Monkeypox को लेकर भारत सरकार की ओर से अलर्ट घोषित कर दिया गया है. इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स को लेकर दिल्ली के 3 अस्पतालों को नोडल सेंटर भी बना दिया है, क्योंकि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और पीओके में मंकीपॉक्स पॉजिटिव मरीज मिले हैं. इसके साथ ही मध्य अफ्रीका से निकलकर मंकीपॉक्स का खतरा अन्य देशों तक पहुंचने के बाद अब भारत में भी बढ़ने लगा है.
मंकीपॉक्स को लेकर Padhega India की टीम ने आज बुधवार को जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल के ट्रेनी डॉक्टर मोहम्मद सरफराज आलम से बातचीत की.
क्या है मंकीपॉक्स ?
डॉक्टर सरफराज ने कहा कि मंकीपॉक्स एक बहुत ही ज्यादा तेजी से फैलने वाली बीमारी है. सबसे पहले 1980 में मंकीपॉक्स का कॉन्गो और साउथ अफ्रीका जैसे देशों में पता चला था. इसके बाद 2022 में मंकीपॉक्स के मामले अफ्रीका में सामने आए. इसके साथ ही वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है. वहीं मंकीपॉक्स के 2 से 3 मामले पकिस्तान में भी सामने आए हैं. मंकीपॉक्स में शुरुआत में बुखार आता है, फिर शरीर में चकत्ते बनने शुरू होते हैं. इसके बाद ये चकत्ते फोड़े बनने लगते हैं. ऐसा होने में 7 से 14 दिन का वक्त लगता है. इसके साथ ही ये बीमारी इतने ही दिन में ठीक भी हो जाती है.
क्या है इसका इलाज ?
डॉक्टर सरफराज का कहना है कि इसके लिए किसी भी तरह का इलाज नहीं किया जाता है. इस बीमारी में बुखार और चकत्ते से संबंधित दवाएं ही दी जाती हैं. इसके साथ ही भारत सरकार ने इसके लिए कदम उठाए हैं, इसमें दिल्ली AIIMS में मेडिसिन के डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स और डर्मा के डॉक्टर्स की टीम बनाई है. ये डॉक्टर्स मंकीपॉक्स के वार्ड को देखेंगे. इसके साथ ही AIIMS में मंकीपॉक्स के लिए 10 बेड भी तैयार कर लिया गया है. वहीं अगर किसी मरीज की हालत ज्यादा गंभीर हो जाए तो उसे सफदरगंज अस्पताल में ट्रांसफर करने की भी सुविधा उपलब्ध है.
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स को अमूमन जेनोसिस कहा जाता है, यह बीमारी जानवर से इंसान में आती है. यह बंदर, बड़े चूहे और जंगली गिलहरी से फैलता है. इसके साथ ही ये और भी तरीके से फैलता है. कम्युनिकेबल डिजीज होने की वजह से यह तेजी से फैलता है. यह कांटेक्ट के जरिए भी फैलता है. अगर कोई पहले से ही मंकीपॉक्स से पीड़ित है और आप उसके संबंध में रहे तो उससे भी यह बीमारी फैलती है. यह इंसान से इंसान में भी फैल सकती है. इसके साथ ही मंकीपॉक्स खांसी से भी फैल सकती है, मगर इसकी संभावना कम ही रहती है. बताया जा रहा है कि यह बीमारी सेक्स के जरिए भी फैल सकती है.
कोरोना की तुलना में कितनी भयावह है ये बीमारी
डॉक्टर सरफराज ने कहा कि कोरोना में जितनी तेजी से मौत हो रही थी, उतनी तेजी से मंकीपॉक्स में मौतें नहीं हो रही हैं. इससे हुई मौत को लेकर कोई डाटा नहीं है.
मंकीपॉक्स से बचाव के उपाय
मंकीपॉक्स से पीड़ित मरीज को भी कोरोना की तरह आइसोलेट हो कर रहना चाहिए. इसके साथ ही जिस भी चीज का इस्तेमाल हम कर रहे हैं, इसका ध्यान रखना है कि वो चीजें मंकीपॉक्स से पीड़ित मरीज के संपर्क में न आई हों. वहीं इसके लिए अभी मौजूदा समय में कोई भी वैक्सीन नहीं है. इसके साथ ही मंकीपॉक्स भी उसी परिवार का हिस्सा है जिससे चिकनपॉक्स होता है. डॉक्टर सरफराज ने कहा कि फिलहाल चिकनपॉक्स की वैक्सीन ही मंकीपॉक्स के लिए दी जा रही है.
मंकीपॉक्स हो जाए तो क्या करें
अगर किसी को मंकीपॉक्स हो जाए तो उससे दूर रहें एवं उसे आइसोलेट रहने की सलाह दें. इसके साथ ही खांसी और बुखार व शुरूआती लक्षण दिखने पर फौरन डॉक्टर्स से सलाह लें.