टीजीटी की परीक्षा पास करने के बाद भी नहीं हो पा रही तैनाती, जानें क्या है मामला
रांची : अगर आप सरकारी नौकरी की परीक्षा में सफल हो जाएं और किसी तरह सूचना नहीं मिलने पर आप इस नौकरी से महरूम रह जाएं तो आप पर क्या गुजरेगी। ठीक ऐसी ही दर्द भरी कहानी है चतरा के बेल्हा के रहने वाले दिव्यांग अनिल की। अनिल दांगी ने साल 2016 में (ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर) टीजीटी का फार्म भरा था। साल 2017 में परीक्षा भी दी थी। जून 2023 में निकले इस परीक्षा के रिजल्ट में वह पास भी हो गए। मगर, यह जानकारी अनिल दांगी को नहीं मिल पाई। इस वजह से वह डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन में शामिल नहीं हो सके। कुछ दिन पहले किसी ने उनसे कहा कि रांची जाकर पता करो। तब वह रांची आए और झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन के दफ्तर जाकर रिजल्ट का पता लगाया।
रिजल्ट में सफल घोषित होने पर हो गए प्रसन्न
अनिल दांगी ने जब झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन में जाकर पता लगाया तो उन्हें बताया गया कि रिजल्ट तो पिछले साल जून में ही जारी हो गया है। इसके बाद अनिल दांगी ने झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन के दफ्तर में ही किसी तरह रिजल्ट का जुगाड़ किया। रिजल्ट देखते ही उनकी बांछें खिल गईं। रिजल्ट में उन्हें सफल बताया गया था। उनका भी चयनित उम्मीदवारों की सूची में नाम था।
जल्द ही खुशी हो गई काफूर
मगर, जब वह झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन के अधिकारियों से मिले तो उनकी सारी खुशी काफूर हो गई। उन्हें बताया गया कि अब वह इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकेंगे। क्योंकि, इसमें डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन की तारीख तो निकल चुकी है। भर्ती प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। अब भर्ती का कोई चांस नहीं है। यह सुन कर अनिल दांगी रोने लगे। अब वह इस भर्ती में शामिल होकर नौकरी पाने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं।
छह साल बाद जारी हुआ था रिजल्ट
टीजीटी परीक्षा साल 2017 में आयोजित की गई थी। मगर, इसका रिजल्ट छह साल बाद आया। अनिल दांगी कहते हैं कि उन्होंने काफी इंतजार किया। दो-तीन साल इंतजार करने के बाद उन्होंने यह मान लिया कि शायद अब इस परीक्षा का रिजल्ट नहीं निकलेगा। इसके बाद उन्हें आज तक कोई जानकारी नहीं मिली।
कोई ईमेल नहीं मिला
अनिल दांगी कहते हैं कि उन्हें रिजल्ट के बारे में झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई। न रिजल्ट के बारे में कुछ बताया गया और ना ही यह बताया गया कि कब डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन होगा। अनिल दांगी मंगलवार को भी रांची आए थे। उन्होंने अधिकारियों से मिल कर मांग की कि वह दिव्यांग हैं। उनके ऊपर दया दिखाई जाए। उन्हें यह नौकरी दी जाए। मगर, अभी तक अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा है।