पेपर बेचने से लेकर राष्ट्रपति बनने तक सफर, हैरान कर देगा ‘मिसाइल मैन’स्ट्रगल
भारत रत्न से नवाजे जा चुके देश के 11वें राष्ट्रपति रहें मिसाइल मैन यानी ऐपीजे अब्दूल कलाम भले आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी घटना हमें आज भी प्रेरित करती है. 27 जुलाई को कलाम साहब की पुण्यतिथि मनाई जाती है. आज हम आपसे शेयर करेंगे, उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से..
8 साल की उम्र में बेचा पेपर
तमिलनाडू के रामेश्वरम में जन्में एपीजे कलाम अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे. एक बेहद ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले इस मिसाइल मैन की जिंदगी बहुत ही संघर्षों में गुजरी है. बचपन में फैमिली को सपोर्ट करने के लिए वे आठ साल की उम्र में ही पेपर बेचने का काम किया करते थे. कलाम वे अक्सर इस बात पर जोर देते थे कि लोग आत्मनिर्भर बने. यही वजह है पढ़ाई का खर्चा भी उन्होंने स्कॉलरशिप और खुद के दम पर किया था.
पायलट बनना चाहते थे कलाम
कलाम बड़े होकर पायलट बनने का सपना देखा करते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. आगे चलकर उन्होंने फिजिक्स से ग्रैजुएशन करने के बाद एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. डॉक्टर कलाम ने इंडिया में बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास में अहम भूमिका निभाई और यहीं से उन्हें मिसाइल मैन का टाइटिल मिला.
ये रेकॉर्ड था उनके नाम
डॉक्टर कलाम के साथ एक और रेकॉर्ड यह भी जुड़ा कि वे भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जो साइंटिस्ट थे. यूथ के बीच उनकी खासी पॉप्युलैरिटी थी.डॉक्टर कलाम 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, 1997 में भारत रत्न जैसे सम्मानित अवॉर्ड से नवाजे जा चुके हैं.
उनकी आखिरी इच्छा भी हुई पूरी
कई किताबें लिखने वाले कलाम अक्सर कहा करते थे, कि अगर आप अपना पसंदीदा काम करते हुए जान गंवाते हैं, तो इससे ज्यादा संतुष्टि कुछ और हो नहीं सकती. यही कलाम साहब के साथ भी हुआ,27 जुलाई 2015 में आईआईटी गुवाहाटी में जब वो स्टूडेंट्स को संबोधित कर रहे थे, तो उसी दौरान कार्डियाक अरेस्ट से उनका निधन हो गया.
अप्स ऐंड डाउन से जीवन भरे होने के बावजूद डॉक्टर कलाम अपने चेहरे में वो सौम्य मुस्कान लिये रहते थे. आठ साल की उम्र में पेपर बेचने से लेकर भारत के सबसे चहेते राष्ट्रपति बनने का सफर वाकई में हम सभी को इंस्पायर करता है. आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि.