्रिंसिपल प्याली मुखर्जी ने कहा कि छठवीं से लेकर 12वीं तक बिना पढ़े बच्चों को पास कर देना क्या उचित होगा। इसके बावजूद पिछली बार एसडीओ के दिशा निर्देश पर इस बार फेल हुए बच्चों को प्रमोट करने के लिए दोबारा परीक्षा ली गई थी। मगर सिर्फ 15 बच्चे ही इसमें से पास हो पाए हैं। उन्होंने ये भी कहा कि जिस पैटर्न में परीक्षा ली गई वह सभी बच्चों के लिए एक समान थी। लेकिन कुछ बच्चे पास हुए और बाकि बच्चे फेल हो गए। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों की अपनी कमजोरी है। इसमें स्कूल की कोई लापरवाही नहीं है। इसके बावजूद अभिभावकों की मांग को कमेटी के सामने रख कर निर्णय लिया जाएगा।