हायरिंग प्रक्रिया में बैकग्राउंड वेरिफिकेशन का महत्व बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसी समय एक चिंताजनक तथ्य सामने आ रहा है। IDFY के अनुसार, पिछले एक साल में जॉब एप्लीकेशन में फर्जी सर्टिफिकेट जमा करने वालों की संख्या में चौंकाने वाली बढ़ोतरी सामने आई है। यहां तक कि यह दर 3% से बढ़कर 9% हो गई है।
इस वृद्धि के पीछे एक साफ पैटर्न नजर आ रहा है। इंटीग्रेटेड आइडेंटिटी वेरिफिकेशन एंड फ्रॉड प्रिवेंशन प्लेटफार्म के अनुसार, यह तरीका अब एक सिस्टमैटिक तरीके से फैल रहा है, जिससे इस धोखाधड़ी को काबू में रखना और इसके खिलाफ लड़ना और भी कठिन हो रहा है। IDFY के अनुसार, फर्जी एम्प्लॉयमेंट सर्टिफिकेट हासिल करना अब आम बात हो गई है। यह सस्ता, आसान और घंटों के अंदर बन जाता है, जो इसे और भी अत्यधिक लोकप्रिय बना रहा है। अब कंपनियों को उनकी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए अपने एम्प्लॉयीज के डेटा का सही और विश्वसनीय वेरिफिकेशन करने की जरूरत है।
प्रभावित क्षेत्र
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैंकिंग, फिनांशियल सर्विसेस, इंश्योरेंस, ई-कॉमर्स और स्टाफिंग सेक्टर में इस तरह की धोखाधड़ी का सबसे ज्यादा असर महसूस हो रहा है। इसे रोकने के लिए, एक व्यापक और संगठित पहल आवश्यक है ताकि ये अवैध प्रथाओं के खिलाफ लड़ा जा सके और उचित सुरक्षा उपाय अपनाए जा सकें।
किस तरह से होता है स्कैम?
एक स्कैम कैसे होता है, इसकी समझ बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर जब इसका प्रभाव नौकरी और करियर के क्षेत्र में होता है। IDFY के अनुसार, फर्जी एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट जमा करने वाले व्यक्तियों द्वारा यह स्कैम गूगल जैसे सर्च इंजन्स में “एमप्लॉयमेंट सर्टिफिकेट्स इन इंडिया” की खोज के माध्यम से आरंभ होता है।
इस प्रक्रिया में, इन सर्चेस से कुछ नाम उपलब्ध होते हैं जो फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने वाली संस्थाओं के होते हैं। जब फ्रॉड प्रिवेंशन प्लेटफार्म ने इनमें से एक संस्था को मेल किया, तो उन्हें सिर्फ 24 घंटे के अंदर “कस्टमर सर्विस टीम” से रिस्पॉन्स मिला। इसमें उन्होंने फर्जी डाक्यूमेंट्स प्राप्त करने के लिए आवश्यक विवरण मांगे, जैसे कंपनी का नाम, डिजाइनेशन, और भुगतान की प्रक्रिया।
इस संस्था ने वेबसाइट, फोन नंबर, फिजिकल पता और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के डेटाबेस के साथ रजिस्ट्रेशन दिखाया, जिससे यह स्कैम बहुत ही सोफिस्टिकेटेड और विशेषता पूर्वक लग रहा था। इसके अतिरिक्त, टीम ने इसकी गहराई में जाकर 25 से अधिक वेंडर्स का पर्दाफाश किया, जो 1,000 से अधिक कंपनियों के नकली दस्तावेज प्रदान करते हैं।
इस फ्रॉड को कैसे रोके?
IDFY एक्सपर्ट्स द्वारा कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं जो कंपनियों को फ्रॉड को पहचानने और रोकने में मदद कर सकते हैं:
- दस्तावेजों का विस्तृत और समीक्षित जाँच: दरअसल, फ्रॉडर्स अक्सर विशेष ध्यान देते हैं कि उनके फर्जी दस्तावेज विश्वसनीय लगे। इसलिए, दस्तावेजों की सख्त जाँच और समीक्षा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के आंकड़े और गुड्स एंड सर्विस क्षेत्र के तहत रजिस्ट्रेशन की स्थिति की विशेष जांच शामिल है।
- टेक्नोलॉजी का उपयोग: एक्सपर्ट्स का कहना है कि एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का उपयोग करके फ्रॉड की तरही गतिविधियों को पहचाना जा सकता है। यह शामिल करता है डिजिटल विश्लेषण, ऑटोमेटेड स्क्रीनिंग और एल्गोरिथ्मिक विश्लेषण।
- संवेदनशीलता बढ़ाना: कंपनियों को अपने कर्मचारियों को फ्रॉड की तरही गतिविधियों के बारे में संवेदनशील बनाने के लिए तैयार करना चाहिए। संवेदनशीलता और जागरूकता का माहौल बनाने से कर्मचारी आसानी से संदेश पहचान सकते हैं और अवैध गतिविधियों की सूचना दे सकते हैं।
- सुरक्षित और विश्वसनीय सप्लायर्स का चयन: कंपनियों को सप्लायर्स या वेंडर्स का चयन करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। सप्लायर्स की पूरी जांच करनी चाहिए और उनकी असलीत की पुष्टि के लिए आवश्यक दस्तावेज़ प्राप्त करनी चाहिए।
इन सुझावों का पालन करने से कंपनियाँ अपनी निजी और सार्वजनिक वित्तीय सूरज को सुरक्षित रख सकती हैं और फ्रॉड के खिलाफ अपनी सुरक्षा को मजबूत कर सकती हैं।