नई दिल्ली: दिल्ली की हायर एजुकेशन पॉलिसी में जल्द ही बड़े बदलाव हो सकते हैं, क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 2016 की हायर एजुकेशन पॉलिसी में सुधार करने की सलाह दी है। यह सलाह तब आई जब विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज (VIPS) ने बीटेक सीटों को 60 से बढ़ाकर 180 करने की मांग की। आइए जानें, हाई कोर्ट के इस निर्देश का क्या महत्व है और इससे दिल्ली सरकार की एजुकेशन पॉलिसी में क्या बदलाव हो सकते हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट की सलाह पर पॉलिसी गाइडलाइंस में संभावित बदलाव
दिल्ली हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और यूनिवर्सिटीज को एक साथ काम करने की सलाह दी है ताकि हायर एजुकेशन और टेक्निकल एजुकेशन के उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। कोर्ट ने 2016 की पॉलिसी गाइडलाइंस की समीक्षा करते हुए कहा कि इसमें बदलाव की सख्त जरूरत है, खासकर तकनीकी शिक्षा के क्षेत्रों में तेजी से हो रही प्रगति को देखते हुए। न्यायमूर्ति कांता शर्मा ने कहा कि मौजूदा पॉलिसी अब समाज की बदलती जरूरतों और नए कोर्सेज के लिए प्रासंगिक नहीं है।
VIPS की मांग और कोर्ट का फैसला
VIPS ने बीटेक प्रोग्राम की सीटों को 60 से बढ़ाकर 180 करने के लिए दिल्ली सरकार और गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी (GGSIPU) से एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) की मांग की थी। हालांकि, AICTE ने इसकी मंजूरी दे दी थी, लेकिन दिल्ली सरकार और IP यूनिवर्सिटी ने इसे खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने VIPS की मांग को अस्वीकार करते हुए कहा कि संस्था की मांगों में मंजूरी देने के लिए कोई ठोस आधार नहीं है।
कोर्ट की टिप्पणी और पॉलिसी गाइडलाइन्स पर सुझाव
कोर्ट ने कहा कि AICTE और GGSIPU जैसे संस्थानों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि हायर और टेक्निकल एजुकेशन की जरूरतों को पूरा किया जा सके। लेकिन, 2016 की पॉलिसी गाइडलाइंस बदलते समाज की जरूरतों को ध्यान में रखने में विफल साबित हो रही है। GGSIP यूनिवर्सिटी ने कहा कि VIPS की सीट बढ़ाने की मांग पर तभी विचार किया जा सकता है जब पिछले दो अकादमिक वर्षों में 75% एडमिशन की वृद्धि हो।
संभावित बदलाव और चैलेंजेस
हाई कोर्ट के इस निर्देश से यह स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार को अपनी हायर एजुकेशन पॉलिसी पर पुनर्विचार करना होगा। इससे दिल्ली के हायर एजुकेशन के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अब देखने की बात यह होगी कि दिल्ली सरकार इस सलाह को कितना गंभीरता से लेती है और क्या बदलाव होते हैं।
यह बदलाव दिल्ली के छात्रों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं, और आने वाले दिनों में सरकार की प्रतिक्रिया पर सभी की नजरें होंगी।