नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्रों और प्रशासन के बीच चल रहे गतिरोध के बीच एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की प्रमुख मांगों को स्वीकार कर लिया है, जिसमें जातिगत जनगणना, पुरानी प्रवेश परीक्षा प्रणाली की बहाली और छात्रवृत्ति की राशि बढ़ाने की मांगें शामिल हैं। प्रशासन ने इन मुद्दों पर मौखिक सहमति दी है, जबकि छात्रों ने इसे लिखित रूप में स्वीकार करने की मांग की है।
छात्र संघ द्वारा उठाई गई मांगों में जेएनयू प्रवेश परीक्षा (JNUEE) को फिर से लागू करना, परिसर में जातिगत जनगणना कराना और छात्रवृत्ति की राशि में वृद्धि करना शामिल हैं। छात्रों ने पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल की हुई है, और उनकी स्वास्थ्य की स्थिति अब चिंताजनक हो गई है। भूख हड़ताल के 16 वें दिन, छात्र संघ के अध्यक्ष धनंजय का वजन 5 किलो घट गया है और उन्हें कीटोन लेवल के साथ पीलिया और पेशाब में संक्रमण (यूटीआई) जैसी समस्याएं हो गई हैं। वहीं, छात्र नीतीश कुमार का वजन लगभग 7 किलो कम हो गया है और वे जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द की शिकायत कर रहे हैं।
छात्रों ने निकाला लंबा मार्च
इसके बावजूद, छात्र संघ ने भूख हड़ताल और रात में जागरण की अपनी योजना जारी रखी है और लिखित पुष्टि की मांग की है। 23 अगस्त को, JNUSU ने शिक्षा मंत्रालय तक एक लंबा मार्च निकाला और विश्वविद्यालय के रेक्टर- I, बृजेश कुमार पांडे से आश्वासन प्राप्त किया कि उनकी कुछ मांगों को पूरा किया जाएगा। छात्रों की इस ज़िद और संघर्ष ने प्रशासन को उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करने पर मजबूर कर दिया है।
JNU में छात्रों की मांगें मानी गईं, जानें क्यों बहाल की गई जातिगत जनगणना और पुरानी परीक्षा प्रणाली
Leave a comment