नई दिल्ली: भारत में स्टूडेंट्स की आत्महत्या की बढ़ती दर एक गंभीर मुद्दा बन गई है। इंटरनेशनल करियर एंड कॉलेज काउंसलिंग (आईसी 3) की हालिया रिपोर्ट ने इस समस्या को महामारी की तरह पेश किया है। रिपोर्ट में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डेटा के आधार पर खुलासा किया गया है कि 2022 में आत्महत्या के कुल मामलों में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं स्टूडेंट्स की आत्महत्या दर में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में 13,044 स्टूडेंट्स ने आत्महत्या की। जबकि, उसी वर्ष में 11,290 किसानों ने आत्महत्या की। आंकड़ों के अनुसार, हर दिन जहां 31 किसान आत्महत्या कर रहे हैं, वहीं हर दिन 36 स्टूडेंट्स आत्महत्या कर रहे हैं। यह तथ्य विशेष रूप से चिंताजनक है। क्योंकि स्टूडेंट्स की आत्महत्या की घटनाएं पॉपुलेशन दर और कुल आत्महत्या दर दोनों को पार कर रही हैं। पिछले 10 वर्षों में, 24 साल तक के व्यक्तियों की जनसंख्या 58.2 करोड़ से घटकर 58.1 करोड़ हो गई है। जबकि स्टूडेंट्स की आत्महत्या की घटनाएं 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई हैं। 2021 में कुल आत्महत्याओं की संख्या 1,64,033 थी, जो 2022 में बढ़कर 1,70,924 हो गई। इसमें 7.6 प्रतिशत लोग स्टूडेंट्स थे।UICEF की रिपोर्ट के मुताबिक, 15 से 24 साल की उम्र के बीच हर 7 में से 1 बच्चा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और डिप्रेशन से जूझ रहा है, और इनमें से केवल 41 प्रतिशत लोग मदद लेने के बारे में सोचते हैं। तो दक्षिणी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्टूडेंट्स की आत्महत्या की दर सबसे अधिक है, जो 29 प्रतिशत है। इसमें आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक, पुदुचेरी, अंडमान और लक्षद्वीप शामिल हैं। पश्चिम भारत में 27 प्रतिशत और उत्तर भारत में 16 प्रतिशत स्टूडेंट्स आत्महत्या कर रहे हैं।
कौन सा राज्य है स्टूडेंट्स सुसाइड में आगे
जब भी किसी व्यक्ति से स्टूडेंट्स सुसाइड के बारे में बात की जाती है तो उसके मन में सबसे पहले कोटा का नाम आता है। लेकिन देश में सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स सुसाइड कोटा में नहीं होते हैं। आइए हम जानते हैं कि देश के किन राज्यों में अधिकतम स्टूडेंट्स सुसाइड के मामले सामने आते हैं। साल 2022 के आकड़ों के अनुसार इनमें से सबसे पहले महाराष्ट्र आता है। जहां 1764 स्टूडेंट्स ने आत्महत्या की। वहीं तमिलनाडु में में 1416 स्टूडेंट्स ,मध्यप्रदेश में 1340 स्टूडेंट्स , उत्तर प्रदेश में 1060 स्टूडेंट्स ,झारखंड में 824 स्टूडेंट्स और राजस्थान में 571 स्टूडेंट्स ने सुसाइड किया। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और झारखंड को अगर मिला कर बात की जाए तो इन पांच राज्यों में कुल 49 प्रतिशत सुसाइड के मामले हैं।
10 सालों में मेल और फीमेल छात्रों की सुसाइड में हुई 92 से 99 प्रतिशत की बढ़ोतरी
एक और चिंताजनक आंकड़ें यह हैं कि पिछले 10 सालों में मेल स्टूडेंट्स की आत्महत्या के आंकड़े 50 प्रतिशत तक बढ़े हैं। वहीं फीमेल स्टूडेंट्स का यह आंकड़ा बढ़कर 61 प्रतिशत हो गया है।
आईसी 3 की रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2022 में स्टूडेंट्स सुसाइड के मामले में 53 प्रतिशत मेल स्टूडेंट्स थे। 2021 के मामले के मुकाबले इसमें 6 पर्तिशत की गिरावट हुई है। जबकि फीमेल स्टूडेंट्स में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। अगर ओवर आल देखा जाए तो बीते 10 सालों में स्टूडेंट्स सुसाइड मामल में मेल स्टूडेंट्स में 99 प्रतिशत और फीमेल स्टूडेंट्स में 92 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है . स्टूडेंट्स पढ़ाई के स्ट्रेस, डिप्रेशन, रैगिंग, बुल्लिंग, भेदभाव और पैसों की दिक्कत जैसी वजह से आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं।
आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। अगर आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति मानसिक तनाव या डिप्रेशन से जूझ रहा है, तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करें। आप टोल फ्री नंबर 0804611007 पर कॉल करके भी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।आशा है कि ये आंकड़े समाज को जागरूक करेंगे और हमें इस गंभीर समस्या के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करेंगे।